विश्वकर्मा पूजा कब है 2023? क्यों मनाते है? शुभ मुहूर्त और पूजा विधि (Vishwakarma Day Photos)

Vishwakarma Puja 2023: विश्वकर्मा जयंती कब और क्यों मनाया जाता है? शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और शुभकामना फोटोज

Vishwakarma Puja Kab Hai 2023: निर्माण एवं सृजन के देवता तथा तकनीकी जगत के भगवान विश्वकर्मा की जयंती इस साल 17 सितंबर 2023, को रविवार के दिन है। विश्वकर्मा डे का त्यौहार दिवाली के अगले दिन भी मनाया जाता है, जो इस साल 2023 में विश्वकर्मा डे 15 नवम्बर को बुधवार के दिन पड़ रहा है।

ऐसा माना जाता है की अगर इस दिन कोई कारोबारी या व्यवसायी व्यक्ति भगवान विश्वकर्मा की पूजा करें तो उसे तरक्की मिलती है। यह त्यौहार भारत में दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और कर्नाटक आदि राज्यों में मनाया जाता है। आइए अब आपको Vishwakarma Day का Shubh Muhurat और Puja Vidhi के बारे में बताते है।

Happy Vishwakarma Day 2023 Kab Hai Date

 

 

विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त कब है? (कन्या संक्रांति)

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, विश्वकर्मा जी का जन्म भद्रा के अंतिम दिन (कन्या संक्रांति) के दिन हुआ था। इसलिए उनकी जयंती को प्रत्येक वर्ष कन्या संक्रांति (ज्यादातर 16-17 सितम्बर) को ही मनाया जाता है।

इस साल कन्या संक्रांति तिथि रविवार, 17 सितंबर 2023 को है और विश्वकर्मा जयंती और मशीन-वाहनों की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त 17 सितंबर को सुबह 07:35 बजे से सुबह 09:10 बजे तक रहेगा। तो वहीं दोपहर में 01:45 बजे से शाम 04:53 बजे तक भी पूजा के लिए शुभ समय रहेगा। (*शुभ मुहूर्त का समय बदल सकता है।)

ऐसा माना जाता है कि यमगंड, गुलिक काल और राहुकाल के दौरान पूजा नहीं करनी चाहिए।

कुछ कथाओं के अनुसार विश्वकर्मा जी का जन्म देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुंद्र मंथन के दौरान हुआ माना जाता है। इसलिए दीवाली के अगले दिन भी उनकी पूजा की जाती है। Vishwakarma Day after Diwali 2023 Date: Wednesday, 15th November 2023.

विश्वकर्मा जयंती डेट 2024, 2025 & 2026
वर्षतिथि एवं दिन
202317 सितम्बर (रविवार)
202416 सितंबर (सोमवार)
202517 सितंबर (बुधवार)
202617 सितंबर (गुरूवार)

 

विश्वकर्मा जयंती क्यों मनाई जाती है? (महत्व)

मान्यता है कि इस दिन घर में रखे हुए लोहे, मशीनों और वाहनों आदि की पूजा करने से वह जल्दी खराब नहीं होते और भगवान उन पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं।

यह भी मान्यता है कि इस दिन जो कारोबारी विश्वकर्मा भगवान की उपासना करते हैं उन्हें अपने कार्य में तरक्की मिलती है। अथार्त यह पूजन कारोबार में वृद्घि करने के साथ ही आपको धनवान बनाने का भी काम करता है।

महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे भारत के उत्तर और पश्चिमी भागों में इसे माघ शुक्ल की त्रयोदशी तिथि (जनवरी-फरवरी में) को मनाया जाता है।

 

 

विश्वकर्मा जी की पूजा कैसे करें? (Vishvakarma Puja Vidhi)

भगवान विश्वकर्मा की विधि-विधान से की गई पूजा-अर्चना विशेष फल देती है। इसके लिए फैक्टरी, वर्कशॉप, ऑफिस, दुकान आदि के मालिक को स्नान करके अपनी पत्नी के साथ पूजा के लिए बैठना होता है।

जरूरी सामग्री: अक्षत, चंदन, फल, फूल, धूप, अगरबत्ती, दही, रोली, सुपारी, रक्षा सूत्र, मिठाई, आदि को एक साथ रख लें।

  • सबसे पहले अष्टदल की बनी रंगोली पर सतनजा बनाएं।

  • पूर्ण विश्वास तथा श्रद्धा के साथ विश्वकर्मा जी की मूर्ति/फोटो पर फूल चढाए।

  • इसके बाद सभी मौजूद औजारों पर तिलक और अक्षत लगाएं फिर फूल चढ़ाकर और सतनजा पर कलश रख दें।

  • इसके बाद कलश को रोली-अक्षत लगाएं फिर दोनो को हाथ में लेकर निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करें।
  • ॐ पृथिव्यै नमः
    ॐ अनंतम नमः
    ॐ कूमयि नमः
    ॐ श्री सृष्टतनया सर्वसिद्धया विश्वकर्माया नमो नमः

  • इसके बाद शुद्ध जल या गंगा जल लेकर सभी मशीनों, औजारों और कलश पर चारों तरफ छिड़क दें।

  • अब हल्‍दी, अक्षत, फूल और फल-मिठाई आदि अर्पित करें।

  • इसके बाद आरती करें और प्रसाद को सभी में बांट दें।

 

 

Happy Vishwakarma Puja 2023 Images: विश्वकर्मा पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं फोटो

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विश्वकर्मा जयंती की हार्दिक शुभकामनायें फोटो
विश्वकर्मा जयंती की हार्दिक शुभकामनायें फोटो

हैप्पी विश्वकर्मा डे 2023 फोटो, इमेजेज Picture

Happy Vishwakarma Pooja Wishes Photos Pics in Hindi Font
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विश्वकर्मा जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ फोटो इमेजेज़, पिक्चर

Vishwakarma Jayanti Ki Subhkamnaye Pics  Wallpaper
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भगवान विश्वकर्मा कौन है?

सनातन धर्म में भगवान विश्वकर्मा को ही सृजन और निर्माण का देवता और सभी रचनाकारों और शिल्पकारों का भी ईष्ट देव माना गया है। वह दुनिया के पहले इंजीनियर तथा एक काबिल वास्तुकार भी है।

पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार विश्वकर्मा ब्रह्मा जी के पुत्र धर्म की सातवीं संतान वास्तु के पुत्र थे। इस तरह वास्तुकला के आचार्य भगवान विश्वकर्मा के पिता वास्तुदेव तथा माता अंगिरसी हैं।

 

भगवान विश्वकर्मा द्वारा किए गए निर्माण कार्य?

विश्वकर्मा जी ने इस सृष्टि को सजाने-संवारने का काम किया, वे देवताओं के अस्त्र-शस्त्र, आभूषण तथा महल आदि बनाने का काम किया करते थें। उन्होंने ही सतयुग में स्वर्गलोक, त्रेतायुग में सोने की लंका, द्वापर युग में द्वारिका नगरी और कलियुग में यमपुरी, वरुणपुरी, पांडवपुरी, कुबेरपुरी, शिवमंडलपुरी तथा सुदामापुरी के साथ साथ भगवान जगन्नाथ, बलभद्र एवं सुभद्रा की विशाल मूर्तियों आदि का निर्माण किया।

ऋगवेद में इनके महत्व का वर्णन 11 ऋचाएं लिखकर किया गया है।

 

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. HaxiTrick.Com इसकी पुष्टि नहीं करता है।