शारदीय नवरात्रि 2024 कब से शुरू है?
Shardiya Navratri 2024 Date: इस साल की शारदीय नवरात्र 03 अक्टूबर से शुरू होकर 13 अक्टूबर तक रहेगी, इस दौरान षष्ठी तिथि यानि 09 अक्टूबर 2024 को माँ दुर्गा स्थापित की जाएगी और दिनांकः 10 अक्टूबर को महाअष्टमी, 11-12 अक्टूबर को महा नवमी और 12 अक्टूबर को रावण दहन होगा यानी विजयादशमी मनाई जायेगी।
वैसे तो साल में कुल 4-5 नवरात्रि आती हैं लेकिन इन सभी में से चैत और शारदीय नवरात्रि का अपना ही महत्व है, मान्यता है कि इसकी शुरुआत भगवान राम ने की थी। लंकापति रावण का वध करने से पहले श्रीराम ने 9 दिनों तक मां की विधि विधान से पूजा की और फिर दसवें दिन रावण का वध कर दिया था।
शारदीय नवरात्र 2024 घटस्थापना शुभ मुहूर्त और विधि
शारदीय नवरात्र की शुरूआत अश्विन माह की प्रतिपदा तिथि से होती है जो इस बार 03 अक्टूबर (गुरूवार) से शुरू हो रही है। इस दौरान 03 अक्टूबर को प्रातःकल 6:20 बजे से सुबह 07:20 बजे तक घटस्थापना की जा सकती है। तो वहीं सुबह 11:45 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक कलशस्थापन का अभिजीत मुहूर्त है।
नवरात्रि घटस्थापना विधि
घटस्थापना के लिए सबसे पहले पूजा स्थल पर लाल कपड़ा बिछाए और मां दुर्गा की फोटो स्थापित करें। अब मिट्टी या तांबे का कलश लें और इसमें गंगाजल या स्वच्छ जल भरकर अक्षत, सिक्का, सुपारी आदि डाले, कलश के ऊपर चन्नी से बंधा नारियल रखें।
एक मिट्टी के बर्तन में स्वच्छ मिट्टी रख ले और इसमें सप्तधान्य (7 तरह का अनाज) बो दें।
शारदीय नवरात्रि का महत्व और कथा:
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार महिषासुर नामक असुर को ब्रह्मा जी का वरदान प्राप्त था जिसके अनुसार उसका वध किसी भी देव, दानव या पुरुष द्वारा नहीं किया जा सकता था। इस अहंकार में आकर उसने तीनों लोकों पर आक्रमण कर दिया।
ऐसे में सभी देवताओं समेत ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने महिषासुर का अंत करने के लिए देवी माँदुर्गा को जन्म दिया जिसके बाद देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जो काफी समय तक चला और अंततः 9 दिनों के के बाद दसवें दिन मां दुर्गा के हाथों महिषासुर का वध कर दिया गया।
अतः इन नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है और दसवें दिन माँ दुर्गा की महिषासुर पर विजय को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में देखा जाता है और हर साल इसे विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है।
श्री राम से जुड़ी नवरात्र की कहानी
त्रेतायुग में भगवान राम की लंका पर चढ़ाई और आक्रमण से पहले मां दुर्गा की आराधना करना ही माना जाता है बताया जाता है कि उन्होंने शरद मास के इन 9 दिनों तक शक्ति की देवी मां भगवती की पूजा की थी।
जिसके बाद मां दुर्गा स्वयं उनके सामने प्रकट हुई और उन्हें युद्ध में विजयी होने का आशीर्वाद दिया तत्पश्चात भगवान राम ने रावण का अंत कर लंका पर विजय प्राप्त की। तभी से इस दिन को दशहरे के रूप में मनाया जाता है।
यह भी पढ़े: दशहरा क्यों मनाया जाता है? शुभ मुहूर्त और महत्व
नवरात्रि में इन बातों का रखें ध्यान:
शारदीय/चैत्र नवरात्रि में आप अपने हिसाब से व्रत रख सकते हैं लेकिन अगर आप नवरात्री के सभी नियमों का पालन करते हुए व्रत रखना चाहते है तो यह आज के जमाने के अनुसार थोड़ा सा कठिन हो सकता है।
- नवरात्रि में व्रत रखने वाले व्यक्ति को जमीन पर सोना होता है।
- इन दिनों ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है।
- भोजन के रूप में फलाहार ही करना होता है।
- व्रत रखने वाले को क्रोध, लालच, मोह आदि नही करना चाहिए।
- माता की पूजा, आह्वान, विसर्जन, पाठ आदि सब प्रात:काल में शुभ होते हैं, इसलिए इन्हें सुबह सवेरे ही कर लेना चाहिए।
यह भी पढ़े: अहोई अष्टमी कब, क्यों और कैसे मनाई जाती है? शुभ मुहूर्त, कथा और पूजा विधि
नवरात्रि पर पूजी जानी वाली नौ देवियाँ:
- पहला दिन (प्रतिपदा) – माँ शैलपुत्री – 03 अक्टूबर (गुरूवार)
- दूसरा दिन (द्वितीया) – ब्रह्मचारिणी – 04 अक्टूबर (शुक्रवार)
- तीसरा दिन (तृतीया) – चंद्रघण्टा – 05 अक्टूबर (शनिवार)
- चौथा दिन (चतुर्थी) – कूष्मांडा – 06 अक्टूबर (रविवार)
- पांचवां दिन (पंचमी) – स्कंदमाता – 07 अक्टूबर (सोमवार)
- छठा दिन (षष्ठी) – कात्यायनी – 08 अक्तूबर (मंगलवार)
- सातवां दिन (सप्तमी) – कालरात्रि – 09 अक्तूबर (बुधवार)
- आठवां दिन (अष्टमी) – महागौरी – 10 अक्तूबर (बृहस्पतिवार)
- नौवां दिन (नवमी) – सिद्धिदात्री – 11 अक्तूबर (शुक्रवार)
- दसवां दिन (दशमी) – दशहरा – 12 अक्तूबर (शनिवार)
नौरात्रि के इस नौ दिनों उपवास और पूजा करने के बाद नवमी अथवा दसवीं पूजन किया जाता है। इस दिन सुबह कन्या पूजन किया जाता है तथा उन्हे भोग लगाया जाता है। नवरात्रि के दिनों मे माता की चौकी लगाई जाती है और जगराते किए जाते है।
यहाँ देखें: 2024 के महत्वपूर्ण त्योहारों की लिस्ट
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारियां सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं, HaxiTrick.com इसकी पुष्टि नहीं करता। किसी भी बात को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ की सलाह लें।