Hazrat Ali Birthday 2024: हजरत अली का जन्मदिन कब है? कौन है इमाम अली?

Hazrat Ali Birthday: इस साल हजरत अली का जन्मदिन 24-25 जनवरी 2024 को मनाया जा रहा है। इमाम अली इब्ने अली तालिब की पैदाइश 17 मार्च 600 ईस्वी की है। आइए अली के कुछ कोट्स और उनकी जीवनी पर एक नजर डालते है।

Hazrat Ali Birthday Date 2024: हजरत अली का जन्मदिन कब है? अली इब्रे अबी तालिब की बायोग्राफी

Hazrat Ali Jayanti Date 2024: मुस्लिमों के पहले वैज्ञानिक माने जाने वाले मोहम्मद हजरत अली (इमाम अली इब्ने अली तालिब) का जन्मदिन (Birthday) इस साल 2024 में 24-25 जनवरी की तारीख़ को मनाया जा रहा है। इस्लाम धर्म के उपासक हजरत अली का बर्थडे बड़े धूमधाम से मनाते हैं, उनकी बहादुरी के कारण उन्हें असदुल्लाह यानि ‘अल्लाह का शेर‘ भी कहा जाता है।

आप (हजरत अली) का निकाह पैगंबर मोहम्मद की बेटी ‘फातिमा‘ से हुआ। आप मोहम्मद पैगंबर के उत्तराधिकारी थे, इसलिए मुसलमानों के चौथे खलीफा बने। साथ ही आप शिया समाज के पहले इमाम और सूफियों के वली भी हैं। आइए हज़रत अली के जन्मदिन (बर्थडे) पर उनकी जीवनी और उनके कुछ अनमोल विचार/क़ौल (कोट्स) पर एक नज़र डालते है।

Hazrat Ali Birthday Date 2024
Hazrat Ali Birthday Date 2024
Imam Ali Jayanti Information in Hindi
नाम:अली इब्रे अबी तालिब
तिथि:रजब की 13 तारीख (हिजरी के अनुसार)
पैदाइश की तारीख:17 मार्च 600 ईस्वी
इस साल:24 जनवरी 2024
अगली साल:14 जनवरी 2025*
पिछली साल:04 फरवरी 2023
* तारीख बदल सकती है।

 

Hazrat ali Birthday कब मनाते है?

हजरत अली के नाम से प्रसिद्ध पैंगबर मोहम्मद के दामाद और मुसलमानों के चौथे खलीफा ‘अली इब्रे अबी तालिब‘ का जन्म ईस्लामिक कैलैंडर के अनुसार 13 रज्जब 24 हिजरी पूर्व पवित्र इस्लामिक तीर्थ स्थल ‘काबा‘ में हुआ था। ग्रोगेरियन कैलेंडर की माने तो हजरत अली की पैदाइश 17 मार्च 600 ईस्वी की है।

हजरत अली की पैदाइश का दिन हर साल इस्लामी महीने रजब (इस्लामिक कैलंडर का सातवां महीना) की 13 तारीख को मनाया जाता है।

इस साल 2024 में Hazrat ali का जन्मदिन 24 जनवरी को बुधवार के दिन मनाया जा रहा है, तो वहीं अगली साल 2025 में अली की यौम-ए-पैदाइश 14 जनवरी को मनाई जाएगी। तारीख बदल सकती है।

हजरत अली एक ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने अपने शब्दों से दुनिया जहान को यह बताया कि इस्लाम कत्ल और भेदभाव करने के पक्ष में नहीं है।

 

हज़रत अली बर्थडे क्यों मनाया जाता है?

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार जब पैगंबर मुहम्मद सल्ल्लाहुअलैहिवसल्लम ने इस्लाम का संदेश दिया तो हज़रत अली इसे स्वीकार करने वाले पहले युवा थे उस समय उनकी उम्र महज़ 10 वर्ष थी। इस्लामिक संप्रदाय के चौथे खलीफा चुने जाने के बाद उन्होंने आम लोगों की भलाई और समाज के उत्थान के लिए बहुत से काम किए।
अली बहुत ही उदार तथा दयालु शासक थे, इसी कारण उन्हें लोगों द्वारा काफी पसंद किया जाता है, तथा उनके द्वारा किए गए मानव कल्याण के कार्यों और प्रयासों को ध्यान में रखते हुए, उनके सम्मान में ही प्रत्येक वर्ष उनके जन्म उत्सव को धूमधाम से मनाया जाता है।

