चंद्रयान-3 मिशन क्या है? लॉन्चिंग, लैंडिंग और बजट की पूरी जानकारी

चंद्रयान-3 मिशन कब लॉन्च हुआ? चाँद पर कब पहुंचेगा? बजट, लैंडिंग, स्पीड और इसका उद्देश्य

Chandrayaan-3 Mission in Hindi: इसरो एक बार फिर चंद्रयान 3 के रूप में भारत को नए आयामों तक ले जाने के लिए तैयार है, यह अभियान ISRO के Lunar Mission का तीसरा चरण है। इसे चन्द्रयान-2 का फ़ॉलोअप भी कहा जा सकता है, जिसे जुलाई 2019 में लॉन्च किया गया था, लेकिन यह ऑनबोर्ड कंप्यूटर और प्रणोदन प्रणाली की गड़बड़ियों के चलते सॉफ्ट-लैंडिंग के प्रयास में विफल होने के बाद चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

यहाँ हम आपको चंद्रयान-3 मिशन 2023 कब लॉन्च होगा? (Chandrayaan -3 Mission Launch Date), चाँद पर कब पहुंचेगा? भारत के तीसरे लूनर मिशन की लागत और स्पीड कितनी है?, यानि इस मून मिशन की पूरी जानकारी हिंदी में (ISRO’s Chandrayaan-3 Mission Information in Hindi) देने जा रहे है।

Chandrayaan-3 इंफॉर्मेशन इन हिंदी
Chandrayaan-3 इंफॉर्मेशन इन हिंदी

चंद्रयान 2 की क्रैश लैंडिंग के बाद जब इसरो प्रमुख के सिवन से एक महत्वपूर्ण प्रश्न किया गया कि “क्या इसरो अपने लूनर मिशन को जारी रखते हुए चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से में एक बार फिर लैंडिंग का प्रयास करेगा?” इस पर उनका ज़वाब था, “जरूर, चंद्रयान-दो कहानी का अंत नहीं है!

Chandrayaan 3 Information in Hindi
अभियानचंद्रयान-3 मिशन
लॉन्चिंग की तारीख14 जुलाई 2023, 02:35 PM
लॉन्चिंग का स्थानसतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (श्रीहरिकोटा)
लैंडिंग की तारीख23 अगस्त 2023
लैंडिंग का स्थानदक्षिण चंद्र ध्रुव
लागत₹615 करोड़ (US$77 मिलियन)
राकेटLVM3
संचालकभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)
पेलोड भारकुल: 3900 किग्रा
प्रणोदन मॉड्यूल: 2148 किग्रा
लैंडर मॉड्यूल (विक्रम): 1752 किलोग्राम
रोवर (प्रज्ञान): 26 किलोग्राम
मिशन की अवधिविक्रम लैंडर: ≤ 14 दिन
𝘗𝘳𝘢𝘨𝘺𝘢𝘯 रोवर: ≤ 14 दिन

 

Chandrayaan-3 मिशन क्या है? (Chandrayaan-2 इंफॉर्मेशन इन हिंदी)

चंद्रयान-3 इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) द्वारा नियोजित तीसरा चंद्र मिशन और चन्द्रयान 2 का अगला या अनुवर्तन चरण है, इस अभियान के तहत भारत चन्द्रमा पर एक लैंडर (विक्रम) उतरेगा, जिसमें एक रोवर (प्रज्ञान) भी होगा जो चाँद की सतह पर घूमेगा और वहां के तापमान, भूकंप, प्लाज्मा एनवायरन्मेंट तथा मिट्‌टी आदि का अध्ययन अथवा परिक्षण करेगा। इस दौरान यह एक चंद्र दिवस (जो दो पृथ्वी सप्ताह के बराबर है) यानि 14 दिनों के लिए चाँद पर ही रहेगा।


इस लूनर मिशन के 3 मुख्य उद्देश्य हैं:
  • 1. लैंडर की चन्द्रमा पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग करना
  • 2. रोवर को चाँद की सतह पर घूमते हुए प्रदर्शित करना
  • 3. चंद्रमा को बेहतर तरीके से समझने के लिए सतह पर उपलब्ध रासायनिक और प्राकृतिक तत्वों, मिट्टी, पानी आदि पर वैज्ञानिक प्रयोग करना।

आपको बता दें कि भारत सरकार द्वारा मंजूरी मिलने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चन्द्र मिशन को आगे बढ़ाते हुए इसके तीसरे Lunar Mission का ऐलान 1 जनवरी 2020 को किया था। हालंकि कोरोना महामारी का प्रभाव इस अभियान पर भी पड़ा है जिससे इसकी लॉन्चिंग में थोड़ी देरी हुई।

 

चंद्रयान-3 कब और कहाँ से लॉन्च किया जाएगा?

