ईद-ए-मिलाद 2024 कब है? पैगंबर मुहम्मद का परिचय और इतिहास

मिलाद-उन-नबी: इस्लामिक कैलेंडर हिजरी के अनुसार 12 रबी उल अव्वल को बारावफात या ईद-ए-मिलाद का त्योहार मनाया जाता है, 2024 में 16 सितंबर (सोमवार) को है।

Eid-E-Milad Un Nabi 2024: कब, क्यों और कैसे मनाते है? जाने इसका महत्व

ईद-ए-मिलाद के तौर पर मनाया जाने वाला, मिलाद-​उन-नबी यानि पैगम्बर मुहम्मद का जन्मदिन भारत में इस साल 2024 में 15 सितम्बर की शाम से 16 सितंबर की शाम तक मनाया जाएगा है। यह दिन इस्लाम धर्म के संस्थापक प्रोफेट मोहम्मद की पैदाइस और उनके इस दुनिया से रुखसत होने का दिन है।

अरबी भाषा में मौलिद शब्द का तात्पर्य जन्म से है और मौलिद उन नबी का मतलब हजरत मोहम्मद का जन्मदिन है। उनके इसी दिन रूख्सत (पर्दा) फरमाने के कारण इसे बारावफात भी कहा जाता है जहाँ बारा का मतलब है 12 और वफात का अर्थ है इंतकाल

Eid E Milad Un Nabi 2024 Date
Eid E Milad Un Nabi 2024 Date
Eid Milad-Un-Nabi (Barawafat) Date
नामईद मिलादुन्नबी, ईद-ए-मिलाद/बारावफात
पिछली सालगुरुवार, 28 सितम्बर 2023
इस सालसोमवार, 16 सितम्बर 2024 (सम्भावित)
ख़ास बातपैगंबर मोहम्मद के जन्म और रूख्सत का दिन

 

Prophet’s Birthday 2024: मिलाद-उन-नबी कब मनाया जाता है?

मिलादुन्नबी (मिलाद-उन-नबी) यानि पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन का त्यौहार हर साल इस्लामिक कैलेंडर हिजरी के अनुसार यह दिन रबी अल-अव्वल महीने के 12वें दिन पड़ता है। 2024 में 12 रवि उल अव्वल या बारावफात 16 सितंबर को सोमवार के दिन है, इसलिए इसी दिन ईद मिलाद उन-नबी (मिलादुन्नबी) मनाया जाएगा।

इस्लामिक केलेंडर चाँद के अनुसार तय किया जाता है इसलिए यह तारीख आगे-पीछे भी हो सकती है। इस दिन भारत सरकार का राजपत्रित अवकाश (Gazetted Holidays) भी होता है।

सुन्नी और शिया इस्लाम में इस दिन को लेकर काफी विवाद है सुन्नी मुसलमान इस दिन को रवि अव्वल के 12 दिन मनाते हैं तो वही शिया इस्लाम इस दिन को रवि अव्वल के 17वें दिन मनाने का दावा करते हैं।

 

इसे बारावफात क्यों कहते हैं? (Barawafat Festival)

भारत में ईद-ए-मिलाद के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग अपना शोक व्यक्त करने के लिए बारा वफात (Barawafat) भी मनाते हैं, यह मुहम्मद की बारह दिनों की बीमारी और अंत में उनकी मृत्यु (रुख्सत होने) को याद करते हुए मनाया जाता है। मुस्लिम समुदाय के लोग अपनी मान्यताओं और प्राथमिकताओं के आधार पर इस त्यौहार को मनाते है।

 

पैगम्बर मुहम्मद का संक्षिप्त परिचय (About Prophet Muhammad in Hindi)

ऐतिहासिक ग्रंथों के मुताबिक इस्लाम के प्रमुख पैगंबर मुहम्मद (SAW) का जन्म सन् 570 में सऊदी अरब में हुआ था। इस्लाम के जानकारों के हिसाब से आपका जन्म इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने के 12वें दिन हुआ है।

पैगंबर मुहम्मद के वालिद (पिता) का नाम अब्दुल्लाह एवं माँ का नाम बीबी आमिनाह है, अपने 62 वर्ष के जीवनकाल में आपने इस्लाम धर्म की स्थापना की और सऊदी अरब का निर्माण किया जो अल्लाह की इबादत के लिए समर्पित है।

आपका इंतकाल 62 बरस की आयु में 8 जून 632 ई. को मदीना, सऊदी अरब में हुआ, अंग्रेजी कैलेंडर अनुसार जन्म और इंतकाल (मृत्यु) दोनों ही 8 जून को हुआ था।

 

ईद-ए-मिलाद-उन-नबी क्यों मनाते हैं? (महत्व)

ईद-ए-मिलाद (उर्दू) और मिलाद-उन-नबी (अरबी) के नाम से जाना जाने वाला यह त्यौहार इस्लाम के आखरी पैगंबर हज़रत मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (SAW) के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाते है। आपका जन्म 8 जून, 570 ई. को मक्काह (सऊदी अरब) में हुआ था।

यह पर्व मुहम्मद के जीवन और उनकी शिक्षाओं को याद करने के अवसर के रूप में मनाया जाता है। मुसलमानों के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है, इस दिन पैगंबर के बताए गए रास्ते को याद करते हुए, इस्लाम के पवित्र ग्रंथ कुरान की तिलावत की जाती है।

मान्यता है कि इस दिन को जो व्यक्ति नियम से निभाता है वह अल्लाह के और भी करीब चला जाता है, इस्लाम धर्म को मानने वालों में यह एक प्रमुख त्योहार है।

 

ईद मिलादुन्नबी कैसे मनाते हैं? (Eid-e-Milad Celebration in India)

ईद मिलादुन्नबी के दिन इस्लामिक मान्यता वाले लोग पैगम्बर मुहम्मद के एक प्रतीक को शीशे के ताबूत में रखकर जुलूस निकालते हैं और हजरत मोहम्मद के जीवन का बखान करते हुए शांति संदेश देते हैं।

ईद-ए-मिलाद-उन-नबी पर लोग मिठाइयां और अन्य पकवान बांटते है, इस दिन शहद बाँटने का विशेष महत्व है। कई विद्वानों की माने तो ऐसा इसलिए क्योंकि शहद प्रोफेट मुहम्मद को सबसे ज्यादा अज़ीज था।

इस मौके पर मुस्लिम मस्जिदों में जाकर अल्लाह के लिए नमाज़ पढ़ते हैं, और उपदेश सुनते है, धार्मिक कार्यक्रम करते है और गीत गाते हैं।

हालाँकि मुहम्मद का जन्मदिन खुशी मनाने का अवसर होता है, लेकिन इस दिन शोक भी मनाया जाता है। जिसके पीछे की वजह रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन ही प्रॉफेट मुहम्मद का इंतकाल है।

 

 

डिस्क्लेमर: यह सभी जानकारी एतिहासिक और धार्मिक तथ्यों के आधार पर तय किए गए है, HaxiTrick.Com इसकी पुष्टि नहीं करता।