इंजिनियर्स डे 2024: अभियंता दिवस (मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया जयंती)

महान अभियंता सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती के उपलक्ष्य में वर्ष 1967 से हर साल 15 सितंबर को भारत में राष्ट्रीय इंजीनियर दिवस के रूप में मनाया जाता है।

Engineers Day 2024: राष्ट्रीय अभियंता दिवस कब और क्यों मनाया जाता है? Theme, इतिहास और महत्व (मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया)

इंजिनियर दिवस 2024: वर्ष 1967 से ही भारत रत्न से सम्मानित देश के महान इंजीनियर सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया जी की स्मृति में 15 सितम्बर को उनकी जयंती को राष्ट्रीय अभियंता दिवस (Engineer’s Day) के रूप में मनाया जाता है। इस साल 2024 में हम 57वां इंजीनियर डे और सर एम.वी की 164वीं जन्म जयंती मना रहे है।

2020 से वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ इंजीनियरिंग ऑर्गेनाइजेशन (WFEO) और IESF के सहयोग से UNESCO द्वारा 4 मार्च को ‘एक सतत विश्व के लिए विश्व इंजीनियरिंग दिवस‘ के रूप में नामित किया गया है। यहाँ हम आपको भारत में अभियंता दिवस कब और क्यों मनाया जाता है? इंजीनियर्स डे की थीम और इतिहास के बारे में बताने जा रहे है।

Engineers day kyu manaya jata hai hindi
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National Engineer’s Day के बारे में जानकारी:
नाम:राष्ट्रीय अभियंता दिवस (National Engineer’s Day)
स्मृति दिवस:सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया
तिथि:15 सितंबर (वार्षिक)
स्थापित:वर्ष 1967
उद्देश्य:देश के सभी इंजिनियरों को उनके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्यों के लिए सम्मानित करना।
थीम:Engineering for a Sustainable Future

 

Engineers Day कब मनाया जाता है? (इतिहास)

वर्ष 1967 में भारत सरकार ने देश के महान इंजीनियर डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया जी द्वारा किए गए उनके कार्यों को सम्मानित करने के लिए 15 सितंबर को उनकी जयंती पर Engineer’s Day (अभियन्ता दिवस) मनाने की घोषणा की थी।

सिंचाई, बाँध व बाढ़ नियंत्रण के क्षेत्र में किए गए उनके असाधारण व उल्लेखनीय कार्यों के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। एम् विश्वेश्वरैया को आधुनिक भारत का विश्वकर्मा (रचनाकार) भी माना जाता है उन्होंने अपनी प्रतिभा की बदौलत भारत को एक नया रूप दिया।

Rashtriya Engineer Diwas - 15 September
Rashtriya Engineer Diwas – 15 September

एम. विश्वेश्वरैया जी को 1955 में उत्कृष्ट इंजिनियर के तौर पर सफलतम कार्य करने के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उन्हें ‘फादर ऑफ़ इंडियन इंजीनियरिंग’ भी कहा जाता है।

 

इंजीनियर दिवस क्यों मनाते है? (उद्देश्य)

इंजीनियर डे मनाने का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र निर्माण में भूमिका निभाने वाले देश के समस्त इंजिनियरों को सम्मानित करना और देश के उत्थान में किए गए उनके योगदानों की सराहना करना है।

साथ ही इसका लक्ष्य हमारे देश के युवाओं को इंजीनियरिंग के करियर के प्रति प्रेरित करना, तथा प्रसिद्ध भारतीय अभियंता एम. विश्वेश्वरैया जी की उपलब्धियों को मान्यता देना और उनके द्वारा किए गए कार्यों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करना है।

वैसे तो मोक्षागुंडम जी ने अलग-अलग फील्ड में कार्य किया परंतु उन्हें शिक्षा एवं इंजीनियरिंग क्षेत्र में देश के लिए किए गए उनके असाधारण योगदान के लिए जाना जाता है।

 

 

इंजीनियर्स डे का महत्व

यदि भारत में इंजीनियरों की स्थिति की बात की जाए तो भारत में हर साल तकरीबन 20 लाख से ज्यादा Engineer तैयार होते हैं, जिनमें अलग-अलग क्षेत्र के इंजिनियर शामिल है जैसे कंप्यूटर साइंस, सिविल, इलेक्ट्रॉनिक, मैकेनिकल एवं केमिकल आदि।

साथ ही भारत दुनिया के उन अग्रणी देशों में से एक है जहां आईटी इंजीनियरों की भारी संख्या मौजूद है। इसके साथ ही एक रिपोर्ट की माने तो हर साल देश में तमाम तकनीकी शिक्षा संस्थानों में इंजीनियर बनने के लिए पढ़ाई करने वाले छात्रों (करीब 8 लाख़) में से लगभग 60 फ़ीसदी छात्र बेरोजगार ही रह जाते हैं।

