2024 में रंग वाली होली कब है? शुभ मुहूर्त और इससे जुड़ी कथा

Happy Holi Date: चैत्र मास की कृष्णपक्ष की प्रतिपदा के दिन रंग वाली होली (धुलेंडी) मनाई जाती है, 2024 में होली 24 मार्च को रविवार के दिन मनाई जा रही है।

Holi Date: 2024 में रंग वाली होली कब है? जानिए शुभ मुहूर्त, कहानी/कथा हिंदी में

इस साल 2024 में पूरे भारत (बृज, बरसाना, द्वारका, वृंदावन, उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों, बिहार, बंगाल, राजस्थान) एवं नेपाल में होली 25 मार्च 2024 को है, तो वहीं होलिका दहन मार्च की 24 तारीख़ को किया जाएगा।

होली हिंदुओं का पवित्र और धार्मिक त्यौहार है जिसका संबंध सीधे-सीधे भगवान विष्णु से है, होली का त्यौहार भारत ही नहीं अपितु नेपाल और कई दूसरे देशों में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

Holi Kab Hai 2024 Date
Holi Kab Hai 2024 Date
होली की तारीख और शुभ मुहूर्त 2024
तिथिचैत्र कृष्ण प्रतिपदा
धुलेंडी24 मार्च (रविवार)
विशेषता:रंगों का त्यौहार
अगली साल:14 मार्च 2025

 

होली और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 2024 (फाल्गुन पूर्णिमा तिथि)

हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा के दिन रंग वाली होली (धुलेंडी) मनाई जाती है, और इससे एक दिन पहले फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि को होलिका जलाई जाती है। 2024 में फाल्गुन पूर्णिमा तिथि रविवार, 24 मार्च को सुबह 09:54 बजे से प्रारम्भ होकर सोमवार, 25 मार्च, को दोपर 12:29 बजे समाप्त होगी।

इस बार होली जलाने का शुभ मुहूर्त रविवार, 24 मार्च को रात 11:13 बजे से देर रात 12:07 तक कुल 1 घंटा 14 मिनट का है।

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होलाष्टक कब है? (Holashtak 2024)

फाल्गुन महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से ही होलाष्टक शुरू हो जाता है, इस दौरान मांगलिक कार्य जैसे शादी ब्याह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि नहीं किए जाते। इस साल होलाष्टक रविवार, 17 मार्च 2024 से आरम्भ होकर 24 मार्च को सोमवार के दिन समाप्त होगा।


2025 की होली कब है?

साल 2025 में होली की 14 मार्च की तारीख को शुक्रवार के दिन पड़ रही है, और होलिका दहन 13 मार्च को बृहस्पतिवार के दिन किया जाएगा।

 

 

होली क्यों मनाई जाती है? (Why Holi Festival is Celebrated in India)

होली का त्यौहार बसंत की बहार लेकर आता है और इसके आने पर सर्दी ख़त्म हो जाती है। भारत के कुछ हिस्सों में होली का पर्व बसंत की फसल पकने प्रतीक माना जाता है। इसके आलावा किसान अच्छी फसल पैदा होने की ख़ुशी में होली का पर्व मनाते है। इसे वसंत महोत्सव या रंग महोत्सव भी कहा जाता हे।

त्रेता युग में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण अवतार में होली में रंगोत्सव का रंग चढ़ाया, बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण होली के दिन ही राधा के गांव बरसाने उन्हें और गोपियों को रंग लगाने और उनके साथ होली खेलने जाया करते थे।

 

होली से जुड़ी पौराणिक कथा (Story)

होली मनाने को लेकर कई पौराणिक कथाएं भी प्रचलित है जिनमें से भक्त प्रहलाद की कहानी सबसे ज्यादा प्रमुख मानी जाती है। इस कथा के अनुसार असुर हिरण्यकश्यप के अत्याचारों को देखते हुए भगवान विष्णु ने धरती पर नरसिंह रूप में अवतार लिया और हिरणकश्यपु नामक असुर का वध कर भक्त प्रहलाद को साक्षात दर्शन दिए।

एक अन्य कथा के अनुसार
जब बाल कृष्ण ने माता यशोदा से पुछा कि उनका वर्ण काला क्यों है राधा के सामान वे गोरे क्यों नहीं है तो यशोमती मैया ने मज़ाक में उनसे कहा कि यदि वे राधा के चेहरे पर रंग लगा दें तो राधा का रंग भी कान्हा जैसा हो जाएगा।

इसके बाद उन्होंने ऐसा ही किया तथा राधा और सभी गोपियों के संग होली खेली और इस प्रकार होली मनाने की शुरुआत हुई।


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कैसे मनाते हैं होली का त्यौहार (Holi Celebration in India)

होली का त्योहार भारत में बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया जाता है यह दिन बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है और इस दिन लोग सभी गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं और मिठाइयां खाते हैं।

इस दिन गुजिया खाने का भी विशेष महत्व है लोगों के घरों में होली के अवसर पर गुजिया तैयार की जाती हैं साथ ही इस त्यौहार पर चिप्स, पकोड़े आदि भी बनाए जाते हैं।

बच्चों के लिए यह त्यौहार काफी खुशी भरा होता है इस दिन बच्चे पिचकारी में रंग भर कर एक दूसरे पर रंग डालते हैं साथ ही गुब्बारों में रंग भर कर भी होली खेलना बच्चों को काफी पसंद आता है।

 

प्राचीन काल की प्राकृतिक होली?

प्राचीन काल से ही होली का त्यौहार रंगों के त्यौहार के रूप में जाना जाता है और यह रंगो से ही मनाई जाती थी परन्तु उस समय के रंग टेसू या पलाश के फूलों से बनाए जाते थे और उन्हें ‘गुलाल‘ कहा जाता था।

उस जमाने में रंग बनाने में किसी भी तरह के रसायन (Chemical) का इस्तेमाल नहीं किया जाता था और यह त्वचा के लिए काफी लाभकारी मानी जाती थी।

आज भी होली रंगों से ही मनाई जाती है लेकिन आज रंगों में इस्तेमाल होने वाले केमिकल त्वचा को नुकसान से अधिक कुछ नहीं देते।

इस दिन बरसाना, वृंदावन और मथुरा की होली काफी सुर्खियां बटोरती हैं यहां रंग वाली होली के साथ-साथ लठमार और लड्डू जैसी कई अन्य तरह की होली भी मनाई जाती है।

मथुरा-वृंदावन में होली की धूम 16 दिनों तक रहती है, यह स्थान राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक है, जहां होली मनाते हुए उनके दिव्य प्रेम को याद किया जाता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है, HaxiTrick.Com इसकी पुष्टि नहीं करता है।)