Chandrayaan 2 Mission: क्या है? लॉन्च डेट, ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर के बारे में Information और Latest News
2008 के चंद्रयान-1 के सफल प्रक्षेपण के बाद भारत ने Chandrayaan-2 को भी लॉन्च किया और यह काफी हद तक सफल भी रहा, भले ही इसरो का संपर्क अब तक लैंडर से न हो पाया हो पर ऑर्बिटर अब भी चंदमा (Moon) के बारे में हमें महत्वपूर्ण जानकारियाँ और फोटोज दे रहा है.
आप सभी जानते हैं कि सन 2008 में भारत ने अपना पहला चंद्र अभियान (Lunar Mission) शुरू किया था जिसमें Chandrayaan-1 को चाँद (moon) की कक्षा (Orbit) में भेजने में भारत ने अपने पहले ही कोशिश में सफलता हासिल की थी लेकिन आपको बता दें कि यह यान चंद्रमा पर नहीं उतरा गया था।
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Information About Chandrayaan 2 in Hindi Full Details |
अब तक भारत ने अपने चंद्रयान मिशन के तहत Lander और Orbiter और Rover को भी चांद पर भेज दिया है, और इसी मिशन ने चाँद पर आर्गन 40 का पता लगाया है।
आइए आपको चंद्रयान-2 मिशन क्या है (What is Lunar Mission) और चंद्रयान 2 के बारे में जानकारी हिंदी में, आपको बताते हैं। और चाँद पर पाए गए आर्गन 40 के बारे में भी आपको बताते है. (Argon 40 On Moon)
Chandrayaan 2 Latest News in Hindi
Chandrayaan-2 का चंद्रमा की कक्षा में 1 साल पूरा हो चुका है जिसे पिछले साल 2019 में 22 जुलाई को धरती से चंद्रमा की ओर रवाना किया गया था तो वहीं 20 अगस्त को यह सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया था।
परंतु अब 1 साल बाद 2020 में इसरो के चेयरमैन के सिवन ने chandrayaan-2 के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए कहा कि chandrayaan-2 के ऑर्बिटर ने चांद की कक्षा के 4400 से अधिक चक्कर पूरे कर लिए हैं और इसके सभी उपकरण बिल्कुल सुरक्षित हैं और अच्छे से काम कर रहे हैं।
इतना ही नहीं चंद्रयान-2 में अभी इतना इंधन बचा हुआ है कि वह चांद के अगले 7 साल तक चक्कर लगा सकता है जिससे यह भारत को अगले 7 सालों तक चांद से जुड़ी जानकारियां भेजता रहेगा।
आपको बता दें कि ऑर्बिटर में हाई क्वालिटी कैमरा का इस्तेमाल किया गया है जिसकी मदद से चांद के बाहरी वातावरण और चांद की सतह की जानकारी हासिल की जा सके।
इसके साथ ही इसरो चेयरमैन सिवन का कहना है कि अमेरिकी स्पेस कंपनी नासा को चांद की कुछ ऐसी तस्वीरें मिली है जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि सॉफ्ट लैंडिंग करते समय जो लेंडर दुर्घटनाग्रस्त हुआ था वह अभी काम कर रहा है।
हालांकि इसरो अभी chandrayaan-2 के रोवर प्रज्ञान और लैंडर की चांद की सतह पर तलाश कर रही है।
चंद्रयान-2के बारे में जानकारी | Chandryaan 2 Short Information in Hindi
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान 2 को दिनांक 22 जुलाई 2019 को भारतीय समय के अनुसार दोपहर 2 बजकर 43 मिनिट पर सफलतापूर्वक Launch किया गया था, हालांकि पहले इसे 15 जुलाई को लॉन्च किया जाना था परंतु तकनीकी खराबी होने के कारण इसे 15 जुलाई की रात 1 बजकर 54 मिनिट 36 सेकंड पर रोक दिया गया और वैज्ञानिकों द्वारा इसकी तकनीकी खराबी को चेक किया गया.