अन्य आंकड़ों की माने तो हर साल औसतन 65% से 75% आईआईटी के छात्रों का कैंपस प्लेसमेंट नहीं हो पाता, ऐसे में इस संख्या को कम करने और इंजीनियरों की स्थिति में सुधार करने के लिए इंजीनियर डे मनाना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

 

अभियंता दिवस कैसे मनाते है? (हैप्पी इंजीनियर्स डे सेलिब्रेशन)

इंजिनियर डे के दिन सभी इंजिनियरों को बधाई दी जाती है। और ख़ास तौर पर इंजीनियरिंग कॉलेजों द्वारा कई रंगारंग कार्यक्रम किए जाते हैं।

साथ ही डॉ. विश्वेश्वरैया जी की मूर्ति पर श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है और उनके उल्लेखनीय कार्यों और अविष्कारों को लोगों के बीच उजागर किया जाता हैं।

इसके अलावा संस्थानों में तकनीकी प्रतियोगिताएं और कार्यशालाएं आयोजित की जाती है तथा छात्र विभिन्न तकनीकी परियोजनाओं का भी प्रदर्शन करते हैं।

आज सोशल मीडिया का दौर है इसलिए लोग एक दुसरे को शुभकामना संदेश देने के लिए फेसबुक, ट्विटर एवं Whatsapp आदि का इस्तेमाल करते है।

 

National Engineer’s Day 2024 Theme in Hindi

इस साल राष्ट्रीय इंजीनियर दिवस 2024 की थीम की आधिकारिक घोषणा होनी अभी बाकी है, हालांकि इस साल 04 मार्च को मनाए गए सतत विकास के लिए विश्व इंजीनियरिंग दिवस 2024 की थीम “एक स्थायी दुनिया के लिए इंजीनियरिंग समाधान” (Engineering solutions for a sustainable world) थी।

पिछली साल 2023 में नेशनल इंजिनियर्स डे को “सतत भविष्य के लिए इंजीनियरिंग” (Engineering for a Sustainable Future) विषय के साथ मनाया गया था। इससे पहले अभियंता दिवस 2022 की थीम “बेहतर दुनिया के लिए स्मार्ट इंजीनियरिंग” (Smart Engineering for a Better World) रखी गई थी।

2021 में यह दिन “COVID का मुकाबला करने में कौशल विकास और रोजगार के लिए इंजीनियर” (Engineers for Skill Development and Employment in combating COVID) विषय के साथ मनाया गया था।

National Engineer’s Day हर साल एक ख़ास Theme (विषय) के साथ मनाया जाता है ताकि इस दिन को एक अलग आकर्षण और उत्साह के साथ मनाया जा सके। यहाँ अभियन्ता दिवस की पिछले कुछ वर्षों की थीम्स दी गयी है:

  • 2020: आत्मनिर्भर भारत के लिए इंजीनियर्स (Engineers for a Self-Reliant India)
  • 2019: इंजीनियरिंग के लिए बदलाव (Engineering for Change)
  • 2018: ज्ञान युग के लिए इंजीनियरिंग चुनौतियां (Engineering Challenges for Knowledge Era)
  • 2017: विकासशील भारत में इंजीनियरों की भूमिका (Role of Engineers in a Developing India)
  • 2016: युवा इंजीनियरों के लिए कोर सेक्टर में सुधार के लिए कौशल विकास: विजन 2025, (Skill Development for Young Engineers to Reform the Core Sector: Vision 2025)
  • 2015: ज्ञान युग के लिए इंजीनियरिंग चुनौतियां, (Engineering Challenges for Knowledge Era)
  • 2014: भारतीय इंजीनियरिंग को विश्वस्तरीय बनाना, (Making Indian Engineering World-Class)
  • 2013: मितव्ययी इंजीनियरिंग-कम संसाधन के साथ अधिक प्राप्त करना (Frugal Engineering-Achieving More with Fewer Resources)

 

मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया कौन थे? (Mokshagundam Visvesvaraya biography in hindi)

प्रख्यात भारतीय इंजीनियर और राजनेता मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितम्बर, 1860 को कर्नाटक (तब मैसूर) राज्य के कोलर जिले में पड़ने वाले मुद्देनाहल्ली गाँव में हुआ था। इनकी माता का नाम वेंकचाम्मा था, तथा पिता श्रीनिवास शास्त्री आयुर्वेदिक डॉक्टर और संस्कृत के विज्ञाता थे।

उन्होने अपनी स्कूली शिक्षा चिकबल्लापुर से पूरी की, इसी बीच उनके पिता का देहांत हो गया और वे आगे की पढाई के लिए बैंग्लोर चले गए।

1881 में मद्रास यूनिवर्सिटी के सेंट्रल कॉलेज से बीए की परीक्षा पास करने के बाद उन्हें मैसूर सरकार से मदद मिली और उन्होंने पूना के साइंस कॉलेज में सिविल इंजीनियरिंग में एडमिशन ले लिया।

