Karwa Chauth 2020: करवा चौथ कब, क्यों और कैसें मनाया जाता है, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और सरगी का महत्व
Karwa Chauth २०२०: करवा चौथ का व्रत दीपों के त्योहार दीवाली से नौ दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव समेत उनके पूरे परिवार की पूजा की जाती है। तथा सुहागिनों का यह त्यौहार करक चतुर्थी (Karak Chaturthi) तिथि के दिन मनाया जाता है।
इस दिन सुहागिन महिलाएं दिन भर उपवास रखती है और रात को चांद को अर्घ्य देकर अपना व्रत तोड़ती हैं। यह उपवास शादी शुदा महिलाओं के लिए बेहद खास होता है क्योंकि इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। यह त्यौहार देश भर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
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Karwa Chauth Kab Manaya Jata Hai Shubh Mahurat |
आज के इस लेख में आपको करवा चौथ व्रत के बारे मे जानकारी देने जा रहे है और Photos/Images देने जा रहे है, जहां आपको करवा चौथ कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है?, इसका शुभ मुहूर्त (Shubh Mahurat), कथा/कहानी (Story), तथा करवा चौथ की पूजा (Puja Vidhi) कैसे करे? के बारे में बताने की कोशिश करेंगे।
करवा चौथ क्यों मनाया जाता है? महत्त्व | Importance Of Karwa Chauth In Hindi
हिंदू धर्म को मानने वालों में करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth) का विशेष महत्व होता है। पति व्रता स्त्रियों के लिए यह व्रत और भी ज्यादा खास होता है। इस दिन औरतें दिन भर उपवास रखकर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। मान्यता है यह भी है कि करवा चौथ का व्रत विधि विधान से करने पर अखंड सौभाग्य भव का वरदान मिलता है।
इसके साथ ही कुंवारी (बिना शादी-शुदा) लड़कियां भी मनपसंद वर की प्राप्ति के लिए बिना अन्न-जल व्रत रखती हैं।
इस दिन पूरे विधि-विधान से भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा करने के बाद करवा चौथ की कथा (Karva Chauth Katha) सुनी जाती है। फिर रात को चंद्रमा (Moon) को अर्घ्य देने के बाद ही यह व्रत पूरा होता है।
करवा चौथ कब मनाया जाता है? कनक चतुर्थी 2020 Date
हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल करवा चौथ (Karva Chauth) कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, यह दीपावली से नौ दिन पहले आता है। Karwa Chauth को ही कनक चतुर्थी कहा जाता है। तथा अंग्रेजी कैलेंडर की माने तो यह त्योहार अक्टूबर-नवम्बर के महीने में पड़ता है जो इस बार 04 नवम्बर 2020 को बुधवार के दिन है।
करवा चौथ के चार दिनों के बाद, अहोई अष्टमी व्रत पुत्रों के कल्याण के लिए मनाया जाता है।
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आइये अब आपको करवा चौथ के शुभ मुहूर्त के बारें में बताते है।
करवा चौथ शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय समय
Karwa Chauth 2020 के उवापस का मुहूर्त सुबह 6:35 बजे से रात को 8:12 बजे तक है। तथा चतुर्थी तिथि 4 नवंबर को सुबह 03:24 बजे से आरंभ होकर 5 नवंबर को सुबह 05:14 बजे समाप्त होगी।
करवा चौथ की पूजा का शुभ महूर्त शाम 5:29 बजे से 6:48 बजे तक का है इस बीच पूजा करना शुभ है। तो वहीं करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का सम्भावित समय (चाँद निकलने का समय) रात 08 बजकर 15 मिनट 59 सेकेंड है।
करवा चौथ की शुभकामनाएं फोटो २०२०: Happy Karwa Chauth Wishes Photos
Karwa Chauth Ki Hardik Shubhkamnaaye Animated Gif![]() |
Karwa Chauth Ki Shubhkamnaaye Animated Gif |
करवा चौथ की शुभकामनाएं बधाई फोटो
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करवा चौथ की शुभकामनाएं बधाई फोटो Pics Image |
Happy Karwa Chauth Wishes Photo Images
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Happy Karwa Chauth Wish Photo |
कैसे मनाते हैं करवा चौथ का त्योहार?
