2024 में गोकुलाष्टमी कितनी तारीख को है?
हिंदू पंचांग के अनुसार श्री हरि विष्णु के 8वें अवतार भगवान श्री कृष्ण जी की जयंती अथार्त् जन्माष्टमी हर साल भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है, इसीलिए इसे “कृष्णाष्टमी” या कन्हैया आठे भी कहते हैं। इस साल 2024 में गोकुलाष्टमी का पर्व सोमवार, 26 अगस्त को मनाया जा रहा है।
गोकुलाष्टमी हिंदुओं के सबसे प्रिय भगवानों में से एक श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव है, उनका जन्म लगभग 5000 साल पहले द्वापर युग में भाद्रपद कृष्ण पक्ष के आठवें दिन मथुरा शहर में कंस के कारागार में मध्यरात्रि के समय देवकी और वासुदेव की 8वीं संतान के रूप में हुआ था। यहाँ हम आपको कन्हैया आठे का शुभ मुहूर्त, व्रत, पूजा विधि, चांद का समय के बारे में बताने जा रहे है।
विषय सूची
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कब है 2024 में?
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार जन्माष्टमी का त्योहार भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष के आठवें दिन मनाया जाता है, 2024 में 26 अगस्त को सोमवार के दिन मनाई जा रही है। साथ ही वैष्णव सम्प्रदाय द्वारा मनाई जाने वाली इस्कॉन जन्माष्टमी 25 अगस्त और 26 अगस्त (आधी रात तक व्रत) को मनाई जाएगी।
इस साल भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 26 अगस्त 2024 को सुबह 03:39 बजे से शुरू होगी और अगले दिन 27 अगस्त को सुबह 02:19 बजे समाप्त होगी। आपको पता हो श्री हरि विष्णु ने धरती पर अवतार इसलिए लिया ताकि वे पृथ्वीलोक को पापियों से मुक्त कर धर्म की स्थापना कर सकें। यह भगवान श्रीकृष्ण की 5251वीं जयंती है।
कृष्णाष्टमी 2024 का शुभ मुहूर्त कब का है?
गोपाल अष्टमी के दिन 26 अगस्त को व्रत रखा जाएगा और रात 12:01 बजे से मध्यरात्रि 12:45 बजे के बीच अथार्त् 44 मिनट तक जन्माष्टमी की पूजा का बेहद शुभ निशिथ मुहूर्त है। इसके आलावा व्रत पारण मंगलवार, 27 अगस्त को सुबह 05:56 बजे के बाद किया जा सकता है।
भगवान् श्रीकृष्ण जी का जन्म मध्य रात्रि के समय रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, इसलिए उनके जन्म उत्सव को रात्रि के समय मनाया जाता है। इस बार जन्माष्टमी रोहिणी नक्षत्र के साथ मनाई जाएगी। 2024 में रोहिणी नक्षत्र 26 अगस्त सुबह 03:54 बजे से शुरू होकर अगले दिन 27 अगस्त को शाम 03:39 बजे तक रहेगा।
रोहिणी नक्षत्र: | 26 अगस्त सुबह 03:54 से 27 अगस्त शाम 03:39 तक। |
चांद का समय: | 26 अगस्त, रात 11:20 बजे |
व्रत पारण समय: | 27 अगस्त, सुबह 05:56 के बाद |
दही हाण्डी: | मंगलवार, अगस्त 27, 2024 |
जन्माष्टमी की पूजन विधि (Puja Vidhi)
- सुबह सवेरे जल्दी उठकर स्नान और नित्यकर्म आदि से निवृत्त हो जाएं।
- घर और विशेषकर पूजा स्थल की साफ-सफाई करें।
- अब सच्चे मन से व्रत का संकल्प लें।
- मंदिर में दीप प्रज्वलित करें और सभी देवी- देवताओं का जलाभिषेक करें।
- इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है।
- भगवान की प्रतिमा को नए वस्त्र, आभूषण, मुकुट, बांसुरी और मोरपंख आदि से सजाएं।
- पूरे दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें और मध्यरात्रि को लड्डू गोपाल की विधिवत पूजा कर व्रत खोलें।
- पूजा के दौरान “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” जैसे मन्त्रों का उच्चारण करें।
- पूजा सम्पन्न होने के बाद प्रसाद बांटे और स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें।
श्री कृष्ण के मंत्र
“कृं कृष्णाय नमः”यह भगवान श्रीकृष्ण का मूलमंत्र माना जाता है, इसका जाप करने से व्यक्ति का हर बिगड़ा काम बन जाता है और रुके हुए धन की प्राप्ति होती है।
“ॐ देविकानन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात”इस मंत्र के जाप से सुख-शांति की प्राप्ति होती है और जीवन और मन के सभी दुख दूर होते हैं।
“गोकुल नाथाय नमः”इस श्रीकृष्णमंत्र के जप से जातक की सभी इच्छाएं व अभिलाषाएं पूरी हो जाती हैं।
भगवान कृष्ण को क्या भोग लगाया जाता है?
भगवान श्री कृष्ण को भोग के रूप में खीरा, ककड़ी, पंचामृत, माखन एवं पंजीरी का भोग लगाया जा सकता है। साथ ही पंचामृत बनाने के लिए दूध, दही, शक्कर, घी तथा शहद के साथ तुलसी पत्र के इस्तेमाल के साथ भोग लगाया जाना चाहिए। मान्यता है की बिना तुलसी पत्र के भगवान श्री कृष्ण को लगाया गया भोग स्वीकार नहीं होता।
गोकुल अष्टमी के दिन क्या होता है?
इस मौके पर लोग व्रत (उपवास) रखते हैं जिसे मध्य रात्रि में चांद दिखाई देने के बाद खोला जाता है।
इस दिन मंदिरों को सजाया जाता है और कन्हैया लाल की पूजा की जाती है और उन्हें झूला झुलाया जाता है।
इसके अलावा लोग अपने बच्चों को बाल गोपाल की वेशभूषा में तैयार करते हैं।
गोकुल, वृंदावन और मथुरा नगरी में तो इस त्योहार का महत्व ही इतना ज्यादा है कि इस दिन लोग अपने नगर को दुल्हन की तरह सजाते हैं तथा गुलाल द्वारा होली भी खेली जाती है।
वहां स्थित नंद, यशोदा, वासुदेव, कृष्ण और राधा सभी के मंदिरों में खास सजावट की जाती है।
2025, 2026 और 2027 में कृष्ण जन्माष्टमी कब है?
2025 में श्री कृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त को शनिवार के दिन मनाई जाएगी, इस दौरान निशिता पूजा मुहूर्त रात्रि 12:04 से मध्यरात्रि 12:47 बजे तक होगा। इसके अलावा पारण महूरत 17 अगस्त 2025 को सुबह 05:51 बजे के बाद का है।
वर्ष | तारीख़ |
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2024 | 26 अगस्त (सोमवार) |
2025 | 16 अगस्त (शनिवार) |
2026 | 04 सितंबर (शुक्रवार) |
2027 | 25 अगस्त (बुधवार) |
2028 | 13 अगस्त (रविवार) |
2029 | 01 सितम्बर (शनिवार) |
2030 | 21 अगस्त (बुधवार) |
2031 | 09 अगस्त (शनिवार) |
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