अटल रोहतांग सुरंग क्या है? Atal Rohtang Tunnel की उद्धाटन तिथि, लम्बाई, लागत, Features एवं फायदे

अटल रोहतांग टनल (सुरंग) क्या है | Atal Rohtang Tunnel उद्धाटन, लम्बाई लागत, चुनौतियों एवं फायदे की जानकारी

Atal Tunnel क्या है? अटल टनल हिमाचल प्रदेश स्थित रोहतांग दर्रे के लगभग 10000 फीट की ऊंचाई पर बनाई गई दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई जी के सम्मान में इसे “अटल रोहतांग टनल” नाम दिया गया है।

इस टनल के निर्माण से भारत की पाकिस्तान और चीन बॉर्डर पर पकड़ मजबूत होगी और लद्दाख का इलाका भी पूरे साल देश के अन्य हिस्सों से जुड़ा रहेगा।

आज के इस लेख में हम आपको अटल टनल की लंबाई, इसके फायदे, उद्घाटन की तारीख इसकी लागत एवं फायदे और यह कहां स्थित है इसके बारे में बताने जा रहे हैं।

आपको बता दें की पिछली साल बुधवार 25 दिसम्बर 2019 को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती के शुभ अवसर पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अटल भूजल योजना के शुभारंभ के साथ ही रोहतांग टनल (Rohtang Pass) का नाम बदलकर अटल टनल (सुरंग) रख दिया था।

Atal Tunnel or Rohtang Surang In Hindi
Atal Tunnel or Rohtang Surang In Hindi

आइए अब अटल सुरंग (About Atal Rohtang Tunnel) के बारे में विस्तार से जान लेते है।

अटल रोहतांग टनल (सुरंग) क्या है?

अटल टनल क्या है: अटल रोहतांग टनल (सुरंग) को हिमाचल प्रदेश की पीर पंजाल की पहाड़ियों को भेद कर बनाया गया है जो लाहौल स्पिति (लेह) को मनाली से जोड़ने वाली समुद्र तल से करीबन 12000 फीट की ऊंचाई पर बनी दुनिया की सबसे लंबी हाईवे सुरंग है। अटल रोहतांग सुरंग 9 किलोमीटर लंबी (Long) और 10 मीटर चौड़ी है। जिसका निर्माण कार्य सीमा सड़क संगठन (BRO) की देखरेख में किया गया है।

इतिहास/कहानी: बताया जाता है अटल जी के बचपन के दोस्त और लाहौल के निवासी, अर्जुन गोपाल जी में गहरी मित्रता थी, और जब अटल जी प्रधानमंत्री बने तो स्थानीय लोगों के कहने पर अर्जुन गोपाल जी दिल्ली आए और रोहतांग सुरंग के बारे में बात की और 1 साल की लगातार चर्चा के बाद प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सहमत हुए। और साल 2002 में इसके निर्माण की घोषणा की।

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अटल सुरंग की विशेषताएं (Features)

अटल सुरंग की कई विशेषताएं भी है और यही विशेषताएं कई सवालों के जवाब दे देती है।

अटल रोहतांग सुरंग में आपातकालीन स्थिति के दौरान बचने के लिए एक आपातकालीन रास्ता बनाया गया है यह मुख्य सुरंग के नीचे बना है और किसी भी अप्रिय घटना होने के दौरान इससे आपातकालीन निकास में मदद मिलेगी।

इतना ही नहीं सुरक्षा के लिहाज से इस सुरंग के हर 150 मीटर की दूरी पर एक टेलीफोन की सुविधा दी गई है, हर 60 मीटर की दूरी पर अग्नि हाइड्रेंट एवं हर 500 मीटर की दूरी पर एक आपातकालीन निकासी की सुविधा भी दी गई है।

सुरंग की लंबाई को देखते हुए हवा की गुणवत्ता की निगरानी के लिए हर 2.2 किलोमीटर में गुफा एवं हर 1 किलोमीटर पर हवा की गुणवत्ता निगरानी की प्रणाली भी लगाई गई है।

और सुरंग के भीतर हर ढाई सौ मीटर पर सीसीटीवी कैमरा एवं घटना का पता लगाने के लिए अन्य स्वचालित प्रणालियां भी मौजूद हैं।

इस सुरंग से 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से प्रतिदिन लगभग 5000 वाहन गुजर सकेंगे।

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अटल सुरंग उद्धाटन और खोलने की तिथि क्या है?

03 अक्टूबर 2020 को शनिवार के दिन देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी हिमाचल प्रदेश में रोहतांग दर्रे के निकट लगभग 10000 फीट की ऊँचाई पर बनाए गए 9 किलोमीटर लम्बे अटल सुरंग का उद्घाटन करेंगे।

खोलने की तिथि: अटल टनल पूरी तरह से बनकर तैयार है और इसका काम भी पूरा हो चुका है ऐसे में 3 अक्टूबर को उसके उद्घाटन के साथ यही यह खोल दिया जाएगा हालांकि अटल टनल के मुख्य इंजीनियर ब्रिगेडियर केपी पुरुषोत्तम ने इसे सितंबर 2020 तक आवाजाही के लिए पूर्ण रूप से खुल (Open) जाने की बात कही थी परन्तु कोरोनावायरस बीमारी के चलते इसके काम में पर भी खासा असर पड़ा है।

शिलान्यास: 1983 में की गई इस परियोजना के विचार के बाद, रोहतांग टनल के निर्माण की घोषणा 3 जून 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई द्वारा केलांग की एक जनसभा में की गई थी, जिसके बाद 26 मई 2002 को दक्षिण भाग के सड़क की आधारशिला रखी गई और साल 2003 में रोहतांग टनल का तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी द्वारा शिलान्यास भी किया गया। परन्तु कई घोषणाओं के बावजूद भी सुरंग के काम कोई उड़ान नहीं भरी, परन्तु 2010 को नींव का पत्थर रखे जाने के बाद इसका काम में तेजी आई थी।

अटल रोहतांग सुरंग की लम्बाई कितनी है और यह कहाँ स्थित है?

