बंदी छोड़ दिवस 2022: दिवाली के दिन क्यों मनाते है? गुरु हरगोबिंद जी का इतिहास और कहानी

Bandi Chhor Diwas 2022 Date: बंदी छोड़ दिवस और गुरु हरगोबिंद साहिब का इतिहास और कहानी (Story)

सिक्ख समुदाय (Sikhism) के लोग कार्तिक माह की अमावस्या अथार्त दिवाली के दिन को ‘बंदी छोड़ दिवस‘ (Bandi Chhor Diwas) के रूप में मनाते हैं, यह दिन सिक्खों के छठे गुरू श्री हरगोबिंद साहिब जी की मुगल बादशाह जहांगीर की कैद से आजादी मिलने के उपलक्ष्य में हर साल मनाया जाता है। इस साल 2022 में यह पर्व 24 अक्टूबर को मनाया जा रहा है।

बन्दी छोड़ दिवस (ਬੰਦੀ ਛੋੜ ਦਿਵਸ) (Day of Liberation) का मतलब है बंदी यानी कैदी, छोड़ यानी रिहा करना, दिवस यानी दिन, मतलब की ऐसा दिन जिस दिन कैदियों की रिहाई की गई हो। परंतु ऐसे कौन से कैदी थे जिनकी रिहाई के दिन को सिख समुदाय में इतनी धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया जाता है आइए जानते हैं इसके बारे में।

Bandi Chhor Diwas & Guru Hargobind Ji in Hindi
Bandi Chhor Diwas & Guru Hargobind Ji in Hindi

 

बन्दी छोड़ दिवस क्यों मनाया जाता है?

सिखों के छठवें गुरु श्री हरगोविंद साहेब और उनके द्वारा 52 राजाओं की मुगल बादशाह जहांगीर की कैद से रिहाई को बंदी छोड़ दिवस के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। बताया जाता है कि जब गुरु श्री हरगोबिंद साहिब जी जहांगीर की कैद से रिहा होकर आए तो बाबा बुड्ढा जी की अगुवाई में गुरु जी के अमृतसर साहिब में पहुंचने पर वहां दीपमाला की गई और तभी से यह दिवस मनाने की शुरुआत हुई।

सिख समुदाय के लोगों ने इस दिन को बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना हैं और अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को दीए और लाइटों से जगमग किया जाता है, तथा इस दिन गुरुद्वारों में शब्द कीर्तन तथा अरदास की जाती है।

 

बंदी छोड़ दिवस और गुरु हरगोबिंद साहिब का इतिहास (Story & History)

श्री गुरु अर्जन देव जी की शहीदी के बाद गुरु हरगोबिंद जी (Guru Hargobind Ji) ने लोगों की परेशानियां एवं शिकायतें सुननी शुरू कर दी परंतु मुगल सल्तनत द्वारा इसे बगावत समझा गया और आपको (गूरूजी को) ग्वालियर के किले में कैद कर लिया गया इसी किले में 52 अन्य राजा भी कैदी बनाकर रखे गए थे।

गुरु हरगोबिंद साहिब जी को बंदी बनाने के साथ ही जहांगीर मानसिक रोग से ग्रस्त हो गया और उसे रात को अजीबोगरीब सपने आने लगे जिसमें उसे उसकी मृत्यु के लिए शेर आते दिखाई देते। ऐसे में वह रातों को सो नहीं पाता था उसने लंबे समय तक अपना इलाज कराया परंतु हकीम और वेदों के इलाज से भी उसे इस रोग से मुक्ति ना मिल सकी।

अंत में वह थक हार कर साईं मियां पीर जी की शरण में गया साईं जी ने उन्हें समझाया कि रब के प्यारों को तंग करने का ही यह फल है और बताया कि गुरु हर गोबिंद सिंह साहिब जी जिसे तूने कैद में रखा है वह रब का बंदा है और तूने उनके पिताजी को भी शहीद करवाया।

ऐसे में जहांगीर कि इस बीमारी से छुटकारा दिलाने के लिए साईं ने उसे सलाह दी कि वह गुरु जी को रिहा कर दे, जहांगीर ने भी उनकी बात मान ली और गुरु हरगोविंद साहिब जी को रिहा करने का फैसला लिया। परंतु गुरु जी ने अकेले रिहाई की बात को नकार दिया और कहा कि वह किले से बाहर तभी जाएंगे जब सभी 52 राजाओं को भी उनके साथ रिहा किया जाए।

 

52 कलियों वाला चोगा

बादशाह जहांगीर राजाओं को छोड़ना नहीं चाहता था इसीलिए उसने एक तरकीब लगाई और गुरु जी से कहा कि जो भी आप का दामन पकड़ कर बाहर जा सकता है उसको रिहा कर दिया जाएगा क्योंकि वह चाहता था कि कम से कम राजा ही वहां से बाहर जा सके।

ऐसे में गुरु जी ने सभी 52 राजाओं को रिहा करने के लिए एक विशेष 52 कलियों वाला चोगा तैयार कराया और सभी राजाओं ने चोगे की एक-एक कली को पकड़ लिया और गुरुजी के साथ वे सभी 52 राजा रिहा हो गए। इसलिए गुरु जी को ‘बंदी छोड़ दाता’ भी कहा जाता है।

गुरुजी की रिहाई के बाद अमृतसर साहब पहुंचने पर वहां दीपमाला की गई और वह दिन दिवाली का ही था तथा तभी से लेकर आज तक दिवाली के त्यौहार को अमृतसर में काफी धूमधाम से मनाया जाता है और सिख समुदाय के लोगों के बीच इसका काफी ज्यादा महत्व भी है।

Happy Bandi Chhor Diwas Ki Hardik Shubhkamnaye 2022
Happy Bandi Chhor Diwas Ki Hardik Shubhkamnaye 2022

 

कैसे मनाया जाता है बंदी छोड़ दिवस (Bandi Chhor Diwas Celebration)

इस दिन सिखों द्वारा गुरुद्वारों में कीर्तन तथा अरदास की जाती है और दिवाली की तरह ही इस त्यौहार को दीए जलाकर रोशन करके मनाते हैं। नगर कीर्तन और गुरु ग्रंथ साहिब के अखण्ड पाठ के अलावा, यह पर्व आतिशबाजी के साथ मनाया जाता है। श्री हरमंदिर साहिब, तथा पूरे परिसर को हजारों झिलमिलाती लाइटिंग से सजाया जाता है, और भारी मात्रा में लोग यहाँ मत्था टेकने आते है।

 

 

अन्तिम शब्द

भारत में बहुत कम लोगों को सिखों द्वारा राष्ट्रीय हित एवं विभिन्न धर्मों के लिए दी गई कुर्बानियों के बारे में पता है। सिक्खों के महान इतिहास को भी किताबों में काफी कम जगह दी जाती है। परंतु सिख धर्म के महान गुरूओं और उनके बन्दों ने मानवता और धर्म की रक्षा के लिए कई भयंकर युद्ध लड़े हैं और शहीद भी हुए उनकी कुर्बानियों को जरा भी नकारा नहीं जा सकता।

आप से गुजारिश है कि कृपया इस लेख को ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर करें ताकि उन्हें सिक्खों द्वारा दी गई धर्म और राष्ट्र हित एवं मानवता के लिए कुर्बानियों के बारे में पता चल सके और वे भी सिखों के इस त्यौहार बंदी छोड़ दिवस (Bandi Chhor Diwas 2022) के बारे में जान सके।

आप सभी को HaxiTrick.com की तरफ से बंदी छोड़ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। Happy Bandi Chhor Diwas!

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