योग का इतिहास? इसके देवता और जनक (History of Yoga in Hindi)

History of Yoga in Hindi: योग क्या है जानिए योग का इतिहास? उत्पत्ति और विकास

What is Yoga in Hindi: योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘युज’ से हुई है जिसका अर्थ एकजुट होना, जोड़ना या शामिल होना होता है। अथार्त योग शब्द का पर्याय शरीर का चेतना से मिलन होता है।

योगग्रंथ की माने तो योग करने से इंसान की चेतना ब्रह्मांड की चेतना से जुड़ जाती है, तो वहीं पतंजलि योग के अनुसार योग की परिभाषा मन पर नियंत्रण रखना है।

योग का अस्तित्व सिंधु घाटी सभ्यता के समय से ही है और खुदाई के दौरान मिले अवशेषों पर शारीरिक योग मुद्राएं इस बात का सबूत देती है कि योग का इतिहास अत्यंत प्राचीन है।

History of Yoga in Hindi
History of Yoga in Hindi – हिस्ट्री ऑफ़ योग

 

 

योग का इतिहास (History of Yoga in Hindi)

योग का इतिहास साल दो साल का नहीं बल्कि हजारों साल पुराना है ऐसी मान्यता है कि पृथ्वी पर सभ्यता की शुरुआत के साथ ही योग किया जाता रहा है। परंतु आज के युग और तब के योग में काफी बदलाव आए हैं क्योंकि कई योग गुरुओं ने इसे व्यवस्थित करने का कार्य भी किया है।

दरअसल योग का इतिहास का पता उत्तरी भारत की सिंधु घाटी सभ्यता में हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई से चलता जिसमें सिक्के और कई अवशेषों पर ध्यान/योग मुद्राएं चित्रित थी इससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि योग का इतिहास करीब 5000 वर्ष पुराना है।

 

भारतीय साहित्य में योग का उल्लेख

हालांकि योग का उल्लेख साहित्य और सभी 4 वेदों ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अर्थवेद में भी किया गया है और वेद ही सबसे प्राचीन साहित्य माने जाते है।

इतना ही नही पूर्व शास्त्रीय काल में महाभारत और श्रीमद भगवत गीता में भी योग के बारे में कई बातें लिखी गई हैं। श्रीमद भगवत गीता में ज्ञान योग, भक्ति योग, कर्म योग और राजयोग का उल्लेख भी मिला है। साथ ही बौद्ध और जैन परंपराओं, रामायण, महाकाव्य, शैव और वैष्णव में भी योग का उल्लेख है।

ऐसा माना जाता है कि वैदिक काल में सूर्य को अधिक महत्व दिए जाने के कारण ही सूर्य नमस्कार आसन की प्रथा का आविष्कार हो सका।

मध्य युग में पतंजलि के अनुयायियों ने आसन क्रियाएं प्राणायाम और शरीर और मन की सफाई पर अधिक महत्व देकर योग को एक अलग ही दिशा में मोड़ दिया और योग का यह स्वरूप ‘हठयोग‘ के नाम से जाना जाता है।

 

 

भारत में योग का विकास

भारत समेत दुनियाभर के देशों ने योग का विकास करने की कोशिश की है और भारत के कई योग गुरुओं ने शुरू से ही योग का प्रचार-प्रसार और इसका विकास किया है।

चाहे वह पांचवी शताब्दी में महर्षि पतंजलि हो, 15 शताब्दी के शिवानंद सरस्वती जी हो, 16वीं शताब्दी के तुलसीदास जी और 18वीं शताब्दी के रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद जी हो या आज के प्रधानमंत्री मोदी जी इन सभी ने योग के विकास और इसके प्रचार-प्रसार पर काफी जोर दिया और योग को दुनिया भर में फैलाया।

स्वामी विवेकानंद जी ने शिकागो में सम्मेलन के दौरान अपने ऐतिहासिक भाषण में दुनिया को योग से परिचित कराया। जिसके बाद से दुनियाभर के लोग योग की तरफ आकर्षित हुए।

बताया जाता है कि पश्चिमी देशों में बीसवीं शताब्दी के इर्द गिर्द योग ठीक तरह से विकसित हो पाया। हालांकि उपनिषदों में योग को लेकर कई तरह की बातें कहीं गई है इसलिए योग का ठीक प्रकार से विकास कब हुआ इसके बारे में कोई भी सटीक तथ्य उपलब्ध नहीं है।

 

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मिली पहचान

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया जिसे 11 दिसंबर सन 2014 को बहुमत के साथ स्वीकार लिया गया और दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में योग का दुनियाभर में प्रसार हुआ और अब 21 जून योग दिवस के रूप में अपनी पहचान बना चुका है।

 

योग का जनक (पिता) किसे कहा जाता है?

महर्षि पतंजलि को आधुनिक योग के जनक (Father) के रूप में जाना जाता है क्योंकि उन्होंने योग के सभी पहलुओं को योग सूत्र के रूप में सुव्यवस्थित किया। पांचवी शताब्दी में महर्षि पतंजलि ने जो योग सूत्र (राजयोग) लोगों को दिया उसे अष्टांग के नाम से जाना जाता है।

आज के सभी योग इसी सूत्र पर आधारित है, राजयोग के 8 अंग है यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। पतंजलि योग सूत्र में करीब 196 सूत्र हैं।

पतञ्जलि एक महान चिकित्सक थे उन्हें आयुर्वैदिक ग्रन्थ चरक संहिता के जनक के रूप में भी जाने जाते है, कुछ विद्वानों के अनुसार उनका जन्म उत्तर प्रदेश के गोंडा में माना जाता है और दूसरी शताब्दी में वे काशी में मौजूद थे। और वे व्याकरणाचार्य पाणिनी के शिष्य थे, पतञ्जलि को शेषनाग का अवतार माना जाता है।

 

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भगवान शिव और योग का संबंध

योग ग्रंथों और कथाओं के अनुसार भारतीय संस्कृति में योग का प्रारंभ भगवान शिव के बाद कुछ वैदिक ऋषि मुनियों द्वारा हुआ और इसका प्रसार भगवान शिव के बाद उनके सात शिष्यों ने ग्रीष्म सक्रांति के बाद आने वाली पहली पूर्णिमा के दिन योग की दीक्षा देकर किया। बताया जाता है इस दौरान दक्षिणायन होने के कारण आध्यात्मिक साधना करने वालों को प्रकृति का सहयोग मिलता है।

 

योग का देवता (God of Yoga) कौन है?

भगवान शिव को योग, ध्यान और कलाओं का संरक्षक देवता (God) माना जाता है। भारतीय संस्कृति में भगवान शिव को आदि योगी और आदि गुरु के रुप में जाना जाता है। साथ ही भगवान महावीर और भगवान बुद्ध भी योग का विस्तार करने वाले युग पुरुषों में से थे।

 

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अंतिम शब्द

दोस्तों योग भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है और आजतक पूरी दुनिया में योग साधना का लाभ लाखों लोगों को हुआ है। साथ ही प्राचीन काल से ही योग के महान गुरुओं और आचार्यों द्वारा इसे परिरक्षित भी किया जाता रहा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संयुक्त राष्ट्र संघ में योग के मुद्दे को उठाना काफी महत्वपूर्ण कदम था जिसके फलस्वरूप आज 2022 में हम 8वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रहे है।

डिस्क्लेमर: यह लेख विभिन्न स्रोतों और सामान्य जानकारियों के आधार पर लिखा गया है, HaxiTrick.Com इसकी पुष्टि नहीं करता।