शहीद भगत सिंह जयंती 2024: बायोग्राफी और शुभकामना फोटोज

हर साल 28 सितंबर को शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती मनाई जाती है। 2024 में उनकी 117वीं जयंती है, उनका जन्म पंजाब के बंगा जिले में हुआ था।

Bhagat Singh Birthday 2024: शहीद भगत सिंह जयंती कब मनाई जाती है? (जीवन परिचय और कोट्स इमेज)

शहीद-ए-आज़म भगत सिंह जी का जन्म पंजाब के दोआब जिले में 28 सितंबर 1907 को हुआ था लेकिन कुछ विद्वानों के अनुसार उनके जन्म की तारीख 27 सितंबर को तो कुछ जगहों पर अक्टूबर में भी बताया जाता है।

हालंकि शहीद भगत सिंह की जयंती (बर्थडे) हर साल 28 सितंबर को पूरे भारतवर्ष में जोश और उत्साह के साथ मनाई जाती है। इस साल भी शहीद-ए-आज़म भगत सिंह का 117वां जन्मदिन 28 सितंबर 2024 को शनिवार के दिन मनाया जा रहा है।

Shaheed Bhagat Singh Jayanti 28 September
Shaheed Bhagat Singh Jayanti 28 September
शहीद भगतसिंह के बारे में जानकारी:
नाम:भगत सिंह (Bhagat Singh)
जन्म:28 सितंबर 1907, बंगा ब्रिटिश भारत
माता-पिता:विद्यावती – सरदार किशन सिंह
संगठन:नौजवान भारत सभा, हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन
पहचान:भारतीय क्रांतिकारी, शहीद-ए-आज़म
मृत्यु:23 मार्च 1931, लाहौर सेंट्रल जेल (उम्र: 23 वर्ष)
स्मारकहुसैनीवाला, राष्ट्रीय शहीद स्मारक

 

भगत सिंह कौन थे?

शहीद-ए-आजम भगत सिंह (28 सितंबर 1907 – 23 मार्च 1931) भारत के एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, क्रांतिकारी विचारधारा और उग्र वामपंथी व्यक्तित्व वाले महान देशभक्त थे। साथ ही वे एक महान कवि, विचारक, लेखक तथा दूरदृष्टा भी थे जिन्होंने हसरत मोहानी के नारे ‘इंकलाब जिन्दाबाद’ को सच कर दिखाया।

इस अमर शहीद के बारे में हमारी यह धारणा ब्रिटिश रिकार्ड के आधार पर बनी जिसे हमने अपने स्वतंत्र विचारों से परखने का प्रयास नहीं किया।

Bhagat Singh ने लगभग 23 वर्ष और कुछ महीनों का छोटा लेकिन यादगार जीवन जिया, इतनी कम आयु में उन्होंने वैचारिक परिपक्वता और लक्ष्य के प्रति जो दृढ़ता हासिल की वह सराहनीय थी, है और रहेगी।

इन्ही असाधारण और महान कारणों की बदौलत भारत माता का यह वीर सपूत इतनी अल्पायु में फांसी पर चढने के बाद भी हम करोडों हिन्दुस्तानियों के दिलों में आज भी जिन्दा है।

 

भगत सिंह जी की जीवनी (Bhagat Singh Biography in Hindi)

भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब (ब्रिटिश भारत) के लायलपुर जिले के बंगा गाँव में हुआ (जो अब पाकिस्तान में है)। यह एक संधू जाट खानदान था और पूरी तरह से भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष में शामिल था उनके पिता, और दोनों चाचा उस समय के लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी थे।

भगत सिंह जी के पिता का नाम सरदार किशन सिंह था जो गांधीवादी विचारधारा वाले स्वतंत्रता सेनानी थे और उनकी माता का नाम ‘विद्यावती’ था। तथा उनके चाचा का नाम सरदार अजीत सिंह और स्वरण सिंह था।

 

विवाह:

19 साल की उम्र में ही भगत सिंह के माता-पिता ने उनका विवाह करना चाहा लेकिन वह उस समय घर छोडकर चले गए और अपने माता-पिता के लिए एक पत्र छोड़ दिया जिसमें उन्होंने लिखा:

‘मेरा जीवन एक महान उद्देश्य के लिए समर्पित है
और वह उद्देश्य देश की आजादी है।
इसलिये मुझे तब तक चैन नहीं है।
ना ही मेरी ऐसी को सांसारिक सुख की इच्छा है..
जो मुझे ललचा सके।’

 

लोग आज भी उनकी इतनी कम उम्र मे इतने बड़े संकल्प और दृढ़ निश्चयता की सराहना करते है। वह कोई साधारण युवा नहीं थे, उन्होंने सिर्फ बारहवीं पास की और उसके बाद घर से भाग कर चन्द्रशेखर आजाद जी की क्रांतिकारी पार्टी को Join कर लिया।

 

शहीद भगतसिंह जयंती शायरी फोटो (Bhagat Singh Jayanti Wishes Quotes Photos)

लिख रहा हूं अंजाम जिसका कल आगाज आएगा।
मेरे खून का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा।।
शहीद भगत सिंह जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं

दिल से निकलेगी ना मरकर भी वतन की उल्फत,
मेरी मिट्टी से खुशबू ए वफा आएगी।
भगत सिंह जी की जयंती पर उन्हें शत शत नमन

हैप्पी बर्थडे वीर भगत सिंह

Shaheed Bhagat Singh Birthday Wishes Photos
Shaheed Bhagat Singh Birthday Wishes Photos

{फोटो} शहीद भगतसिंह के प्रेरणादायक विचार

 

भगत सिंह ने देश के लिए क्या किया?

भगत सिंह ने भारत की आजादी के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर दिया और हंसते हंसते देश के लिए शहीद हो गए। उन्होंने 14 साल की उम्र में ही भारत की स्वतंत्रता के लिए आंदोलनों और रेलियों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था।

13 अप्रैल 1919 को हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड ने उन्हें झकझोर कर रख दिया, जिसके बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम की ओर रुख किया और देश की स्वतंत्रता के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की।

शुरुआत में वे गांधी जी द्वारा चलाए जा रहे आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे और वर्ष 1920 में उन्होंने गांधीजी के विदेशी सामानों के बहिष्कार के आंदोलन में हिस्सा लिया और 14 वर्ष की उम्र में ही विदेशी कपड़ों की होली जलाई।

हालांकि 1921 में चोरा-चोरी हत्याकांड के बाद किसानों का साथ ना देने के कारण वे गांधी जी से निराश होकर चंद्रशेखर आजाद जी की गदर पार्टी में शामिल हो गए जो क्रांतिकारियों की पार्टी थी।

 

काकोरी कांड

उन्होंने चंद्रशेखर आजाद जी के साथ मिलकर ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई आंदोलन किए, इस दौरान 1925 में उन्होंने काकोरी कांड को अंजाम दिया जिसमें उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल और अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर सरकारी खजाने को लूट लिया था।

वर्ष 1928 में साइमन कमीशन के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान ब्रिटिश हुकूमत द्वारा लाठीचार्ज किए जाने से लाला लाजपत राय की मौत हो गई, जिसका बदला लेने के लिए चंद्रशेखर आजाद की मदद से उन्होंने राजगुरु के साथ मिलकर 17 दिसंबर 1928 को लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रहे अंग्रेज़ अफसर जेपी सांडर्स को मार दिया।

 

असेंबली में बम विस्फोट

8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह अपने क्रांतिकारी साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर दिल्ली स्थित सेंट्रल असेंबली के सभागार में अंग्रेजी सरकार को जगाने के लिये बम और पर्चे फेंके और अपनी गिरफ्तारी भी दी।

उन्हें गिरफ्तार किए जाने के बाद उन पर मुकदमा चला और ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई जिसके बाद 23 मार्च 1931 को 23 वर्ष की आयु में उन्हें फांसी दे दी गई। उनकी पुण्यतिथि आज भी शहीद दिवस के रूप में मनाई जाती है।

 

 

भगतसिंह की क्रांतिकारी विचारधारा:

भगत सिंह ने जवानी में कदम रखते ही यूरोपीय क्रांतिकारी आंदोलनों और ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ गहन अध्ययन किया और क्रांतिकारी विचारों से प्रेरित होनें के बाद इन्होंने क्रन्तिकारी बनने का फैसला किया।

वे अपने पिता और चाचा के विचारों से प्रभावित हुए और उन्होंने हमेशा लोगों को अंग्रेजों का विरोध करने के लिए प्रेरित किया। देश के प्रति निष्ठा और इसे अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने का द्रढ़ संकल्प उनमें जन्मजात था। देशभक्त परिवार में पैदा होने के कारण यह उनके नसों में खून बनकर दौड़ रहा था।

बहुत कम उम्र में ही क्रन्तिकारी स्वतंत्रता सेनानी के रूप में स्वतंत्रता के संघर्ष में शामिल होने के कारण अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत करते हुए इंकलाब जिंदाबाद के नारे के साथ वे केवल 23 वर्ष की आयु में शहीद हो गए। वे अपनी वीरता और क्रांतिकारी विचारधारा के लिए आज भी लोकप्रिय हैं।

इसके आलावा बहुत ज्यादा पढ़ा लिखा न होने के बावजूद भी उन्होंने ने ‘‘मैं नास्तिक क्यों हूं’’ सहित जो कुछ भी लिखा उससे उनकी वैचारिक गहराइयों का अनुमान लगाया जा सकता है।