वेंटिलेटर क्या है? इसका उपयोग और नुकसान

Ventilator Meaning in Hindi: जानिए इसका उपयोग और इसकी ज़रूरत

वेंटिलेटर श्वसनयंत्र या फेफड़ों के कृत्रिम श्वसन के लिए उपयोग में लाया जाने वाला एक यंत्र अथवा उपकरण होता है, इसकी मदद से मरीजों को आर्टिफिशियल सांस दिलाई जाती है। बिजली से चलने वाले इस उपकरण में ऑक्सीजन के सिलेंडर, मोटर और कंप्रेसर लगे होते हैं। इसमें लगी नलियों के जरिए मरीज के श्वसन तंत्र तक ऑक्सीजन पहुंचाई जाती हैं। इस तरह उस मरीज के शरीर में सुचारू रूप से ऑक्सीजन का संचार होता है।

आज के इस लेख में हम आपको Ventilator Machine क्या होती है तथा मशीन के प्रकार और यह कैसे काम करता है उसके बारे में बताने जा रहे हैं। साथ ही आपको इसकी कीमत (Price/Cost/Fees) तथा इसके नुकसान की जानकारी भी आपको आगे इस लेख में पढने को मिलेंगी।

ventilator machine meaning in hindi
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वेंटिलेटर क्या होता है?

Ventilator एक तरह की साँस लेने की मशीन या रेस्पिरेटर (श्वासयंत्र) होता है, जो किसी भी बीमार व्यक्ति को सांस लेने में मदद करने का काम करती है वेंटिलेटर की आवश्यकता उस समय पड़ती है जब कोई व्यक्ति गंभीर हालत में होता है और सास नहीं ले पाता। ऐसी हालत में मरीज़ की श्वसन नली तक कृत्रिम श्वास पहुंचाने के लिए उसके मुख (एंडोट्रैचियल ट्यूब), नाक या गले (एक ट्रेकियोस्टोमी ट्यूब) के माध्यम से एक् ट्यूब डाली जाती है।


Ventilator के प्रकार
यह मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं, नेगेटिव प्रेशर और पॉजिटिव प्रेशर वेंटीलेटर:

  • निगेटिव प्रेशर वेंटिलेटर (Extrathorasic) – इसे ऐसे मरीज पर इस्तेमाल किया जाता है जिनके फैफड़ो में आयरन जमा हो जाती है उनकी छाती (Chest) पर इसे लगाते हैं जिससे छाती उठ जाती है और इसके परिणामस्वरूप मरीज़ सांस अंदर ले पाता है।

  • पॉजिटिव प्रेशर वेंटिलेटर (Intra Pulmonary Pressure) – यह एक पॉजिटिव प्रेशर बनाता है जिससे हवा मरीज के फेफड़ों की ओर धकेली जाती है और इंट्रा-पल्मोनरी प्रेशर या दबाव बढ़ जाता है। पॉजिटिव प्रेशर वेंटिलेटर तीन प्रकार के होते हैं:वॉल्यूम साइकिल्ड, प्रेशर साइकिल्ड और टाइम साइकिल्ड।

 

Ventilator क्या करता है?

वेंटिलेशन मशीन ऐसे किसी मरीज के लिए जरूरी हो सकती है, जो निमोनिया या श्वसन रोग तथा हृदय रोग एवं कई विभिन्न सीरियस प्रॉब्लम का सामना कर रहे हैं। नोवल कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज की स्थिति के अनुसार ही उसे वेंटीलेशन मिशन पर रखा जाता है। इस श्वासयंत्र का इस्तेमाल मुख्य रूप से हॉस्पिटल्स के आईसीयू रूम में किया जाता है।

  • वेंटिलेटर का इस्तेमाल मरीज के फेफड़ो तक ऑक्सीजन का संचार करती है।
  • फेफड़ों से कार्बन डाइऑक्साइड को वापस लेती है।
  • सांस लेने में तकलीफ होने पर यह रोगी को सहजता से सांस लेने में मदद करती है।
  • खुद सांस ना ले पाने वाले लोगो के लिए सांस लेना संभव बनाता हैं।
  • साथ ही यह उस समय भी काम आता है जब किसी व्यक्ति की सर्जरी या फिर ऑपरेशन आदि किया जा रहा हो, तो वहीं मरीजों को ऑपरेशन करने के बाद भी कुछ समय के लिए वेंटीलेटर पर रखा जा सकता है।
  • साथ ही इस का इस्तेमाल श्वसनतंत्र से जुड़ी बीमारी और कई दूसरे मरीजों के लिए भी किया जाता है।

 

कब किया जाता है इसका इस्तेमाल?

  • सांस लेने में दिक्कत या सांस लेना बंद होना: किसी भी मरीज को तभी वेंटीलेटर पर ले जाया जाता है जब वह सांस लेना बंद कर दे या स्वतः सांस ना ले सके।
  • फेफड़े ने काम काम करना बंद कर दिया हो या फिर सांस मरीज के फेफड़ों तक ना पहुंच पा रही हो।
  • शरीर में ऑक्सीजन का सर्कुलेशन ठीक प्रकार या पूरी तरह से ना हो पा रहा हो।
  • वेंटिलेटर की आवश्यकता उन लोगों को भी हो सकती है जो हाल ही में सर्जरी और ऑपरेशन तथा अर्ध बेहोशी एवं दौरा पड़ने की हालत या स्थिति से गुजर रहे हैं।
  • अगर कोई मरीज अंतिम सांसे ले रहा हो या फिर काफी गंभीर अवस्था में हो।

 

 

इस साँस लेने की मशीन के कुछ नुकसान

वेंटिलेटर साँस की बीमारियों से राहत के साथ-साथ दूसरी बीमारियां होने का खतरा बना रहता है, डॉक्टरों को मरीज को वेंटीलेटर पर तब तक नहीं रखना चाहिए जब तक मरीज की हालत गंभीर ना हो ऐसा इसलिए क्योंकि एक रिपोर्ट में यह निकलकर आया है कि ब्रीदिंग मशीन पर जाने वाले मरीजों में संक्रमण से होने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

वेंटिलेटर के कारण वेंटिलेटर एसोसिएटेड निमोनिया (Ventilator Associated Pneumonia) होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। दरअसल इस मशीन पर होने के कारण बीमार व्यक्ति सामान्य सांस नहीं ले पाता जिसके कारण नली के जरिए बैक्टीरिया फैफडों तक जा सकते है और यह बाद में फेफड़ों को प्रभावित करते है। इसके साथ ही वेंटीलेशन मरीज को ऑक्सीजन ज्यादा दबाव से दिए जाने के कारण उनके फेफड़े फूल भी सकते हैं।

वेंटीलेटर पर सांस लेने या इलाज कराने वाले मरीजों में से करीबन 2.7 प्रतिशत मरीजों को ग्यावारी सिंड्रोम नाम की बीमारी हो जाती है जिसके कारण उनके शरीर का एक हिस्सा संवेदनशीलता खो देता है।

 

वेंटिलेटर की कीमत

Ventilator की फीस किसी भी अस्पताल में अलग-अलग हो सकती है लेकिन आम तौर पर इसकी एक दिन की फीस 4000 से ₹10000 के बीच हो सकती है।

साथ ही एक मध्यम स्तर के वेंटिलेटर की कीमत लगभग 4 लाख 75 हजार रुपए के करीब हो सकती है। तो वहीं मध्यम स्तर के आयातित वेंटिलेटर की Cost लगभग 7 लाख रुपये होती हैं और एक हाई क्वालिटी के आयातित वेंटिलेटर का प्राइस लगभग 12 लाख रुपये हो सकता है।


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