सुहागिन महिलाएं कई दिन पहले से ही करवा चौथ की तैयारियां करना शूरू कर देती है, वे इस दिन के लिए गहने, कपड़े, श्रृंगार का सामान और पूजा सामग्री आदि खरीदती हैं।
करवा चौथ के दिन सूर्य उगने से पहले महिलाएँ सरगी खाती हैं। इसके बाद अपने हिसाब से हाथों-पैरों पर मेहंदी रचाई जाती है और पूजा की थालियों तैयार की जाती है।
शाम ढलने से पहले व्रत करने वाली सभी महिलाएं घर, मंदिर या पार्क में इकट्ठा होकर एक साथ करवा चौथ की पूजा करती हैं।
इस दिन गोबर और मिट्टी से पार्वती जी की प्रतिमा बनाई की जाती है या आप माता गौरी की प्रतिमा बाज़ार से खरीद कर भी स्थापित कर सकते है। जिसकी विधि-विधान से पूजा करने के बाद करवा चौथ भी कथा सुनी जाती है, यह कथा आमतौर पर किसी बुजुर्ग महिला द्वारा सुनाई जाती हैं।
Karwa Chauth Katha के समय महिलाएं लाल जोड़े और सोलह श्रृंगार के साथ पूजा करती है और रात को चांद दिखाई देने पर अर्घ्य देकर तथा पति की आरती उतारने के बाद पति के हाथों से पानी पीकर अपना उपवास समाप्त करती है।
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करवा चौथ की पूजन सामग्री
करवा चौथ के व्रत पर पूजा के लिए कुछ पूजन सामग्री जैसे पीली मिट्टी, छलनी, लकड़ी का आसन, हलुआ और आठ पूरियों की अठावरी आदि की आवश्यकता पड़ती है जो इस प्रकार है:
मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, चढाने के लिए पैसे, पानी का लोटा, दिया, रूई, धूप, अगरबत्ती, गंगाजल, रोली, चंदन, कुमकुम, अक्षत, दूध, दही, घी, शहद, फूल, कच्चा चावल, चीनी, हल्दी, मिठाई, बूरा, तथा श्रिंगार का समान जैसे चूडियां, बिंदी, मेहंदी, महावर, कंघी, सिंदूर, चुनरी, बिछुआ, आदि।
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करवा चौथ की पूजा विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi)
- स्टेप #1 करवा चौथ वाले दिन सुबह सबेरे उठकर स्नान कर लें।
- स्टेप #2 सूर्य उदय से पहले सरगी ग्रहण करें और फिर दिन भर बिना अन्न-जल उपवास रखें।
- स्टेप #3 दीवार पर गेरू से फलक बनाकर और भीगे हुए चावलों को पीसकर फलक पर करवा का चित्रण करें, जिसे करवा धरना भी कहा जाता है।
अगर आप करवा का चित्र नहीं बना सकते तो आप बाजार से करवा की फोटो भी खरीद सकते हैं जिसे वर भी कहा जाता है। - स्टेप #4 मीठे में खीर या हलवा बनाए तथा आठ पूरियों की अठावरी एवं अन्य पकवान भी बना लें।
- स्टेप #5 गोबर और पीली मिट्टी से माता पार्वती की प्रतिमा तैयार करें और इस प्रतिमा को लकड़ी के आसान पर बिठाकर साज श्रिंगार करें इस पर कंघी, मेहंदी, सिंदूर, महावर, बिंदी, चूडियां, चुनरी, और बिछुआ आदि चढ़ाए।
- स्टेप #6 लोटे में भरकर साफ पानी रखें।
- स्टेप #7 करवा में गेहूं और करवा के ढक्कन में चीनी का बूरा रखें।
- स्टेप #8 रोली की मदद से करवा पर स्वास्तिक बनाएं और भगवान गणेश और माता पार्वती तथा करवा चित्र की पूजा करें।
- स्टेप #9 तथा मन में अपने पति की लंबी उम्र की कामना करें।
- स्टेप #10 हाथ में गेहूं या चावल के 13 दाने और करवा पर 13 बिंदी रखकर करवा चौथ की कथा सुनें।
- स्टेप #11 कथा पूरी होने के बाद पानी का लोटा और गेहूँ के 13 दाने अलग रख लें, इसके बाद करवा पर हाथ घुमाए और अपने से बड़ों का आशीर्वाद लें और करवा उन्हें सौंप दें।
