Shaurya Diwas 6 December 2024: विश्व हिंदू परिषद द्वारा शौर्य दिवस कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है? जानिए इतिहास
Shaurya Diwas 2024: 6 दिसंबर को बाबरी विध्वंस के 32 साल पूरे हो गए है जिसे विश्व हिन्दू परिषद (VHP) और इसके सहयोगी संगठन शौर्य दिवस के रूप में मनाते है परन्तु अब इसे 6 दिसम्बर को नहीं बल्कि गीता जयंती के मौके पर मनाया जाता जो इस साल 2024 में 11 दिसम्बर को है।
विश्व हिंदू परिषद (VHP) द्वारा 2019 और 2020 में 6 दिसंबर को शौर्य दिवस नहीं मनाने का फैसला लिया गया था तथा राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास द्वारा ऐसे किसी भी आयोजन से इंकार किया गया था जिससे देश में या राज्य में तनाव की स्थिति पैदा हो।
विषय सूची
शौर्य दिवस कब मनाया जाता है? (2024 में)
पिछले 28 सालों से 6 दिसंबर का दिन अयोध्या समेत देश भर में विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) और इसके सहयोगी संगठनों द्वारा शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है, यही वो दिन है जब साल 1992 में बाबरी मस्जिद (जिसे विवादित ढांचे के नाम से जाना जाता है) को हिन्दू कार सेवकों द्वारा ढहा दिया गया था।
विवादित ढांचा (बाबरी मस्जिद) जिस दिन ढहाई गई थी उस दिन गीता जयंती थी जिसे हिन्दू कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है और हर साल यह दिन अंग्रेजी कैलेंडर में अलग-अलग तारीखों पर पड़ता है। इस साल 2024 में गीता जयंती 11 दिसम्बर को है और इसी दिन शौर्य दिवस भी मनाया जाएगा।
वर्ष 1992 में गीता जयंती 6 दिसंबर को थी, बाद में इसी दिन को अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से हर साल छः दिसंबर के दिन मनाया जाने लगा। परन्तु अब इसे हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पड़ने वाली गीता जयंती के दिन ही मनाया जाएगा।
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शौर्य दिवस क्यों मनाया जाता है? (इतिहास)
1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद से ही प्रत्येक वर्ष 6 दिसम्बर को विश्व हिन्दू परिषद (VHP) और सहयोगी संगठनों द्वारा इस दिन को हिन्दुओं की विजय मानते हुए अयोध्या समेत देश भर में शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन हिंदुओं द्वारा विभिन्न कार्यक्रम और जुलूसों का आयोजन किया जाता था, परंतु शीर्ष अदालत की संविधान पीठ द्वारा इस विवाद को सुलझाए जाने के बाद अब इस दिन ज्यादा बड़े आयोजनों और रेलियों में कमी देखी गई है।
6 दिसंबर को काला दिवस क्यों मनाया जाता है?
मुस्लिम समुदाय बाबरी मस्जिद ध्वस्त किए जाने के गम में 6 दिसंबर को ‘योमे-गम’ (शोक दिवस) या काला दिवस मना कर अपना रोष प्रकट करते हैं। इस दिन मुसलमानों द्वारा किसी एक जगह पर इकट्ठे होकर शोक मनाया जाता था। हालंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस विवाद पर फैसला सुनाने के बाद अब कोई बड़ा आयोजन नहीं होता।
क्या है अयोध्या का बाबरी मस्जिद विवाद
अयोध्या के बाबरी मस्जिद विवाद का मुख्य मुद्दा राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद की स्थिति को लेकर था। हिंदू पक्ष के मुताबिक बाबरी मस्जिद गुंबद के नीचे ही भगवान राम का जन्मस्थान था, जिसके बाद 06 दिसंबर 1992 को हिंदू कारसेवकों द्वारा विवादित ढाँचे को ढहा दिया गया।
इसके बाद 5 अगस्त 2020 को मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की अध्यक्षता में राम मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम आयोजित हुआ और अभी इसका निर्माणकार्य काफी तेजी से चल रहा है।
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श्रद्धानंद बलिदान दिवस – 23 दिसम्बर
विश्व हिन्दू परिषद् के 7 प्रमुख उत्सवों में से एक श्रद्धानंद बलिदान दिवस को भी अब से प्रतिवर्ष व्यापक स्तर पर मनाया जाएगा। स्वामी श्रद्धानंद जी का धार्मिक, सामाजिक, आध्यात्मिक तथा राष्ट्रीय व धर्मांतरण विरोधी आंदोलनों में अतुलनीय योगदान रहा है।
बताया जाता है कि स्वामी श्रद्धानंद जी ने भारतीय हिंदू शुद्धि सभा द्वारा लाखों नव-मुस्लिमों (जो हिन्दू से मुसलमान बने थे) और ईसाईयों का शुद्धीकरण कर उन्हें पुनः हिन्दू धर्म में शामिल कराया।
उन्होंने लोगों में विश्वास पैदा किया जिससे अपने धर्म से पतित हुए लोग वापस अपने हिन्दू धर्म में आने लगे। जिसके कारण अब्दुल रशीद नाम के एक मुस्लिम द्वारा 23 दिसंबर 1926 को धोखे से उनकी हत्या कर दी गईं।
विश्व हिन्दू परिषद् के प्रमुख उत्सव | तिथि |
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रामोत्सव | वर्ष प्रतिपदा से राम नवमी तक |
दुर्गा अष्टमी | शारदीय नवरात्रि |
गोपाष्टमी | कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि |
स्थापना दिवस | जन्माष्टमी |
शौर्य दिवस | गीता जयंती |
श्रद्धानंद बलिदान दिवस | 23 दिसंबर |
मकर संक्राति | 14 जनवरी |