दोस्तों अगर Chandrayaan-2 की बात की जाए तो यह भारत में 10 साल के अंदर चंद्रमा पर जाने वाला दूसरा मिशन है। और Chandrayaan-2 का लांचर पूरी तरह से स्वदेशी है और इसे भारत में निर्मित GSLV Mk-III (जीएसएलवी मार्क-III) Rocket द्वारा अंतरिक्ष में भेजा गया है।
इस बार इस लूनर अभियान में 3 मॉड्यूल शामिल है जो लैंडर, ऑर्बिटर और रोवर हैं। लेंडर को "विक्रम" नाम दिया गया है वहीं रोवर का नाम "प्रज्ञान" रखा गया है जिसका वजन 3.8 टन यानी कि 3800 किलो है।
इस लूनर मिशन की कुल लागत लगभग 1000 करोड रुपए है।
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Orbiter, Lander and Rover in Lunar Mission
- 1. लैंडर: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अनुसार, नए मिशन में एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर शामिल होगा। ऑर्बिटर 100 किलोमीटर (62 मील) की ऊँचाई से मैपिंग करेगा,
जबकि लैंडर चाँद की सतह पर एक Soft लैंडिंग करेगा और रोवर को बाहर भेज देगा। - 2. रोवर: इसरो की माने तो चांद पर लैंडिंग के बाद लैंडर का दरवाजा खुलेगा और रोवर को बाहर निकलने में 4 घंटे तक का समय लगने वाला है और इसके लगभग 15 मिनट के अंदर ही ISRO को लैंडिंग की तस्वीरें भी मिल सकती हैं आपको बता दें रोवर द्वारा ही चंद्रमा के सभी तस्वीरें और वहाँ मौजूद जानकारियों को इसरो तक पहुंचाया जाएगा।
रोवर 1 सेंटीमीटर प्रति सेकंड की रफ़्तार से चलकर चाँद पर कुल 500 मीटर Cover करेगा. - 3. ऑर्बिटर: ऑर्बिटर की बात करें तो यह पृथ्वी से सीधे संपर्क बनाने के लिए भेजे जा रहे है जो कि चंद्रमा से 100 KM की ऊँचाई पर चन्द्रमा के चक्कर काटेंगे और उनके द्वारा ही पृथ्वी पर चंद्रमा की पूरी जानकारी मिल पाएगी। अगर इसके कक्षयान की कक्षा में प्रयोग की बात करे तो यह लगभग 1 वर्ष तक कार्यरत रहने वाला है.
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What is Lander Rover and Orbiter |
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Full Details About Chandrayaan 2 Mission In Hindi:
- क्या है: चंद्रयान 2, चन्द्र मिशन के तहत चाँद पर जाने वाला दूसरा मिशन है, इससे पहले चंद्रयान-1 को 2008 में चन्द्र मिशन के लिए पहली बार लॉन्च किया गया था.
- उद्देश्य: अगर इसरो की मानें तो चंद्रयान-2 का को चांद पर भेजने का मिशन वहाँ की चट्टानों को देखना और उसमें मैग्निशियम, कैलशियम और आयरन जैसे खनिजों को ढूंढने का प्रयास करना है इसी के साथ साथ चंद्रमा पर पानी के होने के संकेत की तलाश करना और पारा तथा दूसरे धातु खोजना इस Chandrayaan-2 का मेन मिशन होने वाला है.
- लॉन्चिंग: 22 जुलाई 2019 को भारत में आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दोपहर 2 बजकर 43 मिनिट पर सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी-मार्क 3 (बाहुबली) की सहायता से सफलतापूर्वक Launch किया गया था.
