भारत में राष्ट्रीय कृषक दिवस कब मनाया जाता है?
वर्ष 2001 से ही हर साल 23 दिसम्बर को भारत के 5वें प्रधानमंत्री और किसानों के मसीहा माने जाने वाले चौधरी चरण सिंह जी की जयंती को राष्ट्रीय किसान दिवस (National Farmer’s Day) के रूप में मनाया जाता है। इस साल 2025 में देश चौ. चरण सिंह जी की 124वीं जयंती मना रहा हैं, उन्होंने कृषि मंत्री रहते हुए किसान कल्याण हेतु अनेकों काम किए।
वे ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने वास्तव में देश के दुसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के जय जवान जय किसान नारे का पालन किया और कृषकों को दबाने वाली नीतियों का उन्मूलन कर उनके हित में नए क़ानून पारित किए। आइए अब आपको चौ. चरण सिंह की स्मृति में मनाए जाने वाले राष्ट्रीय कृषक दिवस (National Farmers Day 2025) के बारे में विस्तार से बताते है।
नाम: | राष्ट्रीय किसान दिवस (National Farmer’s Day) |
तिथि: | 23 दिसम्बर (वार्षिक) |
शुरूआत: | वर्ष 2001 (तत्कालीन भारत सरकार) |
पहली बार: | 23 दिसंबर 2001 |
सम्बंधित व्यक्ति: | चौ. चरण सिंह |
राष्ट्रीय किसान दिवस की शुरूआत का इतिहास?
23 दिसंबर को चौधरी चरण सिंह जी की जयंती पर राष्ट्रीय कृषक दिवस मनाने की शुरूआत वर्ष 2001 में तत्कालीन अटल सरकार ने उनके द्वारा किए गए किसान हित और कृषि क्षेत्र के कार्यों को सम्मानित करने के उद्देश्य से की थी। जिसके बाद 23 दिसंबर 2001 को भारत में पहली बार किसान दिवस मनाया गया।
राष्ट्रीय किसान दिवस के लिए चौधरी चरण सिंह जी की जन्म जयंती को इसलिए चुना गया क्योंकि उन्होंने किसानों की स्थिति को सुधारने के लिए कई सराहनीय कदम उठाएं थे। खुद भी एक किसान परिवार से होने के कारण वे किसानों की समस्या और उनकी स्थिति को भलीभांति समझ पाते थे इसलिए उन्हें ‘किसानों का मसीहा‘ भी माना जाता है।
राष्ट्रीय कृषक दिवस क्यों मनाया जाता है? (महत्व)
भारत में राष्ट्रीय किसान दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य देश के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जन्म जयंती पर उनके कार्यों को याद करना और सभी किसानों के योगदानों की सराहना करना और उन्हें सम्मान देना है।
भारत ही नहीं अपितु विश्व के सभी स्थानों पर अन्नदाता किसान के बिना जीवन की परिकल्पना कर पाना नामुमकिन है, जो भी हम जीने के लिए खाते-पीते है उसका अधिकाँश हिस्सा किसानों के कठिन परिश्रम से ही मिलता है।
चाहे दाल-चावल हो या रोटी, फल-सब्जियों हो या मेहनत से उगाए गए गन्नो से बनी चीनी सब कुछ किसान ही उपजाते है। किसान के बिना हमारे अस्तित्व की कल्पना कर पाना असम्भव है।
भारत कृषि प्रधान देश है यहां के ज्यादातर लोग कृषि पर निर्भर करते हैं और यह देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी भी हैं। देश के विकास में इनका काफी अहम योगदान है, लेकिन दुःख की बात ये है कि इनके योगदानों की चर्चा अब नहीं होती।
● राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (डॉ. वर्गीज कुरियन)
● विश्व मिट्टी दिवस
● सुशासन दिवस (अटल बिहारी वाजपेयी जयंती)
National Farmers Day कैसे मनाया जाता है?
भारत में किसानों की स्थिति में सुधार लाने का श्रेय चौधरी जी को ही जाता है, इसलिए इस दिन की शुरूआत उनकी प्रतिमा पर मालार्पण और समाधि ‘किसान घाट‘ पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए की जाती है। राष्ट्रीय किसान दिवस के मौके पर देशभर में किसान जागरूकता हेतु कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
इसके आलावा चौधरी जी के कृषि एवं किसान विकास क्षेत्र में किए गए योगदानों को याद करते हुए समस्त भारतवर्ष में कृषि और इससे संबंधित संगठन किसानों को उनके अधिकारों एवं फसलों के प्रति उनका ज्ञान वर्धन करते हैं। इसके साथ ही कृषि विज्ञान से संबंधित कई सेमिनारों का भी आयोजन किया जाता है।
चौधरी चरणसिंह का जीवन परिचय (Chaudhary Charan Singh Jayanti Biography)
भारत के 5वें प्रधानमंत्री होने से ज्यादा एक किसान नेता के तौर पर जाने जाने वाले चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ (नूरपुर) में हुआ। आजादी से पहले वह स्वतंत्रता आंदोलनों में भाग लेते रहे और इस दौरान जेल भी गए। हालंकि स्वतंत्रता मिलने के साथ ही वे किसानों के हितकारी बन गए और उनके हितों के लिए लड़ने लगे।
वे भारत के पांचवें प्रधानमंत्री के तौर पर 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक इस पद पर नियुक्त रहे तथा 3 अप्रैल 1967 को वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने परंतु 1 साल बाद इस पद से इस्तीफा दे दिया।
इसके बाद दोबारा हुए चुनावों में उन्हें भारी सफलता मिली और वह एक बार फिर 17 फरवरी 1970 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। अंततः 29 मई 1987 को उनका देहवासन हो गया।
चौधरी चरणसिंह के योगदान
- प्रधानमंत्री बनने से पहले उन्होंने कृषि मंत्री पद पर रहते हुए ‘जमीदारी उन्मूलन विधेयक’ को पारित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसे 1952 में पारित किया गया। इससे किसान भूमिधर बन गए।
- किसानों को पटवारियों के आतंक से आजादी दिलाई और ‘लेखपाल पद‘ का सृजन किया, जिसमें 18 फ़ीसदी सीट हरिजनों के लिए आरक्षित रखी गई।
- 1954 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के किसानों के हित में ‘भूमि संरक्षण कानून‘ पारित कराया।
- गृह मंत्री पद पर रहते हुए मंडल और ‘अल्पसंख्यक आयोग‘ की स्थापना की।
- राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की स्थापना उन्होंने वर्ष 1979 में वित्त मंत्री एवं उप प्रधानमंत्री रहते हुए की।
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अंतिम शब्द
केंद्र, राज्य एवं कई संगठनों द्वारा किसानों के लिए चलाए जाने वाले कार्यक्रमों से भी किसान की हालत में ज्यादा सुधार देखने को नहीं मिला है। राजनीतिक पार्टियां किसानों को वोट बैंक की तरह दिखती है। सभी ने देश के विकास के लिए नेहरू, अटल, मनमोहन जैसे नेताओं का मॉडल तो अपना लिया लेकिन वे चौधरी चरण सिंह जी के मॉडल को स्वीकार नहीं कर पाए हैं।
जल्द ही हमने किसानों के लिए कुछ बड़े कदम उठाने होंगे जिससे भारतीय किसानों को प्रेरित कर उनकी हालत में सुधार किया जा सके तभी सही मायने में हम चौधरी चरण सिंह जयंती और राष्ट्रीय किसान दिवस को सफल होते देख पायेंगे।