अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस 2024: विश्व वानिकी दिवस की थीम और वनों का महत्व

वर्ष 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा घोषित किए जाने के बाद से ही हर साल 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस या अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस मनाया जाता है।

International Day of Forests 2024: विश्व वन दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

वर्ल्ड फ़ॉरेस्ट्री डे 2024: विश्व वानिकी दिवस या अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस हर साल 21 मार्च को मनाया जाता है, इसे मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया के विभिन्न देशों को वनों का महत्व समझाना और इनके संरक्षण के लिए समाज का योगदान हासिल करना है।

पृथ्वी पर संतुलन बनाए रखने के लिए इंसानों, जीव-जंतुओं, पानी, मिट्टी और हवा के साथ-साथ वृक्ष और वनों का भी अहम योगदान और महत्व है। जंगलों और वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण अब पृथ्वी पर वन और उनमें रहने वाले जीव-जंतुओं के आवास सिमट रह गए हैं।

World Forestry Day - Vishva Vaniki Diwas 2024
World Forestry Day – Vishva Vaniki Diwas 2024
इंटरनेशनल डे ऑफ़ फ़ॉरेस्ट के बारे में
नामविश्व वानिकी दिवस (अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस)
तारीख़21 मार्च (वार्षिक)
स्थापनावर्ष 2012 में (संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा)
पहली बार21 मार्च 2013
उद्देश्यवनों के महत्व और वृक्षारोपण के बारे में जागरूकता फैलाना
थीम (2024)फ़ॉरेस्टस एंड इनोवेशन

 

विश्व वानिकी दिवस मनाने की शुरूआत कब और कैसे हुई? (इतिहास)

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा वर्ष 2012 में 21 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस घोषित किए जाने के बाद से ही विश्व स्तर पर 21 मार्च के दिन विश्व वानिकी दिवस (World Forestry Day) संयुक्त राष्ट्र वन फोरम तथा खाद्य एवं कृषि संगठन के सहयोग से मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर वनों के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करना और वृक्षारोपण को बढ़ावा देना है।

हालंकि कुछ जानकारों के अनुसार पहली बार वैश्विक स्तर पर फ़ॉरेस्ट डे मनाने की शुरुआत यूरोप में यूरोपीय कृषि परिसंघ की 23वीं महासभा द्वारा वर्ष 1971 में की गई थी। उस समय यूरोप में विकास के नाम पर हो रही पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के दुष्परिणामों को देखते हुए यह दिवस मनाए जाने का फैसला लिया गया था।

Vishava Van Diwas Slogan Image
Vishava Van Diwas Slogan Image

 

अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस क्यों मनाया जाता है? उद्देश्य

वन (जंगल) का पृथ्वी के लिए और सभी जीव-जंतु के लिए क्या महत्व है यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है, वन सभी जीव-जंतुओं का आवास स्थान और भोजन का जरिया है तथा इसी से हमारा जीवन है और यह ग्रह भी।

विश्व वानिकी दिवस मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को वनों के महत्व को समझाना और वनों के संरक्षण हेतु सामने आकर काम करने के लिए प्रेरित करना है।

वनों (Forest) में पाए जाने वाले पेड़-पौधों के कारण ही पृथ्वी पर ऑक्सीजन की मात्रा बराबर बनी हुई है, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस (International Day of Forests) पर लोगों को पेड़ लगाने के लिए जागरूक करने और जंगलों की कटाई से उत्पन्न होने वाली समस्याओं से अवगत कराते हुए इसे मनाया हैं।

वन संरक्षण पर नारे कोट्स
वन संरक्षण पर नारे कोट्स

 

विश्व वानिकी दिवस 2024 थीम (International Day of Forests Theme)

प्रत्येक अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस के लिए थीम को जंगलों पर सहयोगात्मक भागीदारी (CPF) द्वारा चुना जाता है। इस वर्ष विश्व वानिकी दिवस 2024 की थीम “वन और नवाचार” (Forests and Innovation) है, पिछली साल 2023 में इसे ‘वन और स्वास्थ्य‘ (Forests and health) विषय के साथ मनाया गया था।

साल 2022 की थीम ‘वन और सतत उत्पादन और खपत‘ (Forests and sustainable production and consumption) थी, तो वहीं 2021 का कार्यक्रम “वन बहाली: पुनर्प्राप्ति और कल्याण का मार्ग” विषय के साथ मनाया गया था।

वर्ल्ड फ़ॉरेस्ट्री डे की पिछले कुछ सालों की थीम्स:

