National Milk Day 2024: राष्ट्रीय दुग्ध दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
भारत में हर साल 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य दूध और इसके उत्पादों के महत्व को समझाना और देश में इसके उत्पादन को बढ़ावा देना है। यह दिवस भारत में ‘श्वेत क्रांति के जनक‘ डॉ. वर्गीज कुरियन की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। डॉ. कुरियन को भारतीय डेयरी उद्योग के विकास में उनके अमूल्य योगदान के लिए जाना जाता है।
दूध को कैल्शियम के सबसे अच्छे स्रोत में से एक माना जाता है यहां तक कि यह दुनिया का एकमात्र पेय पदार्थ है, जिसमें सबसे ज्यादा मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं और भारत विश्व का नंबर वन दुग्ध उत्पादक देश है। आइए आपको नेशनल मिल्क डे का महत्व, इसका इतिहास और डॉ वर्गीज कुरियन (Dr. Verghese Kurien) के बारे में बताते है।
विषय सूची
नेशनल मिल्क डे की शुरूआत और इतिहास
भारत में राष्ट्रीय दूध दिवस की शुरुआत 26 नवंबर, 2014 को खाद एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा की गई थी। इस दिन को मनाने का विचार भारतीय डेयरी संघ (IDA) और कई अन्य दुग्ध सहकारी समितियों ने मिलकर किया था। 2014 में जब इसे पहली बार मनाया गया तब इसमें भारत के 22 राज्यों के विभिन्न दूध उत्पादकों ने हिस्सा लिया।
दरअसल दुग्ध दिवस मनाने के लिए 26 नवंबर की तारीख को इसलिए चुना गया, क्योंकि इस दिन डॉ. वर्गीज कुरियन का जन्मदिन होता है। डॉ. कुरियन को भारत की श्वेत क्रांति (White Revolution) का जनक माना जाता है। उनके योगदान के कारण ही दूध की कमी से जूझने वाला देश आज सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक देश बन गया है।
राष्ट्रीय दूध दिवस क्यों मनाया जाता है?
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस को मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य हमारे जीवन में दूध के महत्व को प्रदर्शित करना और इसके उत्पादन को बढ़ावा देना है। यह दिवस डॉक्टर कुरियन द्वारा डेयरी, कृषि और इससे जुड़े संगठनों में दिए गए उनके योगदानों को याद करता है।
इस दिन का एक अन्य उद्देश्य भारत में श्वेत क्रांति के जनक माने जाने वाले डॉ. वर्गीज कुरियन के योगदानों को सम्मानित करना और डेयरी उद्योग में उनके द्वारा किए गए कार्यों को याद करना भी था। डॉ. कुरियन ने ‘ऑपरेशन फ्लड‘ नामक सबसे बड़े डेयरी विकास कार्यक्रम की शुरुआत की, जिससे भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन गया।
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राष्ट्रीय दुग्ध दिवस 2024 की थीम और महत्व
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस की कोई विशिष्ट थीम नहीं होती है, लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य दूध के सेवन के महत्व पर जोर देना है। इस दिन का उद्देश्य केवल कार्यक्रमों का आयोजन नहीं है, बल्कि हमारे आहार में दूध की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा करना, इसके सेवन को प्रोत्साहित करना और आर्थिक विकास व अच्छे पोषण में इसकी भूमिका को पहचानना है।
राष्ट्रीय दूध दिवस के माध्यम से हम न केवल डॉ. कुरियन जैसे दूरदर्शी को सम्मानित करते हैं, बल्कि दूध और दुग्ध उत्पादों के पोषण मूल्य के महत्व को भी समझते हैं। दूध हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन डी और अन्य पोषक तत्व होते हैं। यह बच्चों के विकास, हड्डियों की मजबूती और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करता है।
डॉ. वर्गीज कुरियन का योगदान
डॉ. वर्गीज कुरियन का जन्म 26 नवंबर, 1921 को हुआ था, वह ‘मिल्क मैन ऑफ इंडिया‘ के नाम से भी जाने जाते हैं। 1970 के दशक में उन्होंने ‘ऑपरेशन फ्लड‘ की शुरुआत की, जो विश्व का सबसे बड़ा डेयरी डेवलपमेंट प्रोग्राम था।
ऑपरेशन फ्लड का भारत की ‘श्वेत क्रांति‘ में महत्वपूर्ण योगदान रहा, इस क्रांति ने भारत को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया और किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारा। इसी कारण उन्हें श्वेत क्रांति का जनक (Father of India’s White Revolution) भी कहा जाता है।
डॉ. कुरियन ने अमूल ब्रांड की स्थापना की जिसका उद्देश्य भारत को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना तथा किसानों की मदद करना था। उन्होंने गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ (GCMMF) की भी स्थापना की, जो आज अमूल ब्रांड के तहत काम करता है। अमूल ने देशभर में दूध की गुणवत्ता और उपलब्धता को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- उन्होंने ही भारत को अपने खुद के दूध उत्पादन केंद्रों को सक्षम बनाने की दिशा में काम किया और लगभग 30 संस्थानों की स्थापना की।
- भैंस के दूध से पाउडर तैयार करने वाले वह दुनिया के पहले व्यक्ति थे।
- वे 1965 से 1998 तक लगभग 33 सालों तक राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड के अध्यक्ष रहें।
- उनके कार्य की प्रशंसा करने हेतु उन्हें कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया जिसमें वर्ष 1989 में विश्व खाद्य पुरस्कार, वॉलिंटियर शांति पुरस्कार और 1963 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार शामिल है।
- इसके अलावा भारत सरकार द्वारा वर्ष 1965 में मिला पद्मश्री, 1966 में पद्म विभूषण और 1999 में मिला पद्मभूषण सम्मान उनके द्वारा किए गए कार्यों की प्रशंसा करता है।
डॉ वर्गीज कुरियन की मृत्यु 90 वर्ष की आयु में 09 सितंबर 2012 को हुई।
अमूल गर्ल के विज्ञापन अभियान को बनाने में कुरियन साहब का महत्वपूर्ण समर्थन रहा, यह कई सालों से ही सबसे लंबे समय तक चलने वाले अभियानों में शामिल रहा है।
राष्ट्रीय दूध दिवस पर उत्सव और कार्यक्रम
राष्ट्रीय दूध दिवस के अवसर पर पशुपालन और डेयरी विभाग के साथ ही अन्य संस्थाओं द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। स्कूलों, कॉलेजों और डेयरी संगठनों में जागरूकता कार्यक्रम, कार्यशालाएं और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। किसान और डेयरी उत्पादकों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न पुरस्कार और सम्मान (राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार) दिए जाते हैं।
राष्ट्रीय दूध दिवस भारत के डेयरी उद्योग के महत्व और डॉ. वर्गीज कुरियन के योगदान को मान्यता देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि दूध हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है और इसके उत्पादन और गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए हमें सतत प्रयास करना चाहिए। डॉ. कुरियन के सपनों को साकार करने और भारत को दूध उत्पादन में शीर्ष पर बनाए रखने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा।
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