- स्टेप #12 चांद निकलने के बाद छलनी की ओट से पति को देखें और चन्द्र भगवान को अर्घ्य दें।
- स्टेप #13 चंद्र भगवान को अर्घ्य देते समय पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्यवती बने रहने की कामना करें।
- स्टेप #14 अब पति के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लें और उनके हाथ से जल ग्रहण करके अपना व्रत पूरा करें और अनके साथ ही भोजन करें।
सरगी क्या है? Sargi का महत्व
सरगी के रूप में सूखे मेवे जैसे काजू, बादाम, किसमिस आदि और फल, नारियल और मिठाई खाई जाती है। सरगी व्रत रखने से पहले सुबह सूरज उगने से पहले खाई जाती है ताकि दिन भर ऊर्जा बनी रहे।
करवा चौथ के दिन सरगी को लेकर बहुत से लोग दुविधा में रहते है तथा यह करवा चौथ के व्रत का एक अभिन्न अंग है। क्योंकि इस दिन अपवास रखने से पहले महिलाएं और लड़कियां स्नान करने के बाद सरगी खाती हैं।
सरगी ज्यादतर सास बनाती है लेकिन अगर सास नहीं है तो घर का कोई भी बड़ा सदस्य सरगी बना सकता है। और जो लड़कियां शादी से पहले यह व्रत रखती हैं उनके ससुराल वाले एक शाम पहले सरगी भिजवा सकते हैं।
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करवा चौथ की कथा/कहानी (Karwa Chauth Story in Hindi)
पौराणिक कथाओं के हिसाब से वीरवती नाम की एक पतिव्रता स्त्री और उसकी माँ एवम् भाभियों ने यह व्रत किया। परंतु भूख से व्याकुल होती अपनी बहन वीरवती को देख उसके भाइयों से यह सहन नहीं हुआ।
और उन्होंने चंद्रोदय होने से पूर्व ही नगर से बाहर जाकर एक पेड़ की ओट में चलनी लगाकर उसके पीछे अग्नि जला दी, और अपनी भूख से व्याकुल होती बहन से कहा कि- 'देखो बहना चाँद निकल आया है अर्घ्य दे दो।' यह सुनकर उसने अपने भाभियों से भी चन्द्रमा को अर्घ्य देने को कहा "परन्तु वे इस बात से परिचित थी और उन्होंने वीरवती को यह बात समझाने की कोशिश कि परंतु भाभियों की बात को अनसुना करते हुए उसने भाइयों द्वारा दिखाए गए प्रकाश को ही अर्घ्य देकर भोजन कर लिया।
इस प्रकार व्रत तोड़ने के कारण उसका पति सख्त बीमार हो गया और जो कुछ घर में था उसकी बीमारी में लग गया। जिसके बाद उसकी मृत्यु हो गई।
और जब उसने अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसने हिम्मत नही हारी अपने प्रेम और विश्वास से उसने अपने मृत पति को सुरक्षित रखा। और अगले वर्ष फिर चतुर्थी का नियमपूर्वक व्रत किया जिससे चौथ माता ने प्रसन्न होकर उसके पति को जीवनदान दे कर उसे रोगमुक्त करने के बाद धन-संपत्ति से युक्त कर दिया।
इस प्रकार अगर जो भी सुहागिन महिला बिना छल-कपट के और श्रद्धा और भक्ति के साथ कनक चतुर्थी का व्रत करेंगी, उन्हें सभी प्रकार का सुख और शांति मिलेगी। और तभी से छलनी में से चांद को देखने की परंपरा आज तक चली आ रही है।
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अंतिम शब्द
अब तो आप करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth Vrata 2020) के बारें में सब कुछ जान ही गए होंगे यानि कि करवा चौथ कब, क्यों और कैसें मनाया जाता है इसकी तिथि, (Date) शुभ मुहूर्त (Shubh Mahurat), पूजा विधि (Pooja Vidhi), व्रत कथा (Vrata Katha) और सरगी (Sargi) का महत्व क्या है?
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आप सभी को करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं।