राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2023: मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जयंती और उनके विचार

National Education Day 2023: मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती पर उनके अनमोल विचार (Quotes)

Rashtriya Shiksha Diwas 2023: स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की स्मृति में हर साल उनकी जयंती के उपलक्ष में प्रत्येक वर्ष 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। वे महान स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान और प्रख्यात शिक्षाविद् भी थे। उन्होंने 15 अगस्त 1947 से 2 फरवरी 1958 तक भारत के शिक्षा मंत्री के रूप में अपनी सेवा दी, इस दौरान उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में बेहद महत्वपूर्ण और सराहनीय काम किए।

इस साल 2023 में हम 16वां राष्ट्रीय शिक्षा दिवस और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जी की 135वीं जयंती मना रहे है। भारत रत्न से सम्मानित मौलाना अबुल कलाम भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे, उनका जन्म 11 नवंबर, 1888 को हुआ था। यहां नेशनल एजुकेशन डे के मौके पर हम आपको राष्ट्रीय शिक्षा दिवस कब और किसकी याद में मनाया जाता है? तथा इसे मनाने का उद्देश्य और Theme (विषय) तथा मौलाना अबुल कलाम आजाद के विचार (कोट्स) के बारे में जानकारी साझा करने जा रहे हैं।

Rashtriya Shiksha Diwas 2023 Maulana Azad Jayanti
Rashtriya Shiksha Diwas 2023 Maulana Azad Jayanti
National Education Day के बारे में:
नाम:राष्ट्रीय शिक्षा दिवस
स्मृति दिवस:मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती
शुरूआत:वर्ष 2008 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) भारत सरकार द्वारा
तिथि:11 नवम्बर (वार्षिक)
पहली बार:11 नवम्बर 2008
उद्देश्य:राष्ट्रीय स्तर पर लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने एवं प्रत्येक व्यक्ति को साक्षर बनाने हेतु।

 

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस कब और किसकी याद में मनाया जाता है? (इतिहास)

देश के पहले शिक्षा मंत्री और भारत रत्न से सम्मानित मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जी के शिक्षा क्षेत्र में किए योगदानों को देखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) ने 11 सितंबर, 2008 को उनकी जयंती की तारीख यानि 11 नवंबर को हर साल ‘राष्ट्रीय शिक्षा दिवस‘ (National Education Day) के रूप में मनाने का फैसला किया था। तभी से हर साल 11 नवम्बर को नेशनल एजुकेशन डे मनाया जाने लगा।

भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पहली बार 11 नवम्बर 2008 को मनाया गया था, आपको बता दें कि हर साल विश्व स्तर पर शिक्षा के महत्व को रेखांकित करने के लिए 24 जनवरी को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है।


 

नेशनल एजुकेशन डे क्यों और कैसे मनाया जाता है?

इस दिन, शिक्षा के महत्व को बताने और एजुकेशन को लेकर जागरूकता फैलाने और प्रत्येक व्यक्ति तक शिक्षा का प्रकाश पहुचाने तथा सबको साक्षर बनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और अभियानों का आयोजन किया जाता है। देशभर में मौलाना आज़ाद (Maulana Azaad Birthday) जी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है और उन्हें याद करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (National Education Day) मनाया जाता है।

इस दिन स्कूलों, कॉलेजों और शैक्षिक संस्थानों में तरह-तरह के प्रोग्रामों, सेमिनारों तथा निबंध लेखन और चित्रकला जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं।

Maulana Abul Kalam Azad Quotes in Hindi
Maulana Abul Kalam Azad Quotes in Hindi

 

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2023 की थीम (National Education Day theme 2023)

आमतौर पर राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के लिए कोई खास थीम निश्चित नहीं की जाती। लेकिन यूनेस्को द्वारा अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस को एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है, 2023 में इसकी थीम “लोगों में निवेश करें शिक्षा को प्राथमिकता दें” (to invest in people, prioritize education) घोषित की गई है। आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है, इसे मनाने की घोषणा वर्ष 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा की गई थी।


राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2023 - मौलाना अबुल कलाम आजाद जयंती
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2023 – मौलाना अबुल कलाम आजाद जयंती

 

मौलाना अबुल कलाम आजाद के सुविचार (Quotes in Hindi)

  1. लोकतंत्र का जीवित रहना बहुत जरूरी है। यह देश की ऐसी विशेषता है जो आधुनिक भारत को दूसरों से अलग बनाती है।

    -मौलाना अबुल कलाम आजाद


  2. मुझे भारतीय होने पर गर्व है मैं भारतीय राष्ट्रीयता का हिस्सा हूँ और मैं हर पल भारत के निर्माण के लिए खड़ा रहूँगा।

    -मौलाना अबुल कलाम आजाद


  3. मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के अनमोल विचार
    मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के अनमोल विचार

  4. सभी धर्म समान है, हमे सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए।

    मौलाना अबुल कलाम आजाद

  5. हमें जिंदगी में कभी हताश नहीं होना चाहिए, हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए।


  6. Maulana Abul Kalam Azad Thoughts in Hindi
    Maulana Abul Kalam Azad Thoughts in Hindi

  7. राष्ट्रीय शिक्षा कार्यक्रमों का तब तक कोई महत्व नहीं, जब तक शिक्षा का संचार महिलाओं तक न हो।


  8. बच्चे की प्राथमिक शिक्षा उसकी मातृभाषा में होनी चाहिए।

    शिक्षा दिवस की शुभकामनाएं!

