गणेश चतुर्थी कब है 2023 में? शुभ मुहूर्त, कथा, पूजा विधि और महत्व

Ganesh Chaturthi 2023: गणेश जन्मोत्सव, कथा और शुभ मुहूर्त के बारें में पूरी जानकारी हिंदी में

2023 में गणेश चतुर्थी कब है? गणेश या विनायक चतुर्थी हिन्दू पंचांग (कैलेंडर) के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनायी जाती है, यह हर साल अगस्त या सितम्बर महीने में पड़ती है। इस साल 2023 में विनायक चतुर्थी 19 सितंबर को मंगलवार के दिन मनाई जा रही है और अनंत चतुर्दशी (विसर्जन) 28 सितम्बर को है।

देवताओं में ईष्ट भगवान गणेश के जन्मोत्सव पर भक्त गणपति की प्रतिमा को पंडाल या घर में स्थापित करते है और 10 दिन तक विधिवत पूजा करने के बाद विसर्जन के साथ गणेशोत्‍सव पर्व संपन्‍न होता है। आइए अब इस साल गणेश चौथ व्रत कब है? शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और कथा के बारे में विस्तार से जानते है।

ganesh chaturthi 2023 Kab Hai
ganesh chaturthi 2023 Kab Hai

Ganesh Chaturthi 2023 Date & Time
उत्सव:गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी तिथि:भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी
तारीख़:मंगलवार, 19 सितंबर 2023
गणपति स्थापना मुहूर्त:सुबह 11:07 से दोपहर 01:34 (19 सितंबर 2023)
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि:18 सितंबर, दोपहर 02:09 से 19 सितंबर, दोपहर 03:13
गणपति विसर्जन:गुरूवार, 28 सितंबर
अनुयायी:हिंदू, सनातनी

 

गणेश चतुर्थी 2023 का शुभ मुहूर्त कब है? (Ganesh Chaturthi Sthapana Muhurat)

हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस साल गणेश चतुर्थी मंगलवार, 19 सितंबर 2023 को है, इस बीच सुबह 11:07 बजे से दोपहर 1:34 बजे तक गणपति स्थापना एवं पूजा का शुभ मुहूर्त है। हालांकि पौराणिक कथाओं के अनुसार गौरी पुत्र गणेश का जन्म दोपहर के समय हुआ था इसीलिए इस दिन दोपहर के समय विघ्नहर्ता की पूजा करना शुभ माना जाता है। आपको बता दें कि भादों शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि, 18 सितंबर की दोपहर 02:09 बजे से शुरू होगी और 19 सितंबर को दोपहर 03:13 बजे समाप्‍त होगी।


Vibhuvana Sankashti Chaturthi 2023: तीन साल में एक बार आने वाला विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत इस साल 04 अगस्त 2023 को है। विभुवन संकष्टी चतुर्थी का व्रत अधिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है और इस दिन विघ्नहर्ता गणेश की पूजा की जाती है।

गणेश भगवान 108 नामों से विश्वविख्यात हैं अगर इनके 12 संकट मोचन नामों की बात करें तो यह है: सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्ण, लंबोदर, विकट, विनायक, धूम्रकेतु, गण अध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन, सिद्धिविनायक और विनाशक।

 

गणेश या विनायक चतुर्थी के दौरान क्या ना करें?

गणेश चतुर्थी के दौरान कभी भूल से भी चंद्रमा के दर्शन ना करें ऐसा करने से आप पर कोई झूठा आरोप या कलंक लग सकता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार गणेश जी के गजानन रूप को देख चंद्रमा की हंसी निकल गई थी जिसके बाद उन्होंने चाँद को श्राप दे दिया था।

यहाँ देखें: गणेश जी के बेस्ट गाने/आरती/भजन

 

गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है? (महत्व)

सभी देवताओं में सबसे अधिक बुद्धिमान देव गणेश जी की जयंती को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। भारतीय संस्कृति में गणेश जी को सुख समृद्धि लाने और विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि उनके जन्मोत्सव पर पूरी श्रद्धा से सिद्धि विनायक की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और सिद्धियां प्राप्त होती हैं।

भारत के वीर मराठा छत्रपति शिवाजी महाराज ने गणेश चतुर्थी को एक सार्वजनिक समारोह के रूप में घोषित किया था।