  • 2022: वन और सतत उत्पादन और खपत (Forests and sustainable production and consumption)
  • 2021: वन बहाली: पुनर्प्राप्ति और कल्याण का मार्ग (Forest restoration: a path to recovery and well-being)
  • 2020: वन और जैव विविधता (Forests and Biodiversity)
  • 2019: वन और शिक्षा (Forests and Education)
  • 2018: वन और शहर (Forests and Cities)
  • 2017: वन और ऊर्जा (Forests and Energy)
  • 2016: वन और जल (Forests and Water)
  • 2015: वन | जलवायु | परिवर्तन (Forests | Climate | Change)
  • 2014: हमारे वन | हमारा भविष्य (Our Forests | Our Future)

वन संरक्षण पर स्लोगन
वन संरक्षण पर स्लोगन

 

विश्व वन दिवस कैसे मनाया जाता है?

इस दिन लोगों को पेड़ लगाने बाद पेड़ों की अंधाधुंध कटाई ना करने का संदेश दिया जाता है तो वहीं वन संरक्षण के लिए भी कई तरह के जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं इस दिन हमें भी आगे आकर वृक्षारोपण व वन महोत्सव के कार्यक्रमों में योगदान देना चाहिए।

साथ ही इस दिन कई भाषणों और निबंध लेखन प्रतियोगिताओं का भी आयोजन होता है, जिसमें वन महोत्सव और इंटरनेशनल फॉरेस्ट डे (International Day of Forests) पर निबंध लिखने के लिए कहां जाता है, तो वही इस दिन वनों की कटाई पर बने सख्त कानूनों के बारे में भी लोगों को बताया जाता है।

इस मौके पर स्कूलों, विश्वविद्यालयों, और सरकारी संस्थानों में पेड़ लगाए जाते है, और विद्यार्थियों के बीच कई नाटक एवं ड्राइंग कॉम्पीटीशन भी कराए जाते हैं।

 


साल 2020 में ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी भीषण आग से मची तबाही ने काफी अधिक मात्रा में जीव-जंतुओं और जंगलों को जलाकर खाक कर डाला था।

 

भारत में राष्ट्रीय वन दिवस कब होता है?

भारत में प्रतिवर्ष जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में वन महोत्सव के रूप में यह दिन वर्ष 1950 से ही मनाया जाता रहा है, भारत में वन महोत्सव मनाए जाने की शुरुआत उस समय रहे कृषि मंत्री कुलपति कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी द्वारा की गई थी।

70 के दशक में उत्तरप्रदेश में चमोली (जो अब उत्तराखंड में है) के लोगों ने पेड़ों को काटे जाने से बचाने के लिए ‘चिपको आंदोलन‘ किया था जिसमें लोग पेड़ों के चारो तरफ एक घेरा बनाकर उससे चिपक जाया करते थे ताकि पेड़ों को काटा न जा सके।

 

क्यों जरूरी है वनों का संरक्षण? क्या है इनका महत्व?

आज से कुछ वर्षों पहले तक पृथ्वी की कुल भूमि क्षेत्र का लगभग 50 प्रतिशत भाग वनों से ढका हुआ था परंतु आज यह सिमटकर मात्र 30% पर रह गया है, अगर अब भी वनों के संरक्षण पर जोर ना दिया गया तो इससे जीव-जंतुओं के आवास पर तो संकट आएगा ही साथ ही मनुष्य पर भी इसका प्रभाव देखने को मिलेगा।

वनों और जंगलों में वृक्षों की होती अंधाधुंध कटाई और बढ़ते प्रदूषण स्तर के कारण ही आज पृथ्वी विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं और ग्लोबल वॉर्मिंग जैसी समस्याओं से जूझ रही है।

कई ग्लेशियर लुप्त होने की कगार पर है, अभी से मौसम में अनियमितता देखने को मिल रही है, जल चक्र प्रभवित हुआ है। यहाँ तक की मृदा संरक्षण और जैव मंडल पर भी गहरा असर देखने को मिल रहा है।


अगर वनों को उजड़ने से नहीं रोका गया या इनकी संख्या में वृद्धि नहीं हुई तो भविष्य में मानव संसाधनों के साथ ही पीने को स्वच्छ जल, सांस लेने के लिए ऑक्सीजन, और अन्न उगाने के लिए उपजाऊ मिट्टी के संकट से जूझता दिखाई देगा।

 

वनो से होने वाले लाभ (Benefits of Forests in Hindi)

  • पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए प्राण वायु ऑक्सीजन बेहद आवश्यक है, वन बड़ी मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड को वातावरण से सोख कर उसे ऑक्सीजन में बदल देते हैं।

  • वनों से ही हमें फल, लकड़ियां, मसाले और कई तरह की औषधियां प्राप्त होती है, तथा रबड़ और नायलॉन जैसी चीजें भी मिलती है।

  • आपके घर में मौजूद फर्नीचर का ज्यादातर सामान वनों की लकड़ियों से ही बनाया जाता है।

  • इस ग्रह की जैव विविधता वनों के कारण ही संभव है इसमें रहने वाले जीव-जंतु यहां के पेड़-पौधों से ही अपना भोजन प्राप्त करते हैं और यही इनका आवास भी है।

  • मिट्टी को जकड़े रखने वाली वृक्षों की मजबूत जड़ें भारी बरसात में मिट्टी के कटाव को रोकते हैं जिससे बाढ़ का खतरा कम हो जाता है।

  • वन पृथ्वी के तापमान को नियंत्रण में रखना और प्रकाश परावर्तन को घटाना वनों का मुख्य कार्य होता है।

  • वन में लगे पेड़ पौधे हवा की दिशा परिवर्तन व इनकी गति कम करने के साथ-साथ ध्वनि नियंत्रण का भी काम करते हैं।

 

वनों के प्रकार (Types of Forests in Hindi)

धरती का वह इलाका जहां वृक्षों का घनत्व सामान्य से ज्यादा होता है उसे वन कहा जाता है। भारत में निम्नलिखित वन मुख्य रूप से पाए जाते हैं जिनमें सदाबहार वन (वर्षा वन), मैंग्रोव वन शंकुधारी वन, पर्णपाती वन, शीतोष्ण कटिबंधीय आदि शामिल है।

  • बोरील वन: ये ध्रुवों के निकट पाए जाने वाले वन है।

  • उष्णकटिबंधीय वन: यह ऐसे वन होते हैं जो भूमध्य रेखा के निकट पाए जाते हैं।

  • शीतोष्ण वन: मध्यम ऊंचाई वाले स्थान पर मिल जाते हैं।

  • सदाबहार वन: यह वन उच्च वर्षा क्षेत्रों में पाए जाने वाले वन है भारत में इस तरह के वन पश्चिमी घाट, अंडमान निकोबार दीप समूह तथा पूर्वोत्तर भारत जैसे जगहों पर (जहां मानसून अधिकतम समय तक रहता है) पाए जाते हैं इन वनों में अधिकतर फल और हर किड्स जैसे पेड़ अधिक मात्रा में उगते हैं।

  • शंकुधारी वन: यह कम तापमान वाले क्षेत्रों में पाए जाने वाले वन है जो भारत में हिमालय पर्वत पर अधिकतर पाए जाते हैं। ऐसे वनों में पाए जाने वाले वृक्ष काफी सीधे और लंबे होते हैं नुकीली पत्तियों वाले इन पेड़ों की शाखाएं नीचे की ओर झुकी होने के कारण इनकी टहनियों पर बर्फ नहीं टिक पाती इन पेड़ों को जिम्नोस्पर्म भी कहा जा जाता है।

  • पर्णपाती वन: इस तरह के वन मध्यम वर्षा वाले इलाकों में पाए जाते हैं जहां वर्षा कुछ महीनों के लिए ही होती है।इन वनों में टीक के वृक्ष और इसी तरह के कई दूसरे वृक्ष उगते हैं। इन वृक्षों की पत्तियां गर्मी और सर्दी के महीने में गिर जाती हैं और चैत्र के महीने में इन वृक्षों पर नई पत्तियां आनी शुरू हो जाती है।

  • कांटेदार वन: इस तरह के वन कम नमी वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं और यहां उगने वाले वृक्ष काफी दूर-दूर स्थित होते हैं, यह वृक्ष कांटेदार होते हैं इसीलिए यह जल संरक्षित करने का काम करते हैं, इन वृक्षों की पत्तियां छोटी, मोटी या मॉम युक्त होती है। इनमें खजूर, कैक्टस, नागफनी जैसे वनस्पतियां पाई जाती हैं

  • मैंग्रोव वन: मैंग्रोव वन डेल्टाई इलाकों और नदियों के किनारों पर उगने वाले वन होते हैं इस तरह के वन नदियों द्वारा अपने साथ बहाकर लाई गई मिट्टी के साथ-साथ लवण युक्त तथा शुद्ध जल में भी आसानी से वृद्धि कर जाते हैं।

 


Resources: FAO & International Day of Forests

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