- Launching में देरी: Chandrayaan-2 के लॉन्चिंग की बात की जाए तो यह पृथ्वी से चंद्रमा की ओर आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से 15 जुलाई को लगभग 2:51AM पर रवाना होना था, जिस समय ज्यादातर भारतीय लोग सो रहे होते है.
परन्तु लॉन्चिंग से 56 मिनट 24 सेकंड पहलेइसे रोक लिया गया था, वैज्ञानिकों का कहना है कि इस मिशन में कुछ तकनीकी खराबी होने के कारण इसे रोका गया था।
आपको यह भी बता दें की देश के सभी वैज्ञानिकों ने इस फैसले को सही ठहराया है क्योंकि इस चंद्र मिशन में लगभग 1000 करोड़ रुपए लगे हैं, और यहां कोई भी छोटा या बड़ा Risk लेना सही नहीं है, अतः हम तो यही कहेंगे कि यह बहुत अच्छा हुआ क्योंकि इस छोटी सी दिक्कत के कारण आज करोड़ों का नुकसान हो सकता था. - चंद्रयान 2 का सफ़र: उड़ान भरने के 29 दिन बाद ही चंद्रयान 2 ने चंद्रमा की ओर तेजी से अग्रसर होते हुए 20 अगस्त 2019 को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर लिया था, जिसे बहुत तनावपूर्ण माना जा रहा था, लेकिन इसमें भी भारतीय वैज्ञानिकों ने सफलता प्राप्त कर ली है.
वहीं 2 सितंबर 2019 को Chandrayaan-2 से लैंडर और विक्रम सफलतापूर्वक अलग हुए, जिसकी पुष्टि इसरो ने की, इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने बताया की 2 सितंबर को दोपहर 1:35 पर लेंडर विक्रम से अलग हो गया.
विक्रम से अलग होने के बाद लैंडर को चाँद की सतह पर लैंडिंग करनी थी, तो वहीं ऑर्बिटर को चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाना है. - लैंडिंग का स्थान: इसे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतारा जाएगा जहां आज तक दुनिया का कोई भी अंतरिक्ष यान नहीं उतारा गया है, ऐसा माना जा रहा है कि चंद्रमा के उस हिस्से मैं अच्छी लैंडिंग के लिए जितने प्रकाश और समतल जगह की जरूरत होती है वह Chandrayaan-2 को उस हिस्से में मिलने वाली है और इस मिशन के लिए पर्याप्त ऊर्जा की जरूरत है वह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में ही मिल सकती है।
- चाँद पर लैंडिंग: 7 सितंबर 2019 को लैंडर को चाँद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराते समय विक्रम से संपर्क टूट गया और लैंडिंग हार्ड होने के कारण इसे काफी नुकसान पहुंचा है.
आपको बता दें कि प्लान के अनुसार लैंडर को चाँद के दक्षिणी हिस्से में लैंड करा कर Rover को चाँद की सतह पर 14 दिन तक काम करने के लिए उतारना था, यह 14 दिन चाँद पर 1 दिन के बराबर है. - चंद्रयान २ की सफलता: लैंडर की चाँद पर लैंडिंग योजना के अनुसार नहीं हुई लेकिन इसका ऑर्बिटर 7 साल तक काम करता रहेगा, ऑर्बिटर ने ही यह जानकारी दी है कि चाँद की बाहरी सतह पर आर्गन 40 मौजूद है (लेख के अंत में इसके बारे में जरूर पढ़ें), और ऑर्बिटर से ही चाँद की कई तस्वीरें भी ली गई.
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Chandrayaan 2 - FREQUENTLY ASKED QUESTIONS
1. चंद्रयान 2 को चाँद पर जाने में कितना समय लगा?
हम आपको बता दें की चंद्रयान लगभग 50 दिन का सफर तय करने के बाद चाँद पर 7 सितम्बर 2019 को पहुचेगा, जहाँ वह चाँद की सतह पर लैंडर की मदद से रोवर को उतारेगा.
