गोवा मुक्ति दिवस 2023: पुर्तगाली इतिहास और ऑपरेशन विजय? (लोहिया जी का योगदान)

Goa Liberation Day 2023: गोवा मुक्ति दिवस कब मनाया जाता है? ऑपरेशन विजय और लोहिया जी के योगदान (इतिहास)

Goa Mukti Divas: इस साल 19 दिसंबर 2023 को पुर्तगाली शासन से गोवा को आजादी मिले 62 साल पूरे हो गए हैं, जिसे प्रतिवर्ष गोवा मुक्ति दिवस (Goa Liberation Day) के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन वर्ष 1961 में तटीय राज्य गोवा को भारतीय सशक्त सेनाओं द्वारा 451 वर्षों के औपनिवेशिक पुर्तगाली शासन से मुक्त कराया गया और यह भारत का एक अभिन्न हिस्सा बना।

जहाँ गोवा के पुर्तगालियों से स्वतंत्र होने के उपलक्ष में 19 दिसम्बर को गोवा मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है, तो वहीं 30 मई 1987 को इसे राज्य का दर्जा मिलने के उपलक्ष में प्रत्येक वर्ष 30 मई को ‘गोवा स्थापना दिवस‘ मनाते है। यहाँ हम आपको गोवा मुक्ती दिन (Goa Mukti Din) के बारे में विस्तार से जानकारी देने जा रहे है।

Goa Mukti Divas
Goa Mukti Divas 2023

 

गोवा मुक्ति दिवस क्यों मनाया जाता है? (Goa Liberation Day 2023)

लगभग 450 वर्षों से पुर्तगाली शासन झेल रहे गोवा को इससे मुक्ति दिलाने की सफलता के उपलक्ष में हर साल 19 दिसंबर को ‘गोवा मुक्ति दिवस‘ मनाया जाता है। इसी दिन वर्ष 1961 में भारतीय सशस्त्र सेना ने ऑपरेशन विजय चलाकर गोआ को पुर्तगाली हुकूमत से आज़ाद कराया था।


स्वतंत्रता के करीब साढे 14 साल बाद भी भारत के कुछ क्षेत्र पुर्तगालियों का औपनिवेशिक शासन झेल रहे थे। हालंकि लंबे अरसे तक चले गोवा मुक्ति संग्राम के परिणामस्वरूप सैन्य कार्यवाही के बाद 19 दिसम्बर 1961 को गोवा को पुर्तगाली आधिपत्य से मुक्त कराकर भारत में शामिल कर लिया गया।

 

पुर्तगाली शासन और गोवा मुक्ति आंदोलन (लोहिया जी का योगदान)

इतिहासकारों के मुताबिक़ वर्ष 1498 में समुंद्री रास्ते से पुर्तगाली नाविक वास्कोडिगामा (Vasco da Gama) यूरोप से भारत आया, और वर्ष 1510 तक पुर्तगालियों ने भारत के कई हिस्सों को अपना उपनिवेश बना लिया। गोवा पर पुर्तगालियों का शासन करीब 451 साल तक रहा।

20वीं शताब्दी में गोवा मुक्ति आंदोलन के तहत भारतीय क्षेत्रों से पुर्तगाली औपनिवेशिक शासन को समाप्त करने की मांग की गयी, इससे पहले भी कई क्रांतिकारी इसे लेकर पुर्तगाली शासन के खिलाफ छोटे-मोटे विद्रोह करते आ रहे थे। लेकिन वर्ष 1946 में भारतीय समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया जब गोवा पहुँचे और उन्होंने वहाँ हो रहे नागरिक अधिकारों के हनन के विरोध में सभा करने को कहा तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जिसके बाद यह संग्राम और तेज हो गया।

15 अगस्त 1947 को भारत ब्रिटिश शासन के चंगुल से स्वतंत्र हो गया, लेकिन गोआ, दमन एवं दीव और दादर नागर हवेली पर पुर्तगालियों ने अपना कब्ज़ा जमाए रखा और इसे छोड़ने से इनकार कर दिया। वर्ष 1950-60 के बीच जब गोवा मुक्ति के लिए किए जा रहे आंदोलन और विद्रोह ने हिंसक रूप लेना शुरू कर दिया, तब सरकार ने इस पर हस्तक्षेप करने का फैसला किया।


 

गोवा मुक्ति का इतिहास (ऑपरेशन विजय)

भारत की आजादी के बाद जब गोआ स्वतंत्रता संग्राम और ज्यादा उग्र हुआ तो सरकार की ओर से पुर्तगाली शासको से कई बार गोवा और उनके आधीन अन्य भारतीय क्षेत्रों को सौपने के बारे में बातचीत और अनुरोध किए गए लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया।

तमाम वार्ताओं और कूटनीतिक प्रयासों के विफल होने के बाद अंततः भारत की ओर से सैन्य कार्यवाही ही अंतिम विकल्प बचा था, इसलिए 18 दिसम्बर 1961 को ऑपरेशन विजय के तहत भारतीय सशस्त्र सेनाओं ने 36 घंटे से भी ज्यादा समय तक जल, नभ और धरती से पुर्तगालियों पर हमला कर दिया, जिसके फलस्वरूप 19 दिसंबर 1961 को पुर्तगाली सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया और गोआ को पुर्तगाली शासन से मुक्ति मिली।

 

गोवा लिबरेशन डे कैसे मनाते है?

गोवा मुक्ति दिवस के मौके पर हर साल गोआ में मशाल जुलूस प्रज्वलन कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, और आजाद मैदान में इस आंदोलन में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी जाती है। इस दौरान संगीत और कला के विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

पिछली साल 2021 में गोवा मुक्ति के 60 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी पणजी में होने वाले एक भव्य समारोह GOA@60 में शिरकत की थी।

लोहिया और इन आन्दोलन में शामिल लोगों के लम्बे जनजागरण के बाद गोवा को स्वतंत्रता मिली थी। इसलिए स्वतंत्रता में जिन लोगों ने अपना खून पसीना बहाया उन्हें हम सभी देशवासियों को भूलना नहीं चाहिए, यह दिन ऐसे वीरों की याद के लिए काफी महत्वपूर्ण दिन है।