क्यों फेल हुई माइक्रोमैक्स जैसी भारतीय स्मार्टफोन कंपनियां?

जब भी आप मोबाइल फोन के बारे में सोचते हैं तो पाते हैं कि भारत में चाइनीज कंपनियों जैसे Oppo, Vivo, Xiaomi आदि ने अपना कब्जा जमाया हुआ है। ऐसे में आपके मन में यह सवाल जरूर आता होगा की क्या भारतीय कंपनियों ने अब तो कुछ नहीं किया?

Why Indian Mobile Companies Failed: माइक्रोमैक्स भारत में विफल क्यों हुआ?

कुछ साल पहले तक, माइक्रोमैक्स जैसी भारतीय मोबाइल कंपनियाँ बाजार में एक प्रमुख स्थान पर थीं। उनके बजट स्मार्टफोन्स और फीचर फोन्स ने देश में मोबाइल क्रांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेकिन आज, वही कंपनियाँ बाजार से लगभग गायब हो गई हैं। आखिर क्यों?

इस लेख में, हम जानेंगे कि भारतीय मोबाइल ब्रांड्स का क्या हुआ? और माइक्रोमैक्स जैसी भारतीय मोबाइल कंपनियाँ फेल क्यों हुईं? और उन्होंने किन कारणों से बाजार में अपनी पकड़ खो दी।

माइक्रोमैक्स जैसी भारतीय मोबाइल कंपनियाँ फेल क्यों हुई?
माइक्रोमैक्स जैसी भारतीय मोबाइल कंपनियाँ फेल क्यों हुई?

 

माइक्रोमैक्स, कार्बन और लावा जैसी भारतीय स्मार्टफोन के फेल होने के 7 बड़े कारण

आप सभी Micromax की Canvas Series और Lava के XOLO Phone तथा YU के Yureka फोन के बारे में तो जरूर जानते होंगे। यह सभी फोन भारतीय थे और इन्हें लोगों ने काफी पसंद भी किया था। लेकिन जिओ के मार्केट में आने के बाद यह पूरा खेल ही बदल गया।


साल 2014 के आस पास माइक्रोमैक्स भारत की नम्बर वन मोबाइल निर्माता कंपनी थी, तो वही लावा, और कार्बन भी कुछ हिस्सेदारी के साथ बाजार मे बने हुए थे। तो फिर ऐसा क्या हुआ? क्या रिलायंस जिओ भारतीय स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों के पतन का बड़ा कारण था? या मोदी जी की मेक इन इंडिया स्कीम ने सभी भारतीय मोबाइल फोन कंपनियों का कारोबार बंद कर दिया? आइए जानते हैं…


1. रिलायंस जियो का आगमन

जब भारत में Jio Sim का आगमन हुआ और और इसकी सभी 4G सर्विस को कुछ महीनों के लिए फ्री कर दिया गया तो ऐसे मे लोग उस समय 1GB इंटरनेट डाटा के लिए 150 से ₹200 दिया करते थे। लेकिन लोगों को Jio यह डाटा और इससे कई गुना ज्यादा डाटा मुफ्त में दे रही थी।

लेकिन Reliance Jio 2G और 3G नेटवर्क को सपोर्ट नहीं करती थी इसके लिए आपको एक 4G फोन चाहिए था तो सभी ग्राहकों ने मार्केट में 4G फोन को तलाशना शुरू किया।

लेकिन भारतीय कम्पनियों जैसे माइक्रोमैक्स ने कोई भी 4G फोन लॉन्च नहीं किया था और ना ही वे 4G के लिए तैयार थे। उन्हें लगता था की भारत में 4G साल 2018 तक आएगा, और उन्हें उस समय भारत में 4G Connectivity के आने की कोई संभावना ही नही दिखाई दे रही थी।

लेकिन उस समय तक Xiaomi, Oppo, Vivo जैसी Chinese कम्पनियाँ भारतीय मार्केट में कदम रख चुकी थी और वह 4G के लिए भी तैयार बैठे थे और उन्होंने 4G स्मार्टफोन में भारत में लॉन्च भी कर दिए थे ऐसे में लोगों ने इन कंपनियों के फोनों को लेना शुरू कर दिया।

बात करे माइक्रोमैक्स की और दूसरी भारतीय कंपनियों की तो उन्होंने पहले ही इतने सारे 3G फोन बना दिए थे कि उनके पास 4G स्मार्टफोन बनाने का बजट ही नहीं था वे पहले ही 3G Phones पर खर्चा कर चुके थे और जब तक वे कोई बड़ा कदम उठाते तब तक काफी देर हो चुकी थी।


 

2. केवल पैसा कमाना था मकसद

माइक्रोमैक्स और अधिकांश भारतीय स्मार्टफोन ब्रांड सिर्फ पैसा कमाने के मकसद से ही मार्किट में आए थे, और 20-30% लाभ कमा रहे थे।

परन्तु आज की लोकप्रिय चाइनीज कंपनियां भारत में कम दाम में अच्छे प्रोडक्ट देने के मकसद से आई थी इसलिए उन्होंने पैसा कमाने के साथ-साथ लोगों को अपने फोन से प्यार करने पर मजबूर कर दिया उन्होंने सिर्फ 5% लाभ मार्जिन पर मार्किट में कदम रखा और आज भी इतना ही लाभ कमा रहे है।