2. चंद्रयान 2 की लाइव स्ट्रीमिंग कहाँ और कैसे देखें?
दोस्तों चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग को आप Doordarshan National और दूरदर्शन के Youtube चैनल पर भी देख सकते हैं.
3. कैसे चंद्रयान मिशन-2 भारत और दुनिया को फायदा देगा?
इस मिशन का मकसद चाँद के धरातल तथा वहाँ पानी की मात्रा को समझने के साथ साथ वहाँ की धातुओं का अध्यन करना है. इतना ही नहीं रोवर द्वारा चाँद की तस्वीरें भी भेजी जाएगी.
4. भारत का चंद्रयान मिशन-2 के पीछे क्या मकसद है?
भारत दुनिया में अपना Space Foot Prints बढ़ाना चाहता है वही भारत इसके बाद चाँद पर मनुष्य उतारने का मिशन भी जल्द की लॉन्च कर सकता है.
5. पृथ्वी से चाँद की दूरी कितनी है?
पृथ्वी और चाँद के बीच दूरी लगभग 3,84,000 किमी हैं, जहाँ पहुचने में कुछ दिनों का समय लगता है.
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6. चाँद (Moon) पर तापमान कितना है?
चंद्रमा पर तापमान चरम सीमा से गुजरता है - सूर्य का प्रकाश पाने वाला Area लगभग 130 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो जाता है, और रात के दौरान -180 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा हो जाता है।
7. चन्द्रमा के बारे में जानकारी हासिल करना हमारे लिए क्यों जरूरी है?
चंद्रमा पृथ्वी का निकटतम खगोलीय पिंड है, जिस पर अंतरिक्ष खोज का प्रयास किया जा सकता है। यह आगे दुसरे अंतरिक्ष मिशनों के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों को चित्रित करने का एक आशाजनक परीक्षण भी है।
चंद्रयान-2 खोज के एक नए युग को बढ़ावा देने, अंतरिक्ष की हमारी समझ को बढ़ाने, प्रौद्योगिकी की प्रगति को प्रोत्साहित करने, वैश्विक गठजोड़ को बढ़ावा देने और खोजकर्ताओं और वैज्ञानिकों की एक भावी पीढ़ी को प्रेरित करने का प्रयास करता है
8. क्या चन्द्रमा पर जीवन संभव है?
अब तक, किसी भी चंद्र मिशन ने चंद्रमा पर जीवन की उपस्थिति के किसी भी संकेत का पता नहीं लगाया है। हालांकि चंद्रयान 1 मिशन द्वारा वहाँ पानी के संकेतो का पता चला था.
9. चंद्रयान 1 और चंद्रयान 2 में क्या अंतर है?
चंद्रयान 2 के रोवर को चाँद के धरातल पर उतारा जाने वाला है वहीं चंद्रयान 1 को केवल परिक्रमा लगाने के लिए भेजा गया था.
10. चंद्रमा पर कौन-कौन से देश हैं?
अमेरिका, चीन, जापान पहले से ही चाँद पर अपना परचम लहराया है वही भारत भी चंद्रयान भेजकर ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
11. चाँद पर जाने वाले विश्व और भारत के प्रथम व्यक्ति का नाम
चाँद पर सबसे पहले अमेरिका के अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग ने अपना परचम लहराया था, वहीं राकेश शर्मा अंतरिक्ष मे जाने वाला पहले भारतीय है.
