एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) क्या है? यह कितना होना चाहिए और चेक कैसे करें?

AQI की Full Form 'एयर क्वालिटी इंडेक्स' होती है, जिसे हिंदी में वायु गुणवत्ता सूचकांक कहा जाता है। इससे हवा की गुणवत्ता (Quality) मापी जाती है।

Air Quality Index क्या है? यह कैसे काम करता है? (AQI Full Form & Meaning in Hindi)

भारत की राजधानी दिल्ली और इसके आस-पास के इलाकों में रहने वाले लोग हर साल अक्टूबर और नवम्बर महीने में पर्यावरण प्रदूषण की बड़ी समस्या से जूझते दिखाई देते है। ऐसे में टीवी समाचारों और अखबारों में AQI (Air Quality Index) भी ट्रेंड होने लगता है और लोग यह जानना चाहते है कि आख़िर ये एक्यूआई क्या है? और एयर क्वालिटी इंडेक्स कितना होना चाहिए? इसलिए यहाँ इसके बारे में पूरी जानकारी दी गयी है।

आपको बता दें कि पिछली साल दिल्ली में प्रदुषण का स्तर इतना भयावह था की इसने सारे पुराने रिकार्ड तोड़ते हुए, प्रदुषण मापने के स्केल यानि एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) को ही पार कर दिया। आइए अब जानते है कि AQI की Full Form & Air Quality Index Meaning in Hindi और प्रदुषण को मापने वाले मीटर वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) से प्रदुषण लेवल कैसे चेक करें?

Air Quality Index Kya Hai - AQI in Hindi
Air Quality Index Kya Hai – AQI in Hindi

 

वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) क्या है? AQI Full Form in Hindi

AQI की Full Form ‘एयर क्वालिटी इंडेक्स‘ होती है, जिसे हिंदी में ‘वायु गुणवत्ता सूचकांक‘ कहा जाता है। यह हवा की गुणवत्ता को मापने का पैमाना है, जिससे वायु प्रदूषण के स्तर को मापा जा सकता है। यह एक तरह के नंबर रेंज में बांटा होता है, जो सामान्यतः 0-100 के बीच होना चाहिए।

भारत में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) वर्ष 2014 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया था। AQI को हवा में मौजूद 8 प्रदूषको (NO2, SO2, CO, O3, NH3, Pb और PM10, PM2.5) नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), कार्बन मोनोऑक्साइड(CO) और सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) की मात्रा को विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) द्वारा तय किए गए मापदंडो के अनुसार क्रमबद्ध किया गया है।

वायु (Air) की गुणवत्ता को मापने (Measurement) के लिए विश्व के विभिन्न देशों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) बनाये गये हैं। सभी देशों में यह अलग-अलग पैमानों से आँका (Measure) जाता है, भारत में इसे राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) कहते है, तो वहीं मलेशिया में वायु प्रदूषण सूचकांक, कनाडा में वायु गुणवत्ता स्वास्थ्य सूचकांक, और सिंगापुर में प्रदूषक मानक सूचकांक का प्रयोग किया जाता है।

 

एयर क्वालिटी इंडेक्स कितना होना चाहिए?

एयर क्वालिटी इंडेक्स को 6 कैटेगरी में बांटा गया है, जिसमें 0 से 50 को ‘अच्छे‘, 51 से 100 को ‘संतोषजनक‘, 101 से 200 को ‘थोड़ा प्रदूषित’, 201 से 300 तक ‘खराब’, 301 से 400 तक ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 को गंभीर श्रेणी में रखा गया है। यदि पैमाना 500 को पार कर जाता है तो इसका मतलब प्रदूषण बेहद गंभीर और खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है।

सामान्य तौर पर एक अच्छा AQI 0 से 100 के बीच माना जाता है यह श्रेणी सामान्यतः संतोषजनक मानी गई है, तो वही 101 से 200 तक के एक्यूआई को ठीक-ठाक कैटेगरी में रखा जाता है।

Air Quality Index Table
S.No.AQI RangeRating
1.(0-50)अच्छा
2.(51-100)संतोषजनक
3.(101-200)थोड़ा प्रदूषित
4.(201-300)खराब
5.(301-400)बहुत खराब
6.(401-500)गंभीर

वायु की गुणवत्ता मापने के लिए जगह-जगह पर निगरानी स्टेशन या मॉनिटरिंग लैब अथवा वायु गुणवत्ता मॉनिटर सेंसर लगाए जाते हैं, जो लेजर सेंसर की मदद से हवा में कणों के घनत्व को स्कैन कर व कई अन्य टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर इसकी गुणवत्ता मापते हैं। भारत सरकार का केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हर रोज बड़े शहरों के वायु गुणवत्ता सूचकांक जारी करता है।

