World Sparrow Day 2024: विश्व गौरैया दिवस कब मनाया जाता है? Theme और History
World Sparrow Day 2024: तेजी से लुप्त होने की कागार पर पहुँचने वाली गौरैया पक्षी के संरक्षण के उद्देश्य से हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस (वर्ल्ड स्पैरो डे) मनाया जाता है, इसे मनाने की शुरूआत वर्ष 2010 में नेचर फॉरएवर सोसायटी नामक संस्था ने की थी। कृत्रिम घोंसलों एवं छत पर दाना-पानी रखने से गायब होती गौरैया चिड़िया वापस छत पर आने लगी हैं।
कुछ साल पहले तक शहरों और गांवों में गौरैया पक्षी की चहचहाहट अकसर सुनाई दे जाया करती थी और ये देखने को भी मिल जाया करती थी, परंतु आज ये ढूंढने से भी नहीं मिलती। आंकड़ों की मानें तो इनकी आबादी 60-80 फ़ीसदी की कमी आई है। ऐसे में यह दिवस मना कर हम उस चहचहाहट को वापस लाने की कोशिशें कर रहे हैं।
नाम | विश्व गौरैया दिवस |
तारीख़ | 20 मार्च (वार्षिक) |
शुरूआत | वर्ष 2010 में |
पहली बार | 20 मार्च 2010 |
उद्देश्य | घरेलू गौरैया पक्षी का संरक्षण |
थीम | आई लव स्पैरो |
कैसे हुई विश्व गौरैया दिवस मनाने की शुरूआत? (इतिहास)
हर साल 20 मार्च को नेचर फॉरएवर सोसाइटी (भारत) और इको-सिस एक्शन फ़ाउंडेशन (फ्रांस) के सहयोग से विश्व गौरैया दिवस (World Sparrow Day) मनाया जाता है। इसकी शुरूआत नासिक (भारत) के रहने वाले मोहम्मद दिलावर ने गौरैया पक्षी की लुप्त होती प्रजाति की सहायता करने के लिए ‘नेचर फॉरएवर सोसायटी‘ (NFS) की स्थापना कर की थी।
नेचर फॉरएवर सोसायटी की एक साधारण चर्चा के दौरान प्रति वर्ष 20 मार्च को ‘विश्व गौरैया दिवस‘ मनाने की योजना बनाई गई, जिसे पहली बार वर्ष 2010 में मनाया गया था।
मोहम्मद दिलावर के गौरया संरक्षण के प्रति किए जाने वाले कामों को देखते हुए ‘टाइम मैगज़ीन‘ (एक अमेरिकी न्यूज़ पत्रिका) ने वर्ष 2008 में इन्हें ‘हीरोज ऑफ द इन्वायरमेंट’ के तौर पर मान्यता दी।
20 मार्च 2011 को पर्यावरण और गौरैया संरक्षण के कार्य में मदद करने वालों को सम्मानित करने के लिए NFS द्वारा गुजरात के अहमदाबाद में ‘गौरैया पुरस्कार‘ की भी शुरुआत की गई। इसका मुख्य मकसद ऐसे लोगों की सराहना करना है जो पर्यावरण और गौरैया संरक्षण में अपना योगदान दे रहे हैं।
वर्ल्ड स्पैरो डे क्यों मनाते है? (उद्देश्य)
प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को मनाए जाने वाले गौरैया दिवस का मुख्य उद्देश्य गौरैया पक्षी का संरक्षण करना और इन्हें लुप्त होने से बचाना है, ताकि भविष्य में यह एक इतिहास का पक्षी बनकर ना रह जाए।
गौरैया पृथ्वी पर सर्वव्यापी पक्षियों में से एक है, इसका लगातार कम होते जाना इस बात का सूचक है कि हमारे आसपास का पर्यावरण किस हद तक शरण का शिकार हो रहा है। यह हम सभी के लिए प्रकृति की ओर से एक चेतावनी है जो हमें बढ़ते रेडिएशन और प्रदूषण से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों और इसके हानिकारक प्रभावों से सचेत करती है।
घरेलू गौरैया की लुप्त होती प्रजाति एवं कम होती आबादी चिंता का विषय बना हुआ है, ऐसे में यह दिवस गौरैया एवं अन्य पक्षियों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए की गई एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहल है।
विश्व गौरैया दिवस 2024 की थीम और इसे कैसे मनाते है?
प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस एक खास थीम ‘आई लव स्पैरो’ के साथ मनाया जाता है, इस विषय का मुख्य उद्देश्य उस प्रेम को उजागर करना है जो लोगों में गौरैया के लिए है। साथ ही इस दिन गौरैया पुरस्कार का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें गौरैया और पर्यावरण संरक्षण के प्रति काम करने वाले लोगों को पुरस्कार बांटे जाते हैं।
इतना ही नहीं देश के अलग-अलग हिस्सों में इनके संरक्षण के प्रति कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, तथा छत पर पक्षियों को पानी देने के लिए मिट्टी का बर्तन, बीज तथा दाने आदि भी बांटे जाते हैं। तो वहीं चिड़ियाघरों में भी इस दिन इन्हें बचाने के बारे पर्यटकों को बताया जाता है।
गौरैया पक्षी के बारे में कुछ बताइए?
गौरैया (वैज्ञानिक नाम: पासर डोमेस्टिकस) एक घरेलू पक्षी है जिसे ‘पासेराडेई’ परिवार का माना जाता है तो वहीं कुछ लोग इसे ‘वीवर फिंच’ से संबंधित बताते हैं, यह पक्षी दिखने में काफी छोटा होता है और इसकी लंबाई 14 सेंटीमीटर से 16 सेंटीमीटर तक होती है। तथा इसका सामान्य वजन 25g से 30g या 32 ग्राम तक हो सकता है।
गोरिया झुंड में रहने वाला पक्षी है इसीलिए यह झुंड में रहकर भोजन तलाशने के लिए ज्यादा से ज्यादा 2 मील की दूरी तय कर सकते है और पेट भरने के लिए कीड़े मकोड़े और दाना (आनाज) दोनों खा सकती है। अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में ये कम से कम 3 बच्चों को जन्म देने की क्षमता रखती है।
गौरैया के संरक्षण और इसके बचाव के उपाय क्या है?
गौरैया की घटती संख्या का मुख्य कारण उनके लिए भोजन-पानी, जंगल, पेड़-पौधे और आवास की कमी तथा बढ़ता प्रदूषण तथा मोबाइल रेडिएशन है, हालांकि हम निम्नलिखित उपायों के जरिए का संरक्षण कर सकते हैं:
गौरैया संरक्षण के उपाय
- छत पर दाना (काकून, बाजरा-मक्का, गेहूँ, चावल आदि) और पानी रखें,
- उनके लिए कृत्रिम घोसले बनाएं,
- दूसरों को गौरैया संरक्षण के प्रति जागरूक करें,
- हो सके तो पेड़-पौधे लगाएं,
- पार्क विकसित करने का प्रयास करें ताकि इनके साथ ही अन्य पक्षी भी अपने प्राकृतिक आशियाने बना सके।
» 21 मार्च: विश्व कविता दिवस
» 21 मार्च: अंतर्राष्ट्रीय वानिकी दिवस
» 22 मार्च: विश्व जल दिवस
» मार्च माह से सभी महत्वपूर्ण दिवस
गौरैया पक्षी की घटती संख्या का कारण:
- भोजन-पानी की कमी: गौरैया और कई दूसरे पक्षी जीवन जीने के लिए अनाज (दाना) और कीड़े-मकोड़े खाते है, जो पहले जलाशयों और खेतों में आसानी से मिल जाया करते थे। लेकिन आज कीटनाशकों (केमिकल) के इस्तेमाल और तलाबों के सूखने से प्रवास के दौरान उपयुक्त भोजन-पानी नही मिलने के कारण ये अपनी जान गवा बैठते हैं।
- रहने के लिए स्थान की कमी: एक घरेलू पक्षी होने के कारण ये इंसानों के आसपास ही अपना घर (घोंसला) बनाती है परंतु कुछ लोग इनके घोसलों को बनने से पहले ही उजाड़ देते हैं।
- जंगल और पेड़ पौधों की कमी: तेजी से कटते जंगल और पेड़-पौधों की कमी के कारण इनके जीवित रहने के लिए प्राकृतिक आवास तथा वातावरण में कमी आ रही है जो इनकी विलुप्ति का एक मुख्य कारण है।
- बढ़ता प्रदूषण: खुली हवा में उड़ने वाले यह छोटे से पंछी जब इस प्रदूषित हवा में पर फैलाकर उड़ते हैं तो कई जानलेवा प्रदूषक इनके शरीर को काफी नुकसान पहुंचाते है, और कुछ पक्षी प्रदूषित हवा में सांस ना ले पाने के कारण दम तोड़ देते हैं।
- मोबाइल रेडिएशन: आज देश में 4G और 5G के चर्चे जोरों पर है लेकिन हमें यह भी समझना चाहिए कि इससे निकलने वाला रेडिएशन इतना घातक होता है कि यह इंसानों सहित पशु-पक्षियों पर काफी गहरा और बुरा असर डालता है। अगर आपने ‘फिल्म-रोबोट 2.0‘ देखी है तो आप इसे अच्छी तरह से समझ सकते हैं।