श्रीराम जन्मोत्सव 2025: चैत्र राम नवमी कब मनाई जाती है?
Chaitra Ram Navami Date 2025: राम नवमी हिंदूओं का वैदिक त्योहार है जिसे चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन (हिंदू कैलेंडर के अनुसार) मनाया जाता है। इस दिन ही चैत्र नवरात्र का समापन भी होता है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार चैत्र माह की शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को भगवान राम का जन्म हुआ था। यह पर्व भारत में बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है।
भगवान् राम के जन्मोत्सव से जुड़ा यह पवित्र त्योहार आमतौर पर मार्च या अप्रैल के महीनों में पड़ता है। इस बार भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव 06 अप्रैल 2025 को रविवार के दिन मनाया जा रहा है। यहाँ श्रीराम का जन्म कब हुआ, उनके जन्म की कहानी और शुभकामना संदेश की पिक्चर दी गयी है।

2025 में चैत्र राम नवमी कब है? शुभ मुहूर्त (Ram Navami Shubh Muhurat)
रामनवमी भगवान राम के जन्म का उत्सव है, जिसे हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। यह आमतौर पर मार्च या अप्रैल के महीने में पड़ता है।
2025 में चैत राम नवमी रविवार, 06 अप्रैल को है, और नवमी तिथि 05 अप्रैल को शाम 07:25 बजे से आरम्भ हो रही है जो 06 अप्रैल को शाम 07:20 बजे समाप्त होगी। पूजा का शुभ मुहूर्त 06 अप्रैल 2025, को सुबह 11:08 बजे से दोपहर 01:39 बजे तक कुल 2 घंटे 31 मिनट का है। हालांकि मध्यनाह् पूजा का मुहूर्त दोपहर 12:23 बजे का है।
Ram Navami Wishes Quotes Photos 2025: राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ शायरी फोटोज, इमेजेज, हिंदी में
राम नवमी भगवान राम का जन्मोत्सव है, इसलिए इस दिन श्रीराम की पूजा और राम चरित मानस का पाठ किया जा सकता हैं। साथ ही इसी दिन नवरात्रि का समापन होने के कारण व्रत रखकर मां भगवती की आराधना और कन्या पूजन करने का भी विशेष महत्व है।
यदि आप भी श्रीराम जन्मोत्सव के पावन अवसर पर आपने दोस्तों और परिवारजनों को रामनवमीं की शुभकामनायें (Wishes) देना चाहते हैं तो यहाँ राम नवमी विशेज इमेजेज और शायरी/कोट्स फोटोज दी गई है जिनके जरिए आप उन्हें इसकी शुभकामनाएं दे सकते हैं
जिनके मन में श्री राम हैं,
भाग्य में उसके बैकुंठधाम है,
उनके चरणों में जिसने जीवन वार दिया,
संसार में उसका कल्याण है।
रामनवमी की हार्दिक शुभकामनायें
सब जानते है राम सेवक हूँ मैं,
नाम मेरा हनुमान है,
बैर करे जो मेरे प्रभु से,
मुट्ठी में उसके प्राण है।
मन राम का मंदिर हैं, यहाँ उसे विराजे रखना
पाप का कोई भाग न होगा, बस राम नाम को थामे रखना।
शुभ राम नवमी
गरज उठता है ये गगन सारा,
समुंदर छोड़ देता है अपना किनारा,
हिल जाता है ये जहान सारा,
जब गूंजता है जय श्री राम का नारा।
अयोध्या जिनका धाम है,
राम जिनका नाम हैं,
मर्यादा पुरषोतम वो राम हैं,
उनके चरणों में हमारा प्रणाम है।
राम नवमी की हार्दिक बधाई!
क्रोध को जिसने जीता हैं,
जिनकी भार्या सीता है,
जो भरत, शत्रुध्न, लक्ष्मण के हैं भ्राता,
जिनके चरणों में हनुमंत शीश झुकता है,
वो पुरुषोतम राम है,
ऐसे मर्यादा पुरुषोत्तम राम को,
कोटि-कोटि प्रणाम है।
Happy Ram Navmi
राम नाम का महत्व न जाने,
वो अज्ञानी अभागा हैं,
जिसके दिल में राम बसा,
वो सुखद जीवन पाता हैं।
हैप्पी राम नवमी
राम नवमी की हार्दिक शुभकामानाएं उद्धरण फोटोज (Wishes SMS)
राम जी की निकली सवारी,
राम जी की लीला है न्यारी-न्यारी,
एक तरफ लक्ष्मण एक तरफ सीता
बीच में जगत के पालनहारी।
Ram Navmi Ki Hardik Shubhkamnaye
राम की ज्योति से नूर मिलता है,
सबके दिलो को शुरुर मिलता है,
जो भी जाता है रामजी के दर पर,
उसे कुछ ना कुछ जरुर मिलता है,
Shubh Ram Navami
शान्ति-अमन प्रिय इस देश से अब,
बुराइयों को मिटाना होगा,
आतंकी रावण का दहन करने,
आज फिर से श्री राम को आना होगा,
राम नवमी मंगलकारी हो!
कब हुआ था प्रभु श्रीराम का जन्म?
श्री हरि विष्णु के सातवें अवतार कहे जाने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म त्रेतायुग में चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वस नक्षत्र में कर्क लग्न में अयोध्या के जनक राजा दशरथ और माता कौशल्या के यहां हुआ था।
बताया जाता है जब प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था तब पांच ग्रह सूर्य, शनि, मंगल, शुक्र और बृहस्पति उच्च स्थान में थे।
पौराणिक धार्मिक ग्रंथों और कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना हेतु श्री राम के रूप में धरती पर त्रेता युग में अवतरित हुए थे। तो वहीं माता सुमित्रा के गर्भ से लक्ष्मण के रूप में शेषनाग ने अवतार लिया था।
जब पृथ्वी लोक पर श्रीराम का जन्म हुआ उस समय ऋषि-मुनियों पर दानवों और राक्षसों का अत्याचार चरम पर था, उन्होंने बाल्य अवस्था में ही कई राक्षसों को मौत के घाट उतारा और वनवास के दौरान दुराचारी पापी रावण का वध कर धर्म को पुनःस्थापित किया।
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राम नवमी पर श्री राम की जन्म कथा (Ram Navami Story)
रामचरित मानस के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियाँ थी, परन्तु उन्हें किसी भी रानी से पुत्र प्राप्ति नहीं हुई। जिसके बाद ऋषि मुनियों की सलाह से उन्होंने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया और प्रसाद के रूप में मिली खीर को अपनी प्रिय पत्नी कौशल्या को दे दिया।
परन्तु कौशल्या ने वह प्रसाद अकेले नहीं खाया उन्होंने इसे केकैयी और दशरथ की तीसरी पत्नी सुमित्रा को भी दिया।
जिसके परिणामस्वरूप चैत्र शुक्ल नवमी को माता कौशल्या की कोख से भगवान श्री राम का जन्म हुआ, तो वहीं केकैयी ने भरत और सुमित्रा ने लक्ष्मण व शत्रुघ्न को जन्म दिया।
भगवान राम का जन्म मनुष्यों के कल्याण और धरती पर बढ़ते अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करने के उद्देश्य से हुआ था। उन्होंने अपने ‘मर्यादा पुरुषोत्तम‘ की छवि के रूप में अपने आप को प्रस्तुत कर लोगों के बीच पुरुषो का एक आदर्श रूप स्थापित किया।
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