इसरो का चंद्रयान-3 मिशन लॉन्चिंग के लिए तैयार है, जिसे 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत में निर्मित GSLV Mark-3 राकेट द्वारा लॉन्च कर दिया जाएगा। इसमें एक प्रोपल्शन मॉड्यूल, एक लैंडर और एक रोवर शामिल है।

लॉन्चिंग के लगभग 40 दिनों बाद यानि 23 या 24 अगस्त को यह चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा। अगर सब कुछ प्लान के मुताबिक होता है, तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बना जाएगा।

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चंद्रयान 3 चांद पर कैसे पहुंचेगा?

चंद्रयान मिशन को सफल बनाने के लिए इसे 10 फेस में पूरा किया जाएगा, जो निम्नलिखित है:

  • फेज 1: लॉन्च किए जाने के बाद चंद्रयान अंतरिक्ष में पहुंचेगा और पृथ्वी के 5-6 चक्कर लगाएगा।
  • फेज 2: यान सोलर ऑर्बिट से होते हुए चांद की ओर बढ़ेगा।
  • फेस 3: Chandrayaan-3 को चांद की कक्षा में भेजा जाएगा।
  • फेज 4: चांद की सतह से 100 किलोमीटर ऊपर की गोलाकार कक्षा में Chandrayaan-3 चक्कर लगाना शुरू करेगा।
  • फेज 5: 100X30 किलोमीटर की अंडाकार कक्षा में आने के बाद प्रोपल्शन मॉड्यूल और लूनर मॉड्यूल एक दूसरे से अलग होंगे।
  • फेज 6: chandrayaan-3 अपनी स्पीड को कम करना शुरू करेगा।
  • फेज 7: चांद पर लैंडिंग की तैयारी शुरू होगी।
  • फेज 8: chandrayaan-3 चांद की सतह पर उतरने की कोशिश करेगा।
  • फेज 9: सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद लैंडर और रोवर चांद का निरीक्षण करना शुरू करेंगे।
  • फेज 10: प्रोपल्शन मॉड्यूल वापस चंद्रमा की 100 किमी की कक्षा में चला जाएगा।

 

चंद्रयान 3 का कॉन्फ़िगरेशन और यह चंद्रयान 2 से कैसे अलग है?

चंद्रयान-3 में चंद्रयान-2 के जैसे ही एक लैंडर (Lander) और एक रोवर(Rover) है, लेकिन इसमें ऑर्बिटर शामिल नहीं है इसकी जगह प्रोपल्शन मॉड्यूल (Propulsion Module) शामिल किया गया है। प्रोपल्शन मोड्यूल कम्युनिकेशन के लिए है, जो लैंडर-रोवर को छोड़ने के बाद चांद की कक्षा में 100 किलोमीटर ऊपर चक्कर लगाता रहेगा। क्योंकि चन्द्रयान 2 का ऑर्बिटर पहले से ही चन्द्रमा की कक्षा में मौजूद है इसलिए जरूरत पड़ने पर इसी ऑर्बिटर का इस्तेमाल चंद्रयान-3 अभियान में किया जाएगा।


इसरो ने इस मिशन में 450 से अधिक बदलाव किए हैं, Chandrayaan-2 के लिए चांद पर लैंडिंग साइट 500m x 500m तक सीमित की गई थी जिसे chandrayaan-3 में बढ़ाकर 4Km X 2.5Km कर दिया गया है, इसके साथ ही इसके फ्यूल टैंक की क्षमता भी बढ़ा दी गई है जिससे यह इस पूरे इलाके में कहीं भी सुरक्षित लैंडिंग कर सकें। इतना ही नही रोवर के साथ ही लैंडर में भी सोलर पैनल लगे हैं, जो आवश्यकता पड़ने पर सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा लेकर काम करेंगे।

 

Propulsion Module, Lander and Rover in Lunar Mission 3

1. प्रोपल्शन मॉड्यूल: यह लैंडर और रोवर कॉन्फ़िगरेशन वाले मोड्यूल को चंद्रमा की कक्षा में (चंद्रमा से 100 KM की ऊँचाई पर) ले जाएगा, और इसे वहीं छोड़ देगा। हालांकि प्रोपल्शन मॉड्यूल उसी कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा, यह अपने साथ स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ऑफ़ हवीटेबल प्लेनेट अर्थ (SHAPE) नामक एक पेलोड लेकर जा रहा है जो भविष्य की खोज हमें परावर्तित प्रकाश में छोटे रहने योग्य ग्रहों की जांच करने की अनुमति देगा।