Mecca House of Allah

 

शिया और सुन्नी मुसलमान

पैगंबर मुहम्मद की मृत्यु के बाद इस्लामिक समुदाय दो विचारों में विभाजित हो गया, उस समय जिन मुसलमानों ने ‘अबु बकर‘ को अपना नेता माना वह सुन्नी मुस्लिम कहे गए। और जिन इस्लामियों ने हजरत अली को अपना ‘इमाम‘ माना वह शिया मुस्लिम कहे गए।


 

हजरत अली का जन्मदिन कैसे मनाया जाता है? (Hazrat Ali’s Birthday Celebration)

Hazrat Ali प्यार और भाईचारे के प्रतीक के रूप में जाने जाते है इसलिए उनके जन्मदिन को भारत और पकिस्तान में ही नहीं बल्कि पूरे संसार में इस्लाम धर्म को मानने वाले लोगों द्वारा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस मौके पर जुलूस निकालने के साथ ही प्रार्थना सभाओं का भी आयोजन किया जाता है।

इस दिन इस्लाम धर्म के लोग अपने घरों की साफ-सफाई कर इसे सजाते हैं, तथा आपसदारी और भाईचारे के साथ परिवार एवं दोस्तों के साथ मिलकर दावत का लुफ्त उठाते हैं। इस मौके पर लोग हजरत अली के विचरों और उनकी कहानियों का आदान-प्रदान करते है।

साथ ही सभी मस्जिदों को भी काफी खूबसूरती से सजाया जाता है और इमामबाडों में मुस्लिमों (खासतौर से शिया मुस्लिमों) द्वारा विभिन्न प्रकार के धार्मिक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

 

 

हजरत अली जीवन परिचय (Ali Ibn Abi Talib Biography in Hindi)

  • 1. पैगंबर मोहम्मद के उत्तराधिकारी, चचेरे भाई, दामाद और उनके साथ नमाज पढ़ने वाले पहले व्यक्ति एवं मुसलमानों के चौथे खलीफा और शिया मुश्लिमों के पहले इमाम माने जाने वाले हजरत अली का पूरा नाम ‘अली इब्ने अबी तालिब‘ है।
  • 2. हजरत अली का जन्म इस्लामी केलेंडर के अनुसार रजब माह की 13वीं तारीख को सउदी अरब के मक्का शहर में हुआ था।
    आप मक्का के सबसे पवित्र स्थान काबा में पैदा होने वाले एकलौते व्यक्ति हैं।
    आपके वालिद (पिता) का नाम ‘अबु तालिक‘ और माता का नाम ‘फातिमा असद‘ था।
  • 3. इमाम अली की बीवी का नाम फातिमा था और उनके 5 बच्चे थे, जिनके नाम: हसन, हुसैन, ज़ैनब, उम्म कलथुम और मोहसिन थे। जिनका बचपन में ही निधन हो गया था।
  • 4. आपने इस्लामिक साम्राज्य के चौथे खलीफा के रुप में 656 ईस्वी से लेकर 661 ईस्वी तक शासन किया और शिया इस्लाम के अनुसार आप पहले इमाम के रुप में भी 632 ई. से 661 ईस्वी. तक कार्यभार सम्भालते रहे।
    बताते चले की वे सुन्नी समुदाय के ‘आखिरी राशिदून‘ भी थे।
  • 5. Hazrat Ali द्वारा विज्ञान से जुड़ी जानकारियों को आमजन तक सरल अंदाज में पहुँचाने के कारण उन्हें पहला मुस्लिम वैज्ञानिक भी माना गया है। साथ ही मान्यता यह भी है की वह इस्लाम स्वीकार करने वाले पहले व्यक्ति थे।
  • 6. मशहूर इस्लामिक लीडर हजरत अली की तलवार का नाम ‘जुल्फिकार‘ था।
  • 7. The Lion of Allah: हजरत अली अपनी बहादुरी के कारण मशहूर थे, उन्हें “असदुल्लाह” (खुदा या अल्लाह का शेर) के नाम से जाना जाता था।
  • 8. वे महान योद्धा होने के साथ ही एक महान विद्वान भी थे। Prophet Muhammad ने उनके बारे में कहा, “मैं ज्ञान का शहर हूं और अली इसका द्वार है।”
  • 9. खलीफा नियुक्त किये जाने पर आपने अपने पांच वर्षीय शासनकाल में कई आर्थिक सुधार किए, कई युद्ध किए व लड़ाईयां लड़ी और कुरीतियों को दूर करने के अथक प्रयास किए।
    आम लोगों की भलाई करने और भ्रष्ट अधिकारियों को निलंबित करने पर उन्हें विद्रोंहो का सामना भी करना पड़ा जिससे उनके दुश्मनों की संख्या में इजाफ़ा हुआ।