  9. पेड़ लगाने वाले सभी लोगों में से कुछ को ही उनका फल मिलता है।


  10. दिल से दी गयी शिक्षा समाज में क्रांति ला सकती है।

    हैप्पी एजुकेशन डे

  11. गुलामी बहुत बुरी होती है भले ही इसका नाम कितना ही ख़ूबसूरत क्यों न हो।


 

मौलाना अबुल कलाम का शिक्षा में योगदान और शैक्षणिक संस्थान:

Maulana Azad ने शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए बहुत से स्कूलों, कालेजों एवं विश्वविद्यालयों की स्थापना करवाई, उन्होंने उच्च शिक्षण संस्थानों की स्थापना की और देश में मुफ्त शिक्षा के लिए काम किया। जिसमें से कुछ योगदान निम्नलिखित है:

  • Maulana Abul Kalaam Azad ने 28 दिसंबर 1953 को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की स्थापना की।

  • शिक्षा मंत्री के तौर पर उन्होंने नि:शुल्क शिक्षा एवं भारतीय शिक्षा पद्धति में अहम योगदान दिया।

  • उन्होंने IISc और School of Architecture and Planning की भी स्थापना की थी।

  • आधुनिक समय के IIT मुलाना अबुल कलाम के दिमाग की उपज थे।

  • उन्होंने देश में शिक्षा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए संगीत नाटक अकादमी (1953), साहित्य अकादमी (1954) और ललित कला अकादमी (1954) की स्थापना की।

 

शिक्षा के प्रति उनकी विचारधारा:

वे महिलाओं की शिक्षा पर ख़ासा जोर दिया करते थे उनका मानना था कि शिक्षा का तब तक कोई महत्व नहीं जब तक इसका संचार महिलाओं तक न हो। इसके साथ ही वे व्यावसायिक प्रशिक्षण और तकनीकी शिक्षा के सहयोगी थे और आधुनिक विज्ञान पर विशेष जोर देते थे।

तथा उनका पक्ष मातृभाषा में ही प्राथमिक शिक्षा देने पर था उनके अनुसार प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में ही दी जानी चाहिए। उन्होंने 14 साल की आयु तक सभी बच्चों के लिए ‘निशुल्क सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा‘ की वकालत की।

 

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जीवन परिचय (About Maulana Azad In Hindi)

मौलाना आज़ाद का जन्म 11 नवंबर, 1888 को मक्का, साउदी अरब में हुआ, उनका पूरा नाम ‘मौलाना सैय्यद अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन अहमद बिन खैरुद्दीन अल-हुसैनी आज़ाद‘ था। वे महान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद और भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे।

उन्होंने 1947 से 1958 तक पंडित जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री के रूप में देश की सेवा की।

 

पढ़ाई लिखाई

अपने शिक्षा के शुरूआती दिनों में वे अपने पिता से घर में ही इस्लामी शिक्षा लेते रहे, लेकिन बाद में इस्लामी शिक्षा के अलावा आज़ाद ने दर्शनशास्त्र, ज्यामिति, गणित और बीजगणित का भी अध्ययन किया। उन्होंने Self Study करके अंग्रेजी भाषा, दुनिया का इतिहास एवं राजनीति विज्ञान सीखा।

उन्होंने अरबी और फ़ारसी भी सीखी, और 16 साल में ही वो सभी शिक्षा ग्रहण कर ली जिसे आमतौर पर लोग 25 साल में करते है।

 

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान:

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी उनका अहम योगदान रहा उन्होने 1905 में बंगाल के विभाजन का विरोध किया और बंगाल के दो प्रमुख क्रांतिकारियों अरविंद घोष और श्री श्याम सुंदर चक्रवर्ती के सहयोग से ब्रिटिश शासन के क्रांतिकारी आंदोलन में शामिल हुए।

साथ ही दो साल के भीतर पूरे उत्तर भारत और बॉम्बे में गुप्त क्रांतिकारी केंद्र स्थापित किए। जिसके बाद उन्होंने 1912 में मुसलमान युवकों को क्रांतिकारी आन्दोलनों के प्रति उत्साहित करने और हिन्दू-मुस्लिम एकता को बढ़ाने के लिए ‘अल-हिलाल‘ नामक एक साप्ताहिक उर्दू अखबार शुरू किया।

वे जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोधी नेताओं में से एक और खिलाफ़त आन्दोलन के प्रमुख थे।

 

मृत्यु और सम्मान

22 फरवरी 1958 को दिल का दौरा पड़ने से उनका नई दिल्ली (भारत) में निधन हो गया। स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद् के तौर पर उनके योगदानों के लिए 1992 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। वे उर्दू में कविताएँ लिखते थे और लोग उन्हें ‘कलम के योद्धा‘ के रूप में भी जानते हैं।


स्वतंत्रता सेनानी अबुल कलाम आजाद ने कौन सी किताब लिखी?

अपने जीवन काल में मौलाना आज़ाद ने कई किताबे लिखी परन्तु भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर लिखी उनकी किताब ‘इंडिया विंस फ्रीडम’ को काफी पसंद किया गया, जो सन 1957 में प्रकाशित हुई थी।

 

भारत में शिक्षा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्य कौन से है?

भारत में शिक्षा के प्रसार हेतु कई अभियान चलाए जा रहे हैं जिनमें ‘सर्व शिक्षा अभियान‘ से लेकर ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ‘ एवं ‘सब पढ़े सब बढ़े‘ जैसे अभियान और नारे शामिल है। साथ ही सरकार द्वारा प्राथमिक स्कूलों में मुफ्त शिक्षा भी दी जा रही है, और बीते दिनों शिक्षा पद्धति में भी बदलाव देखने को मिला है।

भारत में शिक्षा का अधिकार (राइट टू एजुकेशन) के तहत 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए शिक्षा उनका मौलिक अधिकार है।