भारत में महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में इसे काफी धूमधाम से मनाया जाता है इसके आलावा अन्य देशों (नेपाल, श्रीलंका, अफगानिस्तान, इंडोनेशिया, थाईलैंड, कंबोडिया और चीन) में भी गौरी पुत्र के जन्मोत्सव की धूम देखने को मिलती है।

 

गणेश चतुर्थी 2023 पूजा विधि (Ganesh Chaturthi Puja Vidhi)

  • गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करें।
  • इस दिन साफ़ और स्वच्छ कपड़े पहने और घर के पुजा स्थल या मंदिर को अच्छी तरह साफ़ कर लें।
  • एक आसन या चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और गणपति जी को विराजित करें।
  • अब स्थापित की गयी मूर्ति या फोटो की विधिवत पूजा कर पुष्प, रोली, अक्षत, चंदन, माला, फल आदि अर्पित करें। इस दौरान गणेश जी का मन्त्रों का जाप करें।
  • भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाएं और उनकी आरती उतारें।
  • पूजा सम्पन्न होने के पश्चात् दान आदि करें।

गणेश जी के मंत्र:

ॐ गण गणपतये नमः

ॐ गणेशाय नमः

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभा
निर्विघ्नम कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।

 

 

गणेश जी की जन्म की कहानी (कथा)?

हिंदू धार्मिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार श्री गणेश का जन्म देवी पार्वती के शरीर से उतरे चंदन के लेप से हुआ था और जब वो स्नान के लिए गई तो गणेश को अपनी पहरेदारी के लिए बाहर खड़ा किया।

इस दौरान जब भगवान शिव (पार्वती के पति) जब आए तो अपने पिता से अनजान गौरी पुत्र ने उन्हें अंदर जाने से रोकने का पर्यास किया। जिसके फलस्वरूप उन्हें द्वार से हटाने के लिए बड़े से बड़े देवता उनसे युद्ध करने आए परन्तु उनका सामना नहीं कर सके।

अंततः क्रोध में आकर शिवजी ने अपने पुत्र गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया, और जब देवी पार्वती को इस बात का पता चला तो वह भगवान शिव से नाराज हो गई।

सच्चाई का पता चलने के बाद भगवान शिव ने उनके प्राण वापस लाने का वादा किया और बहुत खोजने के बाद उन्हें एक हाथी के बच्चे का सिर/धड़ मिला और उन्होंने वही सिर गणेश को लगाकर उन्हें जीवनदान दे दिया। तभी से उन्हें ‘गजानन’ कहा जाता है।

लेकिन बहुत सी कहानियों के अनुसार देवताओं के भगवान शिव से अनुरोध करने पर भगवान शिव और पार्वती ने गणेश को बनाया था, जिससे वे राक्षसों का वध कर सके और यही कारण है कि उन्हें ‘विघ्नहर्ता’ भी कहा जाता है।

 

कैसें मनाया जाता है गणेश उत्सव?

भगवान गणेश बुद्धि और समृद्धि के प्रतीक हैं वहीं लोग Ganesh Chaturthi के दिन गणपति बप्पा की मिट्टी की प्रतिमा बनाते हैं या फिर बाज़ार खरीद कर लाते हैं और विधि-विधान से शुभ महूर्त में पूजा कर इसे अपने घर में स्थापित करते हैं।

10 दिन तक उनकी भक्ति-आराधना करते हैं और उनके बाद अनंत चतुर्दशी आथार्त गणेश विसर्जन के दिन उन्हें नदी या बहते जल विसर्जित कर दिया जाता है। इससे पहले बाजारों में Lord Ganesha की बहुत सारी प्रतिमाएं बिकनी शुरू हो जाती हैं।

गणेश उत्सव हिन्दुओं का बहुत प्रिय त्यौहार है यह पूरे भारत में बेहद भक्ति भाव और खुशी के साथ मनाया जाता है। वहीं महाराष्ट्र में तो इसका काफी ज्यादा महत्व है।

आप सभी को HaxiTrick.Com की तरफ से गणेश चतुर्थी व अनंत चतुर्दशी की हार्दिक शुभकामनाएं।

डिसक्लेमर: यह लेख सामान्य जानकारियों के आधार पर लिखा गया है HaxiTrick.com इसकी पुष्टि नहीं करता।