2. लैंडर: प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा। पिछली बार लैंडर क्रैश हो गया था ऐसे में सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए इसमें कई सारे सेंसर लगाए गए है, जो चाँद की धरती से 2 किलोमीटर की ऊंचाई पर काम करने लगेंगे। इसके साथ ही इसमें लैंडिंग की जगह का नेविगेशन और कॉर्डिनेट्स भी फीड किया गया।


3. रोवर: लैंडर की सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद लैंडर का दरवाजा खुलेगा और रोवर चाँद की सतह पर धीरे-धीरे करके उतरेगा। और कुछ ही समय में यह लैंडिंग की तस्वीरें भेजना शुरू कर देगा।


4. लॉन्चर: आपको बता दें कि इस अभियान में प्रक्षेपण यान GSLV-Mk3 का इस्तेमाल किया जाएगा, जो एकीकृत मॉड्यूल को पृथ्वी से ~170 x 36500 किमी आकार की एलिप्टिक पार्किंग ऑर्बिट (ईपीओ) में स्थापित करेगा। 640 टन वजनी यह लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM-3) भारत का सबसे भारी रॉकेट है, जिसकी कुल लंबाई 43.5 मीटर है। यह 37000 किमी. ऊँची जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में 4000 किलो वजनी सेटेलाइट ले जा सकता है।

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चंद्रयान 3 चाँद पर कब पहुंचेगा और कहां लैंड होगा? (Landing Site on Moon)

14 जुलाई को इसकी लॉन्चिंग के बाद यह 23-24 अगस्त 2023 को चाँद की सतह पर उतरने की कोशिश करेगा। इसरो चीफ डॉ. एस सोमनाथ के अनुसार चंद्रयान-3 के लैंडर की लैंडिंग चंद्रमा के उसी दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में होने की उम्मीद है, जहाँ चन्द्रयान-2 दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। चंद्रमा के इस हिस्से को डार्क साइड ऑफ मून भी कहा जाता है, क्योंकि यह हिस्सा पृथ्वी के सामने नहीं आता। हालांकि इस बार सॉफ्ट लैंडिंग को सफल बनाने के लिए इसमें काफी बदलाव और ढेरों सेंसर्स इस्तेमाल किए गए है, ताकि यह अपनी लैंडिंग के लिए स्वयं एक सुरक्षित स्थान निर्धारित कर सके और कोई दुर्घटना न हो।

 

चंद्रयान 3 की लागत या बजट कितना है? (Cost)

इसरो के तीसरे चंद्र अभियान का कुल बजट करीबन 615 करोड़ रूपये है, जिसमें लैंडर और रोवर की लागत लगभग 250 करोड़ रुपये आंकी गयी है। इस मिशन की लागत 2019 में किए गए चंद्रयान-2 अभियान से लगभग 345 करोड़ रुपए कम है, जो 960 करोड़ रुपये से अधिक थी।

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चंद्रयान 3 की स्पीड कितनी है (Speed)

LVM MK 3 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया चंद्रयान 3 अधिकतम 36000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकता है। इसके प्रक्षेपण के दौरान इसकी स्पीड 1,627 किलोमीटर प्रति घंटा थी। 45 किलोमीटर की ऊंचाई पर तरल इंजन चालू हुआ और गति 6,437 किलोमीटर प्रति घंटा हो गई।

बाद में, 62 किलोमीटर की ऊंचाई पर बूस्टर रॉकेट अलग हो गया और गति बढ़कर 7,000 किलोमीटर प्रति घंटा हो गई। अब लिक्विड इंजन के अलग होने के बाद क्रॉयोजनिक इंजन सक्रिय होगा और स्पीड 16,000 किलोमीटर प्रति घंटा हो जाएगी, जो बाद में बढ़कर 36,000 किलोमीटर प्रति घंटा हो जाएगी।

 

Chandrayaan-3 में कौन-कौन जा रहा है?

Chandrayaan-3 में लैंडर विक्रम, रोवर प्रज्ञान और एक प्रोपल्शन मॉड्यूल जा रहा है। जिनमें से लैंडर विक्रम में 4 पेलोड, रोवर में 2 पेलोड और प्रोपल्शन मॉड्यूल में एक पेलोड जा रहा है।

चंद्रयान-3 अपने साथ 7 पेलोड्स ले जा रहा है, जहाँ लैंडर में रंभा-एलपी (Rambha LP), चास्टे (ChaSTE), इल्सा (ILSA) और एलआरए (LRA) Payload लगे है, तो वहीं रोवर में एपीएक्सएस (APXS) और लिब्स (LIBS) नामक पेलोड्स लगा है। इतना ही नहीं प्रोपल्शन मॉड्यूल में एक शेप (SHAPE) लगा है। ये पेलोड्स ऐसे यंत्र है जो अंतरिक्ष और चाँद पर विभिन्न तरह की जांच करते हैं।


Lander Payloads:
  • Radio Anatomy of Moon Bound Hypersensitive ionosphere and Atmosphere (RAMBHA)
  • Chandra’s Surface Thermo physical Experiment (ChaSTE)
  • Instrument for Lunar Seismic Activity (ILSA)
  • Laser Retroreflector Array (LRA)

Rover Payloads:
  • Alpha Particle X-Ray Spectrometer (APXS)
  • Laser Induced Breakdown Spectroscope (LIBS)

Propulsion Module Payload:
  • Spectro-polarimetry of HAbitable Planet Earth (SHAPE)

 

चंद्रयान 3 का नेतृत्व कौन कर रहा है?

उपलब्ध जानकारियों के अनुसार ‘रॉकेट वुमन‘ नाम से मशहूर लखनऊ, उत्तर प्रदेश की महिला अंतरिक्ष वैज्ञानिक ‘ऋतु करिधाल श्रीवास्तव‘ चंद्र मिशन का नेतृत्व कर रही हैं। ऋतु करिधाल चंद्रयान 3 मिशन की डायरेक्टर की भूमिका में है वे पहले भी मंगलयान मिशन में अपनी कुशलता दिखा चुकीं है।

 

Chandrayaan-3 Launching को Live कैसे देखें?

भारत में 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे की जाने वाली चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग को आप टीवी पर दूरदर्शन के सभी चैनलों जैसे नेशनल (DD National), डीडी न्यूज़ आदि तथा समाचार चैनलों पर देख सकते है। इसके आलावा इसकी लाइव स्ट्रीमिंग दूरदर्शन के Youtube चैनल पर भी की जाएगी, जहाँ आप इसे ऑनलाइन देख सकेंगे।

 

चंद्रयान-2 का क्या हुआ?

चंद्रयान -2 के लैंडर विक्रम और रोवर को 6 सितंबर 2019 को चाँद (Moon) के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र के पास उतरने और एक चंद्र दिवस (जो दो पृथ्वी सप्ताह के बराबर है) के लिए वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए निर्धारित किया गया था। लेकिन चंद्रयान-2 के लैंडर की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश की में इसरो को सफलता नहीं मिल पाई। हालांकि, चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर काम कर रहा है और वैज्ञानिकों का कहना है कि यह सात साल तक काम करता रहेगा।

यहाँ जानिए: चंद्रयान-2 मिशन फेल क्यों हुआ?

 

इसरो का गगनयान मिशन कब लॉन्च होगा?

के सिवन ने इस प्रेस कांफ्रेंस में Moon Mission के साथ ही गगनयान मिशन के बारे में भी बताया और कहा की चंद्रयान ३ के साथ भारतीय मानव अंतरिक्ष यान कार्यक्रम के भाग के रूप में गगनयान की तैयारी भी चल रही है।

आपको बता दें कि गगनयान एक भारतीय मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान है, जिसका उद्देश्य भारतीय मानव को 2023-24 तक कम से कम सात दिनों के लिए 3 अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना है।

गगनयान मिशन के लिए इसरो द्वारा विकसित किए जा रहे इन अंतरिक्ष यान में एक सर्विस मॉड्यूल और एक क्रू मॉड्यूल होगा, जिसे सामूहिक रूप से ऑर्बिटल मॉड्यूल के रूप में जाना जाता है।

यहाँ जानिए: इसरो का गगनयान मिशन क्या है?

 

Friends अब इसरो एक बार फिर भारत को नए आयामों तक ले जाने के लिए तैयार है, और इसरो का Lunar Mission अपने तीसरे चरण की तरफ अग्रसर होने के साथ ही देश में स्पेस क्रांति भी लेकर आएगा, दोस्तों इस बार का Chandrayaan 3 अनुभवों के साथ तैयार किया गया एक बेहद एडवांस मूनक्राफ्ट है।