वर्ष 1883 में LCE और FCE (वर्तमान में BE के समान) Exam में उन्होंने प्रथम स्थान हासिल कर अभियन्ता बन गए और शुरूआत में उन्हें बोम्बे सरकार (नासिक) में असिस्टेंट इंजीनियर की जॉब मिली।

उन्होंने कई बांधों के निर्माण में अहम भूमिका अदा की और बाढ़ सुरक्षा प्रणाली को कुछ इस तरह से तैयार किया कि समस्त भारत में उन्हें एक कुशल अभियंता के तौर पर जाना जाने लगा।

 

मृत्यु (Death)

देश को अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए 102 वर्ष की आयु में 14 अप्रैल 1962 को M. Visvesvaraya का निधन हो गया। इससे पहले उनके 100वें जन्मदिन के अवसर पर भारत सरकार द्वारा उनके सम्मान में उनकी फोटो और नाम वाला स्टाम्प (डाक टिकट) निकाला था।

 

मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या द्वारा किए गए कुछ ऐतिहासिक कार्य

  • सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या जी एक महान इंजीनियर थे उन्होंने एक नई सिंचाई प्रणाली ब्लॉक सिस्टम की शुरूआत की और मैसूर स्थित कृष्णराज सागर बांध के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

  • इसके साथ ही उन्होंने वर्ष 1903 में पुणे स्थित खड़कवासाला जलाशय पर स्थापित स्वचालित वीर जल बाँध को डिजाइन और पेटेंट कराया।

  • उन्होंने बांध के दरवाजों पर भी काफी अधिक कार्य किया और ऐसे दरवाजे लगाए जिससे वह अधिक से अधिक बाढ़ का दबाव झेल सके।

  • अपने उद्घाटन के समय कावेरी नदी पर बना कृष्णराजा सागर बांध एशिया का सबसे बड़ा जलाशय था, जिसका निर्माण उनकी देखरेख में ही हुआ था।

  • विश्वेश्वरैया जी ने मैसूर सरकार के साथ काम करते हुए मैसूर की का काया पलट कर दिया इसीलिए उन्हें ‘मॉडर्न मैसूर स्टेट का जनक’ भी कहा जाता है।

  • उन्होंने मैसूर में विश्वेश्वरय्या कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के स्थापना करवाई साथ ही आयरन एंड स्टील फैक्ट्री, श्री जयचामाराजेंद्र पॉलिटेक्निक संस्थान, बेंगलुरु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, सेंचुरी क्लब, मैसूर चेंबर ऑफ कॉमर्स एवं यूनिवर्सिटी, मैसूर साबुन फैक्ट्री के साथ-साथ कई अन्य फैक्ट्रियों एवं शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना भी उन्होंने ही करवाई।

  • एम. विश्वेश्वरैया ने 1912 से 1918 तक मैसूर राज्य के ‘दीवान‘ के रूप में भी काम किया।

 

एम. विश्वेश्वरैया का व्यक्तित्व

आजकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले कई छात्र नशे के आदी हो जाते हैं परंतु एम. विश्वेश्वरैया जी एक आदर्शवादी, अनुशासन वाले तथा नशे से दूर रहने वाले एक महान व्यक्तित्व के धनी थे।

जिस समय वे भारत निर्माण में यह सभी महत्वपूर्ण कार्य कर रहे थे उस समय देश में ब्रिटिश साम्राज्य था परंतु उन्होंने कभी भी अपने कार्य में इसे बाधा नहीं बनने दिया और अपने कामों में जुटे रहे।

वह हमेशा गरीबी, अशिक्षा एवं बेरोजगारी जैसी समस्याओं को लेकर बड़े परेशान रहा करते थे ऐसे में जब उनकी नियुक्ति मैसूर में हुई तो उन्होंने वहाँ स्कूलों की संख्या में दुगनी से ज्यादा की बढ़ोतरी कर दी।

विश्वेश्वरैया जी को समय का बहुत पाबंद माना जाता है बताया जाता है कि वह कहीं भी 1 मिनट भी लेट नहीं होते थे।

उन्होंने अपने आप को कुछ इस तरह से फिट बनाया हुआ था कि वह 92 साल की उम्र में भी अपने पैरों पर बिना किसी सहारे के चलते थे।

 

अभियंता दिवस किसकी याद में मनाया जाता है?

15 सितंबर को भारत रत्न से सम्मानित भारतीय इंजीनियरिंग के जनक कहे जाने वाले देश के महान अभियंता सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया जी की जयंती होती है। इस दिन को भारत में राष्ट्रीय अभियंता दिवस (Engineers Day) के रूप में मनाया जाता है।

 

प्रथम महिला इंजीनियर का नाम क्या है?

तमिलनाड़ु की रहने वाली अय्यालासोमयजुला ललिता (Ayyalasomayajula Lalitha) को भारत की पहली महिला इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के रूप में याद किया जाता है। तो वहीं दुनिया की पहली महिला इंजीनियर एलिसा लेओनिडा जमफिरेसको (Elisa Leonida Zamfirescu) है।