 

हज़रत अली की शहादत कब और कैसे हुई?

जब हज़रत अली सन 40 हिजरी में रमज़ान (इस्लामिक कैलंडर का नौवां महीना) की 18 तारीख को रोज़ा इफ्तार कर अगली सुबह रमजान की 19वीं तारीख को नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद में गये तो वहाँ सजदे में जाते समय ‘अब्दुर्रहमान इब्ने मुलजिम’ नाम के व्यक्ति ने उनके सिर पर ज़हर लगी तलवार से जानलेवा हमला कर दिया।

इस घटना के दो दिन बाद ही रमजान की 21वीं तारीख को Hazrat Ali की मौत हो गयी। हालंकि जब हमलावर इब्ने मुल्जिम को उनके पास लाया गया था तो उन्होंने उसे माफी दे दी थी।

हज़रत अली की शहादत के बाद उनके बड़े बेटे हसन को ज़हर देकर और छोटे बेटे ‘इमाम हुसैन‘ को कर्बला (इराक) में शहीद कर दिया गया।


हजरत अली की मजार कहां है?

21 रमज़ान 40 हिजरी को हजरत अली की शहादत के बाद इराक के नजफ शहर में स्थित ‘अली मस्जिद‘ में उन्हें दफन किया गया है। जिसे ‘इमाम अली का रोज़ा (दरगाह)‘ भी कहा जाता है। यह शिया मुसलमानों का पवित्र स्थल है, हर साल लाखों लोग उनकी मजार पर आते है।

 

अली के अनमोल सुविचार/क़ौल (Hazrat Ali Quotes in Hindi):

इमाम अली जैसी शख्सियत इतिहास में बहुत कम ही देखने को मिलती है, उनके द्वारा समाज और गरीबों के लिए किये इन्हीं कार्यों के कारण ही आज उन्हें लोगों के बीच काफी पसंद किया जात है। यहाँ उनके कुछ विचार और प्यारी बातें दिए गए है।


अत्याचार करने वाला ही नहीं बल्कि उसमें साथ देने वाला और इसे सहने वाला भी अत्याचारी है।


बोलने से पहले आपके लफ्ज़ आपके गुलाम है, बोलने के बाद आप लफ्जों के गुलाम हो जाते है। इसलिए सोच-विचार कर बोलें।


जो खुद को बेहतर नहीं बना सकते वे चुगली करते है।


अपने शत्रु से प्रेम करो जिससे एक दिन वह आपका मित्र जरूर बन जाएगा।


दौलत मिलने पर लोग बदलते नहीं, बल्कि बेनकाब हो जाते हैं।


जब भी रब से दुआ मांगो, तो अच्छा नसीब मांगो, मैंने ज़िंदगी में बड़े-बड़े अक्लमंदों को अच्छे नसीब वालों के सामने झुकते देखा है।


आपने अपने 5 सालों के खिलाफत समय में मानवाधिकार के लिए इतने काम किए कि संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव ‘सूफी अन्नान‘ ने सन 2002 में पैगंबर मोहम्मद के बाद आपको (हजरत अली) सबसे सफल शासक बताया।

इतना ही नहीं वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ने विश्व के शासकों से कहा कि वे हजरत अली के बताए हुए रास्ते पर चलकर मानवता की रक्षा कर सकते हैं।


डिस्क्लेमर: यह लेख समान जानकारियों के आधार पर लिखा गया है, HaxiTrick.Com इसकी पुष्टि नहीं करता।