अक्षय या आंवला नवमी कब है 2023? शुभ मुहूर्त, व्रत कथा, पूजा विधि और महत्व

Amla Navami 2023: अक्षय नवमी कब और क्यों मनाते है? पूजा विधि, कथा (Story) और महत्व

Akshay Navami Date 2023: हिंदू धर्म में हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी मनाई जाती है, इस बार 2023 में यह 21 नवंबर को मंगलवार के दिन है। इसे ‘अक्षय नवमी‘ भी कहा जाता हैं, यह देवोत्थान एकादशी से दो दिन पहले आता है। इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा करने की प्रथा है।

अक्षय नवमी से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार इस दिन आंवले फल की पूजा करने से ब्रह्मा, विष्णु, महेश और मां लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं, और आशीर्वाद देते हैं। इस दिन भगवान विष्णु को सुबह और शाम आंवला अर्पित करने की भी मान्यता है। अगले साल 2024 में यह व्रत रविवार, 10 नवम्बर को पड़ रहा है। आइए अब आपको अक्षय या आंवला नवमी का शुभ मुहूर्त और इसकी Puja Vidhi के बारे में विस्तार से बताते है।

Akshay Amla Navami 2023
Akshay Amla Navami 2023

 

अक्षय या आंवला नवमी कब है 2023? शुभ मुहूर्त

कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाने वाली आंवला नवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त मंगलवार, 21 नवंबर 2023 को सुबह 06:48 से दोपहर 12:07 बजे तक का है। नवमी तिथि 21 नवंबर, सुबह 03:16 बजे से आरंभ होकर, अगले दिन 22 नवम्बर को देर रात 01 बजकर 09 मिनट तक रहेगी।

आँवला नवमी तिथि:मंगलवार, 21 नवंबर 2022
नवमी तिथि प्रारंभ:21 नवंबर, सुबह 03:16 बजे से
नवमी तिथि समाप्त:22 नवम्बर, को देर रात 01:09 बजे तक
पूर्वाह्न मुहूर्त:सुबह 06:48 से दोपहर 12:07 बजे तक
कुल अवधि:5 घंटे 19 मिनट
अगली बार:रविवार, 10 नवम्बर 2024

 

आंवला नवमी की कथा (Amla Navami Story)

एक पौराणिक कथा के अनुसार काशी नगर में एक निःसंतान वैश्य रहा करता था, वैश्य की इच्छा के विरुद्ध एक दिन वैश्य की पत्नी पुत्र प्राप्ति के मोह में आकर एक पड़ोसी महिला के कहने पर किसी दूसरी स्त्री की कन्या को कुएं में गिराकर उसकी बलि भैरवजी को चढ़ा दी।

लेकिन इस हत्या का परिणाम विपरीत हुआ, जिससे वैश्य की पत्नी कोढ़ ग्रस्त हो गयी और उस कन्या की आत्मा उसे परेशान करने लगी, और तंग आकर अपने पति को सारी बातें बता दी।

वह अपने किए पर पछतावा और शर्म महसूस कर रही थी, इसलिए वैश्य ने उससे गंगा मैया की शरण में जाकर भगवान का भजन करने व गंगा स्नान करने की सलाह दी, जिसके बाद वैश्य की पत्नी गंगाजी की शरण में जाकर भगवान का भजन कर गंगा स्नान करने लगी।

वहीं गंगाजी ने उसे कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि अथार्त अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने को कहा। जिसके बाद महिला ने इस दिन पर आंवले के पेड़ की पूजा-अर्चना कर आंवले का फल ग्रहण किया, जिससे वह कोढ़मुक्त हो गई।

रोगमुक्त होने के बाद भी महिला ने आंवले के पेड़ का पूजन व व्रत किया जिससे उसे कुछ दिनों बाद संतान प्राप्ति हुई, तभी से हिंदू धर्म में इसका प्रचलन बढ़ा और यह परंपरा शुरू हो गई।

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अक्षय नवमी या Amla Navami का महत्व:

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आंवले की उत्पत्ति परमपिता ब्रह्मा जी के आंसू की बूंदों से हुई है, इसे विश्व की शुरुआत का पहला फल मानकर पूजा जाता है। बताया जाता है की नवमी से एकदशी तक भगवान विष्णु आमले के पेड़ पर विराजमान होते है।

एक अन्य पौराणिक मान्यता की माने तो कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवले का जन्म हुआ था, इसलिए अक्षय नवमी को आंवला नवमी (जयंती) भी कहा जाता है। इस एक विशेष दिन पूजा-अर्चना करने से जन्म-जन्मान्तर तक अच्छे फल की प्राप्ति होती है। साथ ही ब्राह्मणों को भोजन कराने एवं दान करने से धन-धान्य बना रहता है और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

इस दिन आंवले का सेवन बेहद शुभ और लाभकारी होता है, आयुर्वेद में इसे कुदरत का वरदान माना गया है, इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन सी होने के साथ ही कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन और अन्य एंटीओक्सिडेंट भी होते है, जो शरीर के लिए बेहद लाभकारी है।

 

 

आंवला नवमी की पूजा कैसे करें? (Puja Vidhi)

  • अक्षय नवमी की सुबह महिलाओं को नहा-धोकर तैयार हो जाना चाहिए।

  • इसके बाद किसी आंवले के पेड़ और उसके आसपास की जगह पर भलीभांति साफ़ करना चाहिए।

  • पूजा के लिए महिलाओं को साफ किए गए आंवले के पेड़ के नीचे पूर्व दिशा की तरफ मुख करके जल और दूध अर्पित करना चाहिए।

  • पूजा सम्पन्न होने पर आंवले के पेड़ के चारों तरफ सूत लपेटकर इसकी परिक्रमा की जानी चाहिए।

  • अंत में आंवले के पेड़ की आरती करें, और भगवान विष्णु से अपने परिवार की सुख-शांति और संपन्नता की कामना करते हुए आशीर्वाद मांगें।

मान्यता यह भी है कि इस दिन का खाना आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर बनाना चाहिए, जिससे सेहत अच्छी बनी रहे है। और खाने में अपने-आप गिरने वाली आंवले की पत्तियां एक प्रकार से प्रसाद के सामान होती है।

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अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं पौराणिक मान्यताओं पर आधारित हैं। HaxiTrick.Com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।