Holi Date: 2021 में रंग वाली होली कब है? क्यों और कैसे मानते है जानिए कहानी/कथा हिंदी में
Holi Kab Hai 2021 Me Date: होली हिंदुओं का पवित्र और धार्मिक त्यौहार है जिसका संबंध सीधे-सीधे भगवान विष्णु से है, होली का त्यौहार भारत ही नहीं अपितु नेपाल और कई दूसरे देशों में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
होली से एक दिन पहले वाली शाम को होलिका दहन का भी अपना ही एक महत्व है और इसके पीछे एक धार्मिक कथा (Story) भी है।
इस वर्ष पूरे भारत (बृज, बरसाना, द्वारका, वृंदावन, उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों, बिहार, बंगाल, राजस्थान) एवं नेपाल में होली 29 मार्च 2021 को है तो वहीं होलिका दहन 28 मार्च 2021 को है।
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Holi Kab Hai 2021 Date |
होली रंगों का त्योहार है इसलिए इसे रंग महोत्सव या 'फगवा' भी कहा जाता है, और साथ ही इस त्यौहार पर सभी गिले-शिकवे भुला कर लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं।
आज के इस लेख में हम आपको 2021 में रंग वाली होली कब है होली क्यों मनाते हैं और होली कैसे मनाई जाती हैं यह बताने जा रहे हैं।
होली कब मनाई जाती है? (Holi 2021 Date)
हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र मास की कृष्ण की प्रतिपदा के दिन रंग वाली होली (धुलेंडी) मनाई जाती है, और इससे एक दिन पहले ही होलिका जलाई जाती है, जो फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि को पड़ती है।
इस साल 2021 में होली 29 मार्च को सोमवार के दिन मनाई जा रही है, और होलिका दहन रविवार के दिन 28 मार्च को होगा।
इसके साथ ही, फाल्गुन महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से ही होलाष्टक भी शुरू हो जाता है।
इस साल होलाष्टक 21 मार्च 2021 को रविवार से आरम्भ होकर 28 मार्च 2021 को रविवार के दिन समाप्त होगा।
होलिका दहन तिथि और शुभ मुहूर्त:
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रविवार 28 मार्च 2021 को शाम 6 बजकर 37 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। इस दौरान होलिका जलाई जा सकेगी।
तो वहीं रंगवाली होली सोमवार, मार्च 29, 2021 को है।
पूर्णिमा तिथि मार्च 28, 2021 को 03:27 बजे से प्रारम्भ होकर मार्च 29, 2021 को 00:17 बजे समाप्त होगी।
2022 की होली कब है?
2022 की होली 18 मार्च को शुक्रवार के दिन पड़ रही है, और होलिका दहन 17 मार्च को गुरुवार के दिन किया जाएगा।
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होली क्यों मनाई जाती है? (Why Holi Festival is Celebrated in India)
होली का त्यौहार बसंत की बहार लेकर आता है और इसके आने पर सर्दी ख़त्म हो जीती है। भारत के कुछ हिस्सों में होली का पर्व बसंत की फसल पकने प्रतीक माना जाता है।
किसान अच्छी फसल पैदा होने की ख़ुशी में होली का पर्व मनाते है।
होली को वसंत महोत्सव या रंग महोत्सव भी कहा जाता हे।
त्रेता युग में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण अवतार में होली में रंगोत्सव का रंग चढ़ाया, बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण होली के दिन ही राधा के गांव बरसाने उन्हें और गोपियों को रंग लगाने और उनके साथ होली खेलने जाया करते थे।
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होली से जुड़ी पौराणिक कथा (Story)
होली मनाने को लेकर कई पौराणिक कथाएं भी प्रचलित है जिनमें से भक्त प्रहलाद की कहानी सबसे ज्यादा प्रमुख मानी जाती है।
असुर हिरण्यकश्यप के अत्याचारों को देखते हुए भगवान विष्णु ने धरती पर नरसिंह रूप में अवतार लिया और हिरणकश्यपु नामक असुर का वध कर भक्त प्रहलाद को साक्षात दर्शन दिए।
एक अन्य कथा के अनुसार
जब बाल कृष्ण ने माता यशोदा से पुछा कि उनका वर्ण काला क्यों है राधा के सामान वे गोरे क्यों नहीं है तो यशोमती मैया ने मज़ाक में उनसे कहा कि यदि वे राधा के चेहरे पर रंग लगा दें तो राधा का रंग भी कान्हा जैसा हो जाएगा।
इसके बाद उन्होंने ऐसा ही किया तथा राधा और सभी गोपियों के संग होली खेली।
इस प्रकार होली मनाने की शुरुआत हुई।
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कैसे मनाते हैं होली का त्यौहार (Holi Celebration in India)
होली का त्योहार भारत में बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया जाता है यह दिन बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है और इस दिन लोग सभी गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं और मिठाइयां खाते हैं।
इस दिन गुजिया खाने का भी विशेष महत्व है लोगों के घरों में होली के अवसर पर गुजिया तैयार की जाती हैं साथ ही इस त्यौहार पर चिप्स, पकोड़े आदि भी बनाए जाते हैं।
प्राचीन काल से ही होली का त्यौहार रंगों के त्यौहार के रूप में जाना जाता है उस समय भी होली रंगो से ही मनाई जाती थी परन्तु उस समय होली के रंग टेसू या पलाश के फूलों से बनाए जाते थे और उन्हें गुलाल कहा जाता था।
उस समय रंग बनाने में किसी भी तरह के रसायन (Chemical) का इस्तेमाल नहीं किया जाता था और यह त्वचा के लिए काफी लाभकारी मानी जाती थी।
आज भी होली रंगों से ही मनाई जाती है लेकिन आज रंगों में इस्तेमाल होने वाले केमिकल त्वचा को नुकसान से अधिक कुछ नहीं देते।
बच्चों के लिए यह त्यौहार काफी खुशी भरा होता है इस दिन बच्चे पिचकारी में रंग भर कर एक दूसरे पर रंग डालते हैं साथ ही गुब्बारों में रंग भर कर भी होली खेलना बच्चों को काफी पसंद आता है।
इस दिन बरसाना, वृंदावन और मथुरा की होली काफी सुर्खियां बटोरती हैं यहां रंग वाली होली के साथ-साथ लठमार और लड्डू जैसी कई अन्य तरह की होली भी मनाई जाती है।
मथुरा-वृंदावन में होली की धूम 16 दिनों तक रहती है, यह स्थान राधा कृष्ण के प्रेम का प्रतीक है, जहां होली मनाते हुए उनके दिव्य प्रेम को याद किया जाता है।
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अंतिम शब्द
2021 की होली कब है (Holi Date) यह भी आपने जान लिया। यदि आपको Holi के बारे में दी गई यह जानकारी और कहानी/कथा अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ भी व्हाट्सएप और फेसबुक पर जरूर शेयर करें।
आप सभी को हैक्सीट्रिक की तरफ से होली को हार्दिक शुभकामनाएं।