 

PM 2.5 और PM 10 क्या है? (What is PM 2.5 and PM 10 In Hindi)

यहाँ PM की फुलफॉर्म ‘पर्टिकुलेट मैटर‘ (Particulate Matter) है इसे कण प्रदूषण (Particle Pollution) भी कहा जाता है। 2.5 माइक्रोमीटर या इससे कम वाले कण PM2.5 और 10 माइक्रोमीटर या इससे कम वाले कण PM10 के अंदर आते है।

यह वातावरण में मौजूद ठोस कणों और तरल बूंदों के मिश्रण से बनता है, हवा में मौजूद यह कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि आप इन्हें नंगी आंखों से नहीं देख सकते।

इन्हें देखने के लिए आपको इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का उपयोग करना पड़ सकता है, इन्ही कणों (Particles) में PM 2.5 और PM 10 मिले होतें हैं।

दिल्ली जैसे शहरों में वायु प्रदूषण को इतना खरतनाक बनाने में PM 2.5 और PM 10 कणों की मुख्य भूमिका है, जब इनका स्तर पर्यावरण में मौजूद हवा में बढ़ता है तो लोगों को सांस लेने में दिक्कत, आँखों में जलन जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।


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Air Quality Checker App for Android

अगर आप अपने एंड्राइड स्मार्टफोन में एयर क्वालिटी चेक करना चाहते है तो आप इसके लिए गूगल प्ले स्टोर से IQAir – Air Visual एप्प डाउनलोड कर सकते है। इसे गूगल प्ले स्टोर पर 4.7 की रेटिंग मिली है, जो काफी अच्छी मानी जाती है।

इसका इस्तेमाल करना भी काफी आसान है, यह ऑटोमेटिकली आपकी लोकेशन को डिटेक्ट करके आपके आस-पास (Near) का प्रदुषण Lavel और इसके हिसाब से Ranking बताता है। साथ ही यह आपको हवा की गति, और तापमान की भी जानकारी देता है।

AQI Pollution Level Checker App

 

एयर क्वालिटी इंडेक्स ज्यादा होने पर क्या करें?

एयर क्वालिटी इंडेक्स ज्यादा होने पर जरूरी ना हो तो घर से बाहर निकलने से बचें, बाहर निकलते समय प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए हमेशा एक बढ़िया क्वालिटी का N95 मास्क पहने। अपने आपको धूल-धूए आदि से बचाएं और हो सके तो स्वयं की गाड़ी इस्तेमाल करने की बजाय कार पॉलिंग या पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे मेट्रो आदि का इस्तेमाल करें।

प्लास्टिक या कूड़े को ना जलाएं और स्मोकिंग करने से बचें। सूखी खांसी या श्वास से संबंधित अन्य बीमारियों से बचने के लिए समय-समय पर पानी पिए और खुद को हाइड्रेटेड रखें। त्वचा या आंखों में जलन से बचने के लिए सनग्लास का प्रयोग करें या समय-समय पर आंखों को स्वच्छ पानी के छींटे मार कर अच्छे से धोएं।

 

वायु प्रदूषण के मुख्य कारण और इसे रोकने के उपाय?

  • 1. हवा की गति में कमी आने से Smog का बनाना
  • 2. दिवाली पर अत्यधिक पटाखों फोड़ना
  • 3. दिल्ली के आसपास के इलाकों में पराली जलना
  • 4. वाहनों, कारखानों द्वारा प्रदुषण में अत्यधिक वृद्धि
  • 5. हवा में धुल की मात्रा का बढ़ना, आदि

सरकार द्वारा दिल्ली और एनसीआर के इलाकों में वायु प्रदूषण को काबू में करने के लिए बहुत से महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं जिनमे से एक दिल्ली सरकार द्वारा चलाया गया ओड-ईवन फॉर्मूला है।

इसके साथ ही वृक्षों पर पानी छिड़कना, सड़कों से धूल हटाना, सर्दी भर पटाखों पर बैन लगाना, निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाना, CNG आधारित परिवहन और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना, सार्वजनिक परिवहन का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना, कोयले से चलने वाली ताप बिजली परियोजनाओं का ऑपरेशन रोकना जैसे महत्वपूर्ण कदम शामिल हैं।


 

अंत में यह कहना गलत नहीं होगा कि यह पर्यावरण समस्या मानव द्वारा ही उत्पन्न हुई है, अतः इसके समाधान के लिए भी सभी मनुष्यों को एक साथ काम करना होगा, केवल सरकार पर आरोप या प्रत्यारोप लगाना ठीक नहीं है किसी भी समस्या के समाधान के लिए सरकार के साथ लोगों की भागीदारी भी जरूरी है।

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