सुशासन दिवस 2024: अटल जी की जयंती पर उनका जीवन परिचय

25 दिसम्बर को क्रिसमस ही नहीं बल्कि भारत रत्न से सम्मानित अटल बिहारी वाजपेयी और मदन मोहन मालवीय जी की जयंती तथा सुशासन दिवस मनाया भी जाता हैं। 16 अगस्त को अटल जी की पुण्यतिथि मनाई जाती है।

भारत में गुड गवर्नेंस डे कब मनाया जाता है?

Sushasan Divas 2024: वर्ष 2014 से ही हर साल 25 दिसंबर को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई जी की जयंती को सुशासन दिवस (Good Governance Day) के रूप में मनाया जाता है। इस साल 2024 में देश 10वां सुशासन दिवस और स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी की 100वीं जयंती मनाने जा रहा है। इसी दिन महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी का भी जन्मदिन होता है।

‘सुशासन’ शब्द ‘शासन’ शब्द में ‘सु’ उपसर्ग लग जाने से बना है। यहाँ शासन का अर्थ राज या राज्य है, तथा सु का अर्थ शुभ या अच्छा है। जिससे सुशासन (Good governance) को अच्छे राज की परिभाषा मिलती है।

Good Governance Day - Sushasan Diwas
Good Governance Day – Sushasan Diwas

गुड गवर्नेंस डे के बारे में जानकारी:
नाम:राष्ट्रीय सुशासन दिवस (Good Governance Day)
तिथि:25 दिसम्बर (वार्षिक)
शुरूआत:वर्ष 2014 (तत्कालीन भारत सरकार)
पहली बार:25 दिसंबर 2014
सम्बंधित व्यक्ति:अटल बिहारी वाजपेयी

 

सुशासन दिवस का इतिहास (शुरूआत)

वर्ष 2014 में भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा हर साल 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई जी की जयंती को राष्ट्रीय ‘सुशासन दिवस‘ के रूप में मनाए जाने की घोषणा की गई। जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों में सरकार और शासन की जवाबदेही के बारे में जागरूकता पैदा करना है।

अटल बिहारी वाजपेयी के 90वें जन्मदिवस पर सुशासन दिवस मनाने की पहली घोषणा भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (DEITY) द्वारा की गई थी। और पहला राष्ट्रीय सुशासन दिवस 25 दिसम्बर 2014 को मनाया गया।

 

गुड गवर्नेंस डे क्यों मनाते है? (मुख्य उद्देश्य)

अटल जयंती पर गुड गवर्नेंस डे मनाने का मकसद उन्हें सम्मान और श्रद्धांजलि देना है। इसके आलावा इसके कुछ मुख्य मकसद निम्नलिखित है:

  • 1. पारदर्शी और जिम्मेदार प्रशासन का निर्माण करना
  • 2. आम आदमी का कल्याण और देश में वृद्धि और विकास सुनिश्चित करना
  • 3. सुशासन के लिए अच्छी और प्रभावी नीतियों का निर्माण करना
  • 4. नागरिकों को भ्रष्टाचार मुक् और जवाबदेह प्रशासन देना।
  • 5. देश के लोगों को सरकार के समीप लाना और उन्हें सुशासन की प्रक्रिया में भागीदार बनाना, आदि।

सुशासन के अन्तर्गत अच्छा बजट, सही प्रबंधन, कानून का शासन, सदाचार आदि जैसे लक्षण आते हैं।

 

Good Governance Day कैसे मनाते है?

सुशासन दिवस पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी की जयंती पर उनकी समाधि ‘सदैव अटल‘ पर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है। वैसे तो इस दिन क्रिसमस का त्यौहार होने के कारण छुट्टी होती है, परंतु भारत सरकार द्वारा सुशासन दिवस को एक वर्किंग डे के रूप में घोषित किया गया है।

इस दिन को सभी सरकारी कार्यालयों, स्कूलों, कॉलेजों एवं अन्य शिक्षण संस्थानों में विभिन्न एक्टिविटी जैसे: निबंध लेखन प्रतियोगिता, वाद-विवाद, समूह चर्चा, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता तथा खेल का आयोजन करके सुशासन दिवस मनाया जाना चाहिए।

 

 

अटल बिहारी वाजपेई जी का जीवन परिचय (बायोग्राफी)

भारत रत्न से सम्मानित देश के दसवें प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई जी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसंबर सन् 1924 में हुआ था। उनकी माता का नाम सहधर्मिणी कृष्णा वाजपेयी और पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेई था।

उनकी स्कूली पढ़ाई सरस्वती शिशु मंदिर (ग्वालियर) से शुरू हुई और बाद में उन्होंने एवीएम स्कूल बारानगर (उज्जैन) में दाखिला लिया, जिसमें उनके पिता हेड मास्टर थे। उन्होंने B.A की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (जो अब लक्ष्मीबाई कॉलेज है) से प्राप्त की।

वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से भी जुड़े और वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे। तथा कानपुर स्थित डीएवी कॉलेज से राजनीतिक शास्त्र में एम.ए में प्रथम श्रेणी हासिल कर परीक्षा में उत्तीर्ण हुए।

 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ:

उन्होंने कानपुर से ही एलएलबी की पढ़ाई शुरू की परंतु वे पढ़ाई को बीच में ही रोककर संघ के कार्यों में अपनी पूर्ण निष्ठा से जुट गए। वे मात्र 16 साल की उम्र से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय सदस्य बन गए थे।

अगस्त 1942 में बाजपेई जी और उनके भाई प्रेम जी को भारत छोड़ो आंदोलन के लिए 24 दिनों तक जेल में रहना पड़ा।

 

राजनीतिक जीवन

अटल बिहारी बाजपेई जी ने भारतीय जनसंघ (जो अब भारतीय जनता पार्टी है) की स्थापना करने में मदद की और वह अध्यक्ष पद के लिए भी चुने गए। 1977 में जनता पार्टी की जीत के बाद अटल बिहारी वाजपेई जी को विदेश मंत्री का पद मिला उन्होंने बतौर विदेश मंत्री रहते संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में भाषण देकर ऐसा करने वाले पहले व्यक्ति बने।

 

प्रधानमंत्री पद:

वे अपने जीवन काल में तीन बार प्रधानमंत्री बने पहली बार वह 13 दिनों के लिए 1966 में प्रधानमंत्री बने, दूसरी बार वह 13 महीनों के लिए 1998 से 1999 तक प्रधानमंत्री बने रहे। जिसके बाद उन्होंने पूर्ण कार्यकाल को 1999 से 2004 तक संभाला।

बाजपेई जी ऐसे पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री के पद पर 5 साल बिना किसी समस्या के अपना कार्यकाल पूरा किया। वे करीब 40 साल तक भारतीय संसद के सदस्य रहे उन्हें 10 बार लोकसभा तथा 2 बार राज्यसभा सदस्य के लिए चुना गया।

 

वाजपेयी जी से जुडी कुछ ख़ास बातें

विवाह: बाजपेई जी ने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर राष्ट्रीय स्वयं संघ के प्रचारक के रूप में अपना जीवन प्रारंभ किया था, आजीवन अविवाहित होने के कारण ही इन्हें ‘भीष्म पितामह‘ भी कहा जाता है।


प्रखर कवि: वाजपेई जी को अपने पिता (जो एक हिंदी व बृज भाषा के पारंगत कवि थे) से ही काव्य गुण वंशानुगत चरित्र से प्राप्त हुए। साथ ही अटल जी पत्रकार और एक प्रखर वक्ता भी थे।


भारत रत्न सम्मान: अटल बिहारी वाजपेई जी को उनके असाधारण कार्य और सर्वतोमुखी विकास के लिए 2015 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा 23 दिसंबर 2014 को 90 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई और पंडित मदन मोहन मालवीय जी (मरणोपरांत) को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करने का फैसला लिया गया।

 

अलट जी की मृत्यु कब और कैसे हुई? पुण्यतिथि

अटल बिहारी जी सन 2005 से ही राजनीति को त्याग चुके थे और नई दिल्ली में स्थित अपने सरकारी आवास में रहते हुए साधारण जीवन व्यतीत कर रहे थे परंतु वर्ष 2009 में आए Stroke और फिर लंबी बीमारी के चलते उनका निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में 16 अगस्त 2018 को अंतिम सांस ली।

अटल जी कि समाधि दिल्ली स्थित राजघाट के निकट शान्ति वन में ‘सदैव अटल’ स्मृति स्थल में बनायी गयी है।

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अटल बिहारी जी के कुछ अहम योगदान

  • परमाणु परिक्षण: अटल जी की सरकार में भारत एक परमाणु संपन्न राष्ट्र बना, जब भारत ने पोखरण में सफल परमाणु परिक्षण कर दुनिया को चौका दिया। यह सब इतने गुप्त तरीके से हुआ कि उपग्रहों और तकनीक संपन्न पश्चिमी देशों को इसकी खबर तक नहीं लग सकी।

  • दिल्ली-लाहौर बस सेवा: वाजपेयी जी ने दिल्ली से लाहौर (पाकिस्तान) तक एक बस सेवा भी शुरू की तथा पाकिस्तान जाकर नवाज शरीफ से मुलाकात कर पाकिस्तान से आपसी संबंधों को और अच्छा बनाने का काम किया।

  • कारगिल युद्ध: पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को सुधारने के बाद अटल सरकार को उस समय बड़ा झटका लगा जब पाकिस्तान के सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ की शह पर पाकिस्तानी सेना और उग्रवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके पहाड़ी चोटियों पर कब्जा किया। जिसका भारत के सैनिकों ने मुहतोड़ ज़वाब दिया।

  • स्वर्णिम चतुर्भुज योजना: भारत के 5 बड़े शहरों को जोड़ने के लिए अटल सरकार द्वारा ‘स्वर्णिम चतुर्भुज योजना‘ की शुरुआत की गई जिसके अंतर्गत दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और मुंबई को राजमार्गों से जोड़ा गया।

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