10171 फीट की ऊँचाई पर बनी अटल रोहतांग सुरंग हिमाचल प्रदेश में स्थित रोहतांग पास से जोड़कर बनाई गयी है, जो दुनिया की सबसे ऊँची और सबसे लम्बी रोड़ टनल है।

इसका निर्माण शुरू होने पर इसके डिजाइन को 8.8 किलोमीटर लंबी सुरंग के रूप में बनाया गया था परंतु निर्माण कार्य पूरा होने पर जब जीपीएस रीडिंग ली गई तो सुरंग की लंबाई 9.02 किलोमीटर निकली।

अटल रोहतांग टनल की कुल लागत कितनी है? (Total Cost)

अटल टनल की शुरुआत में इसके निर्माण लागत करीबन 1400 करोड़ रुपए आंकी गई थी और इसका निर्माण कार्य पूरा होने का लक्ष्य साल 2014 था।

परंतु इस टनल के ठीक ऊपर सेरी नामक नदी बहने से यहां रिसाव की स्थिति उत्पन्न हुई, जिससे निर्माण कार्य में भी बाधा आई और इसकी निर्माण लागत (Cost) बढ़कर 4000 करोड रुपए तक पहुंच गई।

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Atal Tunnel के फायदे (Benefits)

Atal Rohtang Tunnel से मनाली और लेह के बीच की दूरी में करीब 46 किलोमीटर की कमी आएगी जहां यह दूरी पहले 5 घंटे से अधिक समय में पूरी की जाती थी तो वही अब यह दूरी मात्र 10 मिनट में पूरी हो सकेगी।

साथ ही यह रोहतांग दर्रे तक पहुंचने का एक वैकल्पिक रास्ता भी होगा जो 13050 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।

और इस टनल के निर्माण से जो ठंड के मौसम में बर्फ पड़ने से लाहौल और स्पीति घाटी के सुदूर क्षेत्रों का संपर्क देश के अन्य हिस्सों से 6 माह तक पूर्ण रूप से समाप्त हो जाता था वह अब नहीं होगा।

साथ ही यह टनल भविष्य में लेह लद्दाख में तैनात भारतीय सेना के लिए भी वरदान साबित होगा।

अब बर्फबारी के दौरान भी इस सुरंग के जरिए पाकिस्तान और चीन की सीमा पर भारतीय सेना आसानी से पहुंच सकेगी क्योंकि लेह मनाली राजमार्ग पाकिस्तान और चीन दोनों की सीमाओं से लगा हुआ है ऐसे में भारत की लद्दाख में पकड़ मजबूत होगी।

और इस सुरंग के नीचे बनाए जा रहे एक अन्य टनल के निर्माण से आपात स्थिति में रेस्क्यू ऑपरेशन में काफी हद तक सहायता मिलेगी।

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चुनौतियां (Challenges):

रोहतांग अटल टनल का निर्माण काफी चुनौतीपूर्ण था, इस दौरान कई मजदूरों की जान भी गई, इसमें सबसे बड़ा चुनौती भरा कार्य सर्दियों के मौसम में भारी बर्फबारी के बीच खुदाई को जारी रखना था। सुरंग खोदने का काम दोनों छोर से किया गया।

हालांकि, सर्दियों में भारी बर्फबारी होने के कारण रोहतांग पास बंद हो जाता है, इसलिए सर्दियों के दौरान उत्तर पोर्टल सुलभ न होने की वजह से सर्दियों में केवल दक्षिण पोर्टल से खुदाई का कार्य किया गया। साथ ही जल रिसाव और हिमस्खलन जैसी बाधाए भी आई।

इस सुरंग का काम मई 2020 तक पूरा हो जाना था लेकिन कोविड-19 महामारी की वजह से इस परियोजना को पूरा करने में कुछ समय की देरी हुई है इसे बनाने के लिए करीबन 3000 संविदा कर्मचारियों एवं 650 नियमित कर्मचारियों ने 24 घंटे कई पारियों में काम किया है तथा इसके निर्माण के दौरान यहां से आठ लाख क्यूबिक मीटर पत्थर तथा मिट्टी भी निकाली गई है।

अंतिम शब्द

अब तो आप समझ ही गए होंगे कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने रोहतांग टनल (Rohtang Paas) का नाम बदलकर अटल रोहतांग टनल (Atal Tunnel) क्यों कर दिया और साथ ही आपको अब रोहतांग अटल सुरंग (Atal Rohtang Tunnel) के बारे में पूरी जानकारी भी मिल गई होगी।

दोस्तों अगर आपको रोहतांग दर्रा या अटल टनल क्या है के बारे में यह जानकारी (Atal Surang in Hindi) अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ भी जरूर शेयर करें ताकि उन्हें भी देश के इस महान निर्माण कार्य के बारे में पता चल सके।