Chandrayaan-2: Orbiter Finds Argon 40 On Moon | चाँद पर मिला आर्गन 40:
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा 31 अक्टूबर 2019 (बृहस्पतिवार) को यह पुष्टि की गई है की चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने करीब 100 किलोमीटर की ऊचाई से चंद्रमा के बाहरी कक्षा में एरगॉन-40 के मौजूद होने की जानकारी दी है।
इसरो ने ट्वीट के जारिए जानकारी देते हुए बताया की ऑर्बिटर में मौजूद चेस-2 पेलोड ने ही चाँद पर एरगॉन-40 होने का पता लगाया है। अक्टूबर के शुरू में ही ISRO द्वारा ऑर्बिटर में लगे उच्च तकनीकी कैमरे के जरिए खींची गई चंद्रमा की सतह की तस्वीर (फोटो) भी जारी की गयी थी।
आर्गन 40 क्या है | What Is Argon-40 Founded on Moon
आर्गन-40 (40Ar) एक कुलीन गैस (Noble Gas) है जो आर्गन के समस्थानिकों में से एक है, चन्द्रमा के बाहरी वायुमंडल को बनाने में आर्गन एक महत्वपूर्ण घटक है। यह पोटेशियम -40 (40K) के रेडियोधर्मी विघटन से उत्पन्न होता है, जिसकी half-life ~1.2 X 109 साल है।
रेडियोधर्मी पोटेशियम -40 (40K) न्यूक्लाइड, जो चंद्र सतह के नीचे गहराई में होता है, जो विघटित होकर आर्गन 40 (40Ar) बन जाता है, और बदले में यह अंतर्गर्भाशयी अंतरिक्ष के माध्यम से फैलता है और लेप्स और दोषों के साथ चंद्र एक्सोस्फीयर (बाहरी वायुमंडल) तक का रास्ता बनाते हुए बाहर पहुँचता है।
आर्गन-40 चंद्रमा की सतह पर अलग-अलग मात्रा में तापमान और दबाव पड़ने पर संघनित होने वाली गैस है। यह चंद्रमा पर होने वाली लंबी रात होने के कारण संघनित हो जाती है। और सुबह होने परचंद्रमा के बाहरी वायुमंडल में पहुँचने लगती है।
चंद्रयान-1 के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी | 1st Lunar Mission
चंद्रयान-1 2008 भारत द्वारा चंद्रमा पर जाने वाला पहला चन्द्र मिशन (Lunar Mission) था. ये मिशन 22 अक्टूबर 2008 से चलकर सितंबर 2009 यानि की लगभग एक साल तक चला था. वही Chandrayaan-1 को 22 October 2008 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ही अंतरिक्ष में भेजा गया था.
Chandrayaan-1 ने 08 नवंबर 2008 यानि की लगभग 17 दिन में ही चंद्रमा पर पहुचने में सफलता प्राप्त की थी. इस चंद्रयान ने चंद्रमा की कक्षा में 312 दिन बिताए थे। इसी मिशन में चन्द्रमा पर पानी होने के भी संकेत मिले थे।
ISRO के चेयरमैन जी माधवन नायर (G.Madhavan Nair) ने उस समय यह भी बताया था कि चंद्रयान का मिशन चंद्रमा के कक्ष में जाना था चन्द्रमा पर नहीं, और उसे चंद्रमा के कक्ष में ही कुछ मशीनरी स्थापित करनी और भारत का झंडा लगाना था.
अन्तिम शब्द
दोस्तों अब आप चंद्रयान 2 मिशन के बारे में पूरी तरह से समझ ही गए होंगे की इसरो का चंद्रयान 2 अभियान क्या है? Chandrayaan 2 Mission All Information in Hindi और अगर बात करें चंद्रयान २ की तो यह उड़ान भरने के बाद लगभग 52 दिन में ही चंद्रमा पर पहुंच गया और वहां अपना काम पूरा करते हुए, भारत को चंद्रमा के बारे में कुछ जरूरी जानकारियां और अंतरीक्ष से पृथ्वी और चाँद की तस्वीरें भी दी है.
आपको यह भी बता दें की भारत द्वारा किसी ग्रह पर रोवर उतारने वाला यह ऐसा पहला मिशन है, इस से पहले भारत ने ऐसा कोई कारनामा नहीं किया हैं, तो अगर आपको Chandrayaan 2 Ke Bare Mein Jankari अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें.