Chandrayaan-2 का क्या हुआ? क्यों फेल हुआ और क्या था Lander से संपर्क टूटने का कारण?
इस साल 2023 में भारत के Chandrayaan-2 Mission के 4 साल पूरे हो गए हैं, 22 जुलाई 2019 को सतीश धवन स्पेस सेंटर के सेकंड लांच पैड से इसरो का chandrayaan-2 मिशन जीएसएलवी मार्क 3 m1 रॉकेट के जरिए चांद पर भेजा गया था। लेकिन आज भी कुछ लोगों के मन में यह सवाल है कि chandrayaan-2 मिशन फेल हो गया या सफल हुआ? ऐसे में यहाँ हम आपको यह लूनर मिशन कितना सक्सेसफुल रहा या Fail हुआ के बारे में बताने जा रहे हैं।
आपको याद दिला दें कि Lander विक्रम के चाँद पर उतरने के 3 घंटे बाद प्रज्ञान रोवर को इसमें से चंद्रमा की धरती पर उतर कर वहां की सतह की जानकारी लेते हुए 14 दिन तक काम करना था। परंतु लैंडिंग से 13 मिनट पहले ही इससे संपर्क टूट जाना हर भारतवासी के दिल को थोड़ा जरूर को कचोटता है।
आइए आपको चंद्रयान 2 मिशन के लैंडर का क्या हाल हुआ? Chandrayaan-2 का वास्तव में क्या Purpose था और यह सफल हुआ या नही इसके बारे में जानने और अगले चन्द्र मिशन में Chandrayaan-2 के योगदान के संदर्भों के बारे में जानने का प्रयास करते है।
विषय सूची
Chandrayaan 2 मिशन के Lander का क्या हुआ?
ISRO द्वारा लांच किए गए चंद्रयान 2 के विक्रम लैंडर को 7 सितंबर 2019 को रात के 1 बजकर 53 पर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी और रोवर प्रज्ञान को चांद की सतह पर उतर कर चाँद की जानकारी इकट्ठा करनी थी, परंतु सब कुछ इसरो की योजना के अनुसार ना हो सका और चांद की सतह पर उतरने से मात्र 2.1 किलोमीटर पहले ही ISRO का संपर्क विक्रम लैंडर से टूट गया।
और जब लैंडर चांद पर अपनी लैंडिंग की ओर बढ़ रहा था तब इसकी रफ्तार करीबन 21,600 किलोमीटर प्रति घंटे की थी और लैंडिंग के वक्त इसे करीबन 7 किलोमीटर प्रति घंटा तक होना हो जाना चाहिए था जिससे यह चंद्रमा की सतह पर आसानी से लैंड हो सके।
और वैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी रफ्तार कम भी हो रही थी और इसने चांद की सतह से करीबन 5 किलोमीटर ऊपर की रफ ब्रेकिंग फेज को भी पार कर लिया था परंतु इसके बाद स्थिति में थोड़ा सा बदलाव आया और Landing से 13 मिनट पहले ISRO का संपर्क लैंडर से टूट गया। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि 18 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से लैंडिंग होने पर भी यह चंद्रमा पर सुरक्षित उतर सकता था।
चंद्रयान-2 फेल क्यों हुआ? (Why Chandrayaan 2 Mission Failed?)
चंद्रयान -2 क्रैश लैंडिंग: एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान इसरो के चीफ ‘के सीवन‘ ने उन संभावित कारणों का भी जिक्र किया, जिनके कारण चंद्रयान -2 के विक्रम लैंडर की क्रैश लैंडिंग हुई थी। उन्होंने बताया कि 15 मिनट के सॉफ्ट लैंडिंग चरण के दौरान इसकी गति को घटाया जाना था, जो सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ लेकिन अचानक संपर्क टूट जाने से दूसरे चरण में वेग (गति) कम नहीं हुई, जिसके परिणामस्वरूप, तीसरे चरण में, लैंडर नियंत्रण से बाहर हो गया, जिससे यह लैंडिंग कठिन हो गई।
हालांकि अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि लैंडर कि चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग हुई या यह क्रैश हो गया था। परंतु इसरो का संपर्क अब भी Orbiter से बना हुआ है जो अभी चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है।
क्या था चंद्रयान 2 के लैंडर का संपर्क टूटने का कारण?
कुछ वैज्ञानिकों ने इससे संपर्क टूटने के संभावित कारण की जानकारी देते हुए कहा कि संपर्क टूटने का अर्थ यह नहीं कि लेंडर की सेफ लैंडिंग नहीं हुई या वह क्रैश हो गया संपर्क टूटने का एक कारण लेंडर में आई तकनीकी खराबी या रोवर को ठीक तरह से ना मिल पाने वाली ऊर्जा भी हो सकती है।
आपको बता दें कि Vikram Lander को चाँद पर सफलतापूर्वक Land कराने के लिए इसमें 5 बड़े Thrusters लगाये गए थे, और चाँद के गुरुत्वाकर्षण के साथ संतुलन बनाने के लिए इसके दोनों तरफ छोटे थ्रस्टर्स भी लगे थे।
परन्तु ऐसा माना जा रहा है कि लैंडर की गति तेज होने के कारण फ्यूल में उछाल की वजह से यह थ्रस्टर्स तक पूरी तरह से नहीं पहुँच पाया है और इनके ठीक तरह से काम न करने के कारण इसका संतुलन बिगड़ गया होगा।
ऐसे में अगर रोवर की लैंडिंग तय रफ्तार से अधिक तेजी से चंद्रमा की सतह पर हुई होगी तो वह क्रैश हो गया होगा और उससे आने वाले समय में भी संपर्क नहीं हो सकेगा।
आपको यह भी बताते चलें कि विक्रम लैंडर को चांद की सतह पर उस जगह उतरना था जहां दो बड़े गड्ढे थे ऐसे में विक्रम लैंडर को चंद्रमा की सतह से 100 मीटर ऊपर पहुंच कर यह अनुमान लगाना था की लैंडिंग के लिए कौन सी जगह अनुकूलित है।
यानी कि वहां कोई पत्थर या कोई मार्ग अवरोधक वस्तु तो नहीं और सतह कितनी समतल है जिससे चंद्रमा पर प्रज्ञान रोवर को आसानी से चंद्रमा की सतह पर उतर कर इसका निरीक्षण करने में आसानी हो।
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Chandrayaan-2 कितना Successful रहा या Fail हुआ?
जो लोग यह सोच रहे हैं कि chandrayaan-2 में चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड नहीं किया इसलिए इसे Fail कहा जाना चाहिए तो हम आपको बता दें chandrayaan-2 का मकसद केवल चांद पर लैंड करना ही नहीं था…
इसके अलावा भी इसके कई दूसरे Purpose भी थे। जिन्हें Chandrayaan-2 ने सफलतापूर्वक पूरा किया है।
इसरो के एक बड़े अधिकारी के अनुसार विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का चंद्रयान मिशन में केवल 5% हिस्सा था बाकी का 95% भाग ऑर्बिटर का था जो बिल्कुल सुरक्षित है।
और यह 7 साल तक चंद्रमा की पूरी जानकारी इसरो को देता रहेगा और यह चांद का एक नक्शा भी तैयार करेगा जो आने वाले समय में किए जाने वाले मिशन में काम आ सकेगा। चंद्रयान 3 मिशन के लिए Chandrayaan-2 मिशन की अहम भूमिका होगी।
Lander और Rover का क्या काम था?
Chandrayaan-2 मिशन से जुड़े विक्रम और प्रज्ञान लैंडर का काम चंद्रमा की सतह के बारे में इंफॉर्मेशन इकट्ठा करना था जिसके तहत वह चांद के वातावरण जैसे तापमान और चंद्रमा पर होने वाली विभिन्न गतिविधियों जैसे भूकंप आदि की जानकारी इकट्ठा करना था।
चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर को किसी भी और Orbiter के मुकाबले काफी कम खर्चे में तैयार किया गया था और इसका काम चांद पर पानी का पता लगाना और चंद्रमा का नक्शा तैयार कर उसकी फोटो भेजना था। इसके साथ ही इसके कई और महत्वपूर्ण काम थे जो वह अभी भी कर रहा है। इसने ही चाँद की बाहरी सतह पर आर्गन 40 होने का भी पता लगाया था।
अंतिम शब्द
दोस्तों Chandrayaan-2 मिशन के 4 साल पूरे होने पर आप सभी को HaxiTrick.Com की तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं। और हम आशा करते हैं कि आने वाले समय में Chandrayaan-3 चांद के इस मिशन में काफी अहम भूमिका निभाएगा और भारत को जरुर कामयाबी मिलेगी।
Chandrayaan-2 मिशन की वर्षगांठ (Anniversary) पर आपको chandrayaan-2 की कामयाबी और विफलता यह जानकारी कैसी लगी? हमें कमेंट करके जरूर बताएं और आपके हिसाब से चंद्रयान 2 मिशन कितना सफल है? इसके बारे में भी आप कमेंट में अपने सुझाव जरूर दें।