पराक्रम दिवस 2024: कब और क्यों मनाया जाता है? (नेताजी सुभाषचंद्र बोस जयंती)

साल 2021 से ही प्रतिवर्ष 23 जनवरी को पराक्रम दिवस भारतीय स्वतंत्रता सेनानी 'नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी' की जयंती पर उनके कार्यों को चिह्नित करने और उन्हें सम्मान देने के मकसद से मनाया जाता है।

Parakram Diwas 2024: नेताजी सुभाषचंद्र बोस जयंती और पराक्रम दिवस के बारे में?

सुभाषचंद्र बोस जी के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में दिए गए वीरता भरे योगदानों और प्रयासों को याद करते हुए वर्ष 2021 से ही हर साल 23 जनवरी को उनकी जन्मजयंती के उपलक्ष में राष्ट्रीय पराक्रम दिवस (Parakram Diwas) मनाया जाता है। इस साल 2024 में देश नेताजी की 127वीं जयंती और चौथा पराक्रम दिवस मना रहा है।

नेताजी सुभाषचंद्र बोस भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और आजाद हिंद फौज के संस्थापक थे, उनका जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। उनके द्वारा दिए गए ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा‘ जैसे नारे उनके अदम्य साहस और निर्भीकता को दर्शाते है।

Parakram Diwas 23 January Subhash Chandra Bose
Parakram Diwas 23 January Subhash Chandra Bose
Parakram Diwas Information in Hindi
नाम:राष्ट्रीय पराक्रम दिवस
तिथि:23 जनवरी (वार्षिक)
स्थापना:19 जनवरी 2021 (भारत सरकार)
पहली बार:23 जनवरी 2021
सम्बंधित व्यक्ति:नेताजी सुभाषचंद्र बोस

 

राष्ट्रीय पराक्रम दिवस की शुरुआत कैसें हुई? (इतिहास)

हर साल 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी के स्वतंत्रता संग्राम में अतुल्य योगदानों और राष्ट्र के प्रति निस्वार्थ सेवा को सम्मानित करने के लिए उनके जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 19 जनवरी 2021 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में गठित एक उच्चस्तरीय कमेटी के सहयोग से हुई और एक राजपत्र अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी साझा की गई।

जिसके बाद 23 जनवरी 2021 को नेताजी की 125वीं जयंती को पहली बार पराक्रम दिवस के रूप में मनाया गया और तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।

माननीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में देश के इतिहासकार, लेखक, संगीतकार, विशेषज्ञ, आजाद हिंद फ़ौज और नेताजी के परिवार एवं उनसे जुड़े अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों के आलावा कई केन्द्रीय मंत्री एवं विपक्ष के वरिष्ठ नेताओं और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी शामिल किया गया था।


 

नेताजी की जयन्ती पर पराक्रम दिवस क्यों मनाते है? (उद्देश्य)

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर राष्ट्र के लिए उनके निस्वार्थ योगदानों एवं सर्वविदित वीरता को सम्मान देने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 23 जनवरी को उनके जन्मदिन के अवसर पर पराक्रम दिवस मनाने का फैसला लिया गया है। यह दिवस देश के लोगों एवं सभी युवाओं को विपत्ति से सामना करने तथा साहसी, निर्भीक और देशभक्त बनने की प्रेरणा देगा।

साथ ही यह लोगो को नेताजी की तरह विपरीत परिस्थितियों का दृढ़ता से सामना करने और जन-जन में देशभक्ति की भावना का संचार करने के लिए प्रेरित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।

 

 

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में (उनके साहसिक और वीरता भरें कार्य)

  • सुभाष चंद्र बोस जी का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक (अब उड़ीसा) में जानकीनाथ बोस और प्रभावती दत्त के यहां हुआ था उन्होंने आजाद हिंद फौज की स्थापना कर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

  • 1943 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने देश को आज़ाद कराने के लिए भारतीय राष्ट्रीय सेना (आजाद हिंद फौज) का गठन किया जिसमें ब्रिटिश भारतीय सेना के भारतीय सैनिक भी शामिल थे

  • नेताजी ने आजाद हिंद फौज और जापानी सेना की मदद लेकर अंडमान और निकोबार से अंग्रेजों को खदेड़ कर पहली बार स्वतंत्र भारत की एक अस्थाई सरकार की स्थापना की थी।

  • वे एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत को ब्रिटिश शासन से आजाद कराने के लिए उस समय जर्मनी, जापान और रूस जैसे शक्तिशाली देशों का साथ हासिल किया।

  • नेता जी ने जर्मनी के सहयोग से ‘आज़ाद हिंद रेडियो‘ की स्थापना की और इसके जरिए वे देशवासियों को आजादी के लिए लड़ते रहने और उनमें जोश भर देने वाले संदेश दिया करते थे।

  • नेताजी से जुड़े कुछ लोगों का मानना है कि नेता जी ने अखंड भारत की कल्पना की थी यदि वे होते तो भारत का विभाजन या बंगाल का विभाजन नहीं होता।

  • सरकारी आंकड़ों के अनुसार 18 अगस्त 1945 को ताइवान में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी लेकिन उनकी मौत आज भी एक रहस्य बनी हुई है। कई सिद्धांत है जो इस दुर्घटना के बाद भी नेताजी के जीवित होने का दावा करते हैं और बताते हैं कि उन्होंने गुप्त रूप से काम करने के लिए यह खबर फैलाई।

 

 

Parakram Diwas कैसे मनाया जाता है?

पराक्रम दिवस के अवसर पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस को नमन और श्रध्दांजलि अर्पित करते हुए देशभर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस साल भी केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस के जश्न की शुरुआत 23 जनवरी (सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती के दिन) से करने का फैसला लिया है।

2021 में पहले राष्ट्रीय पराक्रम दिवस पर समारोह की शुरुआत बंगाल की राजधानी कोलकाता में स्थित ऐतिहासिक ‘विक्टोरिया मेमोरियल हॉल‘ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गयी। और इसे भव्य रूप से मनाने के लिए गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली एक समिति का गठन किया गया जो पूरे साल इससे संबंधित सभी कार्यक्रमों और आयोजनों की रूपरेखा तैयार करती है।

2021 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की याद में एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया गया था, इसके साथ ही नई दिल्ली में स्थित लाल किले में नेताजी सुभाष चंद्र बोस संग्रहालय और आजाद हिंद फौज के शहीदों का स्मारक स्थल भी बनाया गया।


सरकार द्वारा नेताजी से जुड़ी कई फाइलें सार्वजनिक की गई इससे पहले वर्ष 2018 में अंडमान निकोबार के द्वीप का नाम सुभाष चंद्र बोस द्वीप रखा गया था।

 

देश प्रेम या देश नायक दिवस

आपको बता दें कि फॉरवर्ड ब्लॉक और सुभाष चंद्र बोस जी के परिवार के सदस्यों ने नेताजी की जयंती को ‘देश प्रेम दिवस‘ और ममता बनर्जी ने इसे ‘देश नायक दिवस‘ के रूप में मनाए जाने की मांग की थी। परंतु भारत सरकार द्वारा इसे पराक्रम दिवस (Day of Valour) के रूप में मनाने का फैसला लिया।


आप सभी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर पराक्रम दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं