अटल भूजल योजना: शुरुआत, लक्ष्य, लाभान्वित राज्य और लागत

दुनिया भर में भूमिगत जल स्तर एक गंभीर चिंता का विषय है। धरती के गिरते जल स्तर और देश में पानी के संकट को देखते हुए, भारत सरकार ने अटल भूजल योजना (Atal Ground Water Scheme) की शुरुआत की।

अटल भूजल योजना क्या है?

अटल भूजल योजना (Atal Bhujal Yojana) केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई योजना है, जिसका उद्देश्य भारत में भूजल संसाधनों का स्थायी और कुशल प्रबंधन करना है। यह योजना मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में लागू की गई है जहां भूजल की स्थिति गंभीर है और जहां जल संकट एक गंभीर समस्या बन चुका है। इस योजना का उद्देश्य भूजल संसाधनों की कमी को पूरा करना और भविष्य के लिए भूजल की सतत उपलब्धता सुनिश्चित करना है।

अटल भूजल योजना (Atal Ground Water Scheme)
अटल भूजल योजना (Atal Ground Water Scheme)

अटल भूजल योजना की शुरुआत/घोषणा कब हुई?

अटल भूजल योजना की घोषणा 25 दिसंबर 2019 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती पर की गई थी। इस योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉन्च किया था। इस योजना का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है, ताकि देश के जल संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन के प्रति उनकी दृष्टि को सम्मानित किया जा सके।

आपको बता दें कि यह योजना भारत सरकार और वर्ल्ड बैंक की साझेदारी से की जा रही है, जिसे 12 दिसंबर 2019 को ही वर्ल्ड बैंक द्वारा मंजूरी मिल चुकी है। इस स्कीम में मॉनिटरिंग, नेटवर्क्स, कैपेसिटी बिल्डिंग की मदद से सभी योग्य राज्यों के ग्राउंड वाटर मैनेजमेंट को मजबूत बनाया जाएगा।

 

योजना का उद्देश्य या लक्ष्य क्या है?

अटल भूजल योजना का मुख्य लक्ष्य ग्राउंड वाटर लेवल को ऊपर लाना तथा 2024 तक हर घर में पीने योग्य स्वच्छ पानी पहुंचाना है, जिसके तहत राज्यों के ग्राम पंचायतों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। इसमें भूजल संरक्षण के लिए कई शैक्षणिक और संवाद आदि कार्यक्रमों का भी चलाया जाना शामिल है, जिससे आम लोगों को भूजल संरक्षण के बारे में पता चल सके।

  • 1. भूजल संसाधनों का संरक्षण: भूजल की अधिकतम उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए संसाधनों का संरक्षण और प्रबंधन करना।
  • 2. जन जागरूकता बढ़ाना: समुदायों और किसानों के बीच जल संसाधनों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उन्हें इसके महत्व के बारे में शिक्षित करना।
  • 3. सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना ताकि वे भूजल प्रबंधन की प्रक्रिया में शामिल हो सकें और इसके संरक्षण में अपना योगदान दे सकें।
  • 4. कृषि क्षेत्र में सुधार: किसानों को जल संरक्षण के तरीकों और तकनीकों के बारे में शिक्षित करना और उन्हें इसका उपयोग करने के लिए प्रेरित करना।
  • 5. जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना करना: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए भूजल संसाधनों का प्रबंधन करना।

 


अटल भूजल योजना की अवधि:

भारत सरकार द्वारा अटल ग्राउंड वाटर स्कीम को फिलहाल 5 साल के लिए ही लांच किया गया है जो 2020-21 से 2024-25 तक लागू रहेगी और 2024 तक देश के जल संकट को समाप्त करने में भी मदद करेगी।

केंद्र सरकार ने अटल भूजल योजना की समय अवधि को 31 दिसंबर 2024 तक बढ़ा दिया है। यह निर्णय योजना के प्रभावी कार्यान्वयन और उद्देश्यों को पूर्ण रूप से प्राप्त करने के लिए लिया गया है। योजना की समय सीमा को बढ़ाकर सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि सभी लक्षित क्षेत्रों में भूजल संसाधनों का प्रबंधन और संरक्षण प्रभावी ढंग से किया जा सके।


भारत के कितने राज्यों में संचालित है यह योजना?

योजना अभी केवल 7 राज्यों को शामिल किया गया है जिसमें गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र शामिल है, इन बड़े राज्यों में भूजल की कमी को देखते हुए ही इस योजना को इन शहरों में लागू करने का विचार बनाया गया, जिसके तहत करीबन इन 7 राज्यों के 78 जिलों में 8350 गांव को लाभ मिलने वाला है।


कितना होगा खर्च?

अटल भूजल योजना की कुल लागत ₹6000 करोड़ है। इसमें से भारत सरकार ₹3000 करोड़ खर्च करेगी, जबकि बाकी ₹3000 करोड़ वर्ल्ड बैंक से कर्ज के रूप में लिए जाएंगे, जिसे बाद में चुकाना होगा।

अटल भूजल योजना के तहत उन सात राज्यों में खासकर ग्राउंड वाटर लेवल को ऊपर लाने के लिए जल शक्ति मंत्रालय के साथ काम किया जाएगा, जिसमें जमीन के नीचे मौजूद पानी का स्तर काफी कम है।



निष्कर्ष

अटल भूजल योजना भारत में जल संकट को हल करने और भूजल संसाधनों का स्थायी प्रबंधन सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस योजना के माध्यम से सरकार स्थानीय समुदायों और किसानों को जागरूक कर रही है और उन्हें भूजल संसाधनों के संरक्षण में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित कर रही है। अटल भूजल योजना के सफल कार्यान्वयन से न केवल भूजल की सतत उपलब्धता सुनिश्चित होगी बल्कि देश में जल संकट को भी प्रभावी ढंग से हल किया जा सकेगा।

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