 

 

3. कुछ नया नहीं किया

भारतीय स्मार्टफोन कंपनियों ने मार्किट में वापसी करने के लिए कुछ भी नया करने की जरूरत ही नहीं समझी, जिससे वे चीनी कंपनियों के टक्कर दे पाते। ना ही उन्होंने पैसे को इन्वेस्ट करके अपने ब्रांड को अच्छा बनाने का काम किया,

वे चाहते तो रिसर्च और डेवलपमेंट पर पैसा खर्च करके अपने फ़ोनों को और ज्यादा फीचर्स और सॉफ्टवेयर्स के साथ दुबारा वापसी कर सकते थे, परन्तु इन कंपनियों ने ऐसा कुछ नहीं किया।

 

4. कम क्वालिटी वाले मोबाइल फोन

Micromax और कई Indian Smartphone Companies सिर्फ इसलिए अब तक Market में थी क्योंकि वे सस्ते फोन बेचती थी, जिसकी क्वालिटी काफी Low होती थी, लेकिन जैसे ही Chinese Companies जैसे Oppo, Vivo और Xiaomi तथा Oneplus ने कम कीमत में अच्छी Quality अपने ग्राहकों तक पहुंचाई, भारतीय कंपनियों के फोन बिकने बंद हो गए।

और इन्होने पैसा कमाने के चक्कर में चीनी मोबाइलों से ज्यादा कीमत में अपने फोन को लांच किया और इनमे कई फीचर्स की कमी और क्वालिटी भी खराब होने के कारण लोगों ने इन्हें पसंद नहीं किया।


 

5. मेक इन इंडिया का आना

मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के अंतर्गत सभी चाइनीस कंपनियों ने भारत में अपना रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्लांट लगाए और चीन से सामान ला कर भारत मे अस्सेम्ब्ल करना शुरू कर दिया। जिससे उन्हें पूरे फोन का नहीं बल्कि केवल उसके पार्ट्स का ही टैक्स और transpotation का खर्चा देना पड़ा।

परन्तु भारतीय कम्पनियाँ अब भी चीन मे ही सब कुछ कर रही थी। उन्होंने मेक इन इंडिया को कभी समझा ही नहीं इसलिए हम सरकार द्वारा की गई Make in India की पहल को दोष नहीं दे सकते।


 

6. ई-कॉमर्स और फ्लैश सेल

सभी चीनी कंपनियों ने डिस्ट्रीब्यूशन और मार्केटिंग के जरिए अपने मोबाइल फोन बेचने की बजाय ऑनलाइन स्टोर जैसे फ्लिपकार्ट और अमेजन पर अपनी सेल निकाल कर ही Phones बेच डाले जिससे उनके डिस्ट्रीब्यूशन का खर्चा बच गया और उन्होंने इस खर्चे की बचत का तोहफा अपने ग्राहकों को फोन का दाम करके दिया।

जिससे लोगों को इनके फोन काफी सस्ते दिखने लगे और उन्होंने इन्हें खरीदना शुरू कर दिया साथ ही जब लोगों को फोन चलाने में अच्छा लगा तो उन्होंने एक दूसरे को भी बताया ऐसे में उन्हें किसी भी तरह की ज्यादा विज्ञापन करने की जरूरत ही नहीं पड़ी और चीनी मोबाइलों ने आसानी से कुछ ही सालों में भारत पर कब्जा कर लिया।

 

7. टेक्नोलॉजी और इनोवेशन

दोस्तों अगर आज टेक्नोलॉजी की दुनिया में है तो आपको Updated रहना जरूरी है ऐसे में माइक्रोमैक्स ने अपने आपको अपडेटेड नहीं रखा और वह चाइना के फोनों को ही Rebrand करके बेचते रहे और उन्होंने टेक्नोलॉजी पर भी ध्यान नहीं दिया।

उन्होंने ना कभी टेक्नोलॉजी पर ध्यान दिया और ना ही कभी इनोवेशन और इसकी मैन्युफैक्चरिंग और डेवलपमेंट पर काम किया वह चाइना में अपने फोन बनवा कर उन्हें ReBranding करवा कर बेचते रहे।



अंतिम शब्द

माइक्रोमैक्स जैसी भारतीय मोबाइल कंपनियों का पतन कई कारणों का परिणाम है। चीन की कंपनियों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा, नवाचार की कमी, कमजोर मार्केटिंग, उत्पादन में चुनौतियाँ, और ग्राहक सेवा में कमियाँ – इन सभी ने मिलकर भारतीय कंपनियों को बाजार से बाहर कर दिया।

हालाँकि, हाल के वर्षों में माइक्रोमैक्स और कुछ अन्य भारतीय कंपनियों ने वापसी की कोशिश की है, लेकिन उन्हें अपनी पुरानी गलती से सीखकर नवाचार और गुणवत्ता पर अधिक ध्यान देना होगा। भारतीय उपभोक्ताओं का विश्वास जीतने के लिए इन कंपनियों को न केवल बेहतर उत्पाद बनाने होंगे, बल्कि मजबूत मार्केटिंग और ग्राहक सेवा भी प